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रामस्वरूप कोली: पान की दुकान से पार्षद से सांसद तक का सफर, फिर वसुंधरा ने काटा टिकट, अब अपनों ने दिया धोखा

Jaipur News, बीजेपी रामस्वरूप कोली ने लोकसभा चुनाव में हार के बाद भारत रफ्तार में खुल कर की बात. उन्होंने भाजपा नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुझे पार्टी के लोगों ने हराया है. 

रामस्वरूप कोली: पान की दुकान से पार्षद से सांसद तक का सफर, फिर वसुंधरा ने काटा टिकट, अब अपनों ने दिया धोखा

Jaipur News: राजस्थान के भरतपुर सीट पर बीजेपी की टिकट से रामस्वरूप  कोली ने चुनाव लड़ा और उनके हार का सामना करना पड़ा. लोकसभा चुनाव में हारने के बाद रामस्वरूप ने सबसे पहला इंटव्यू भारत रफ्तार को दिया. जिसमें उन्होंने अपने शुरूआती लाइफ के बारे में बताया कि कैसे एक पान की दुकान से वह पार्षद और उसके बाद सांसद तक के सफर को पूरा किया. इसके बाद राजस्थान में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा वुसंधरा राजे ने कैसे दो बार उनका टिकट काटा और लोकसभा 2024 में अपनों के कारण से उन्हें हार का सामने करना पड़ा. आइए बीजेपी नेता रामस्वरूप के राजनीतिक सफर पर एक नजर डालते है. 




पान की दुकान से बने पार्षद

बीजेपी नेता रामस्वरूप ने अपने राजनीति सफर के बारे में बताया कि मेरे शादी 15 साल की उम्र मे करा दी गई. जिसके बाद मेरे ऊपर घर का खर्च आ गया. शादी के एक से डेढ़ साल बाद घर वालों ने मुझे और मेरी पत्नी को अलग कर दिया. जिसके बाद बच्चों को पालने के लिए कुछ तो करना था. तो उन्होंने घर के बाहर ही पान की दुकान लगाना शुरू कर दिया. बचपन ही से ही ये आरएसएस से जुड़े हुए थे और शादी के बाद भी सखा में जाते थे. जिसके बाद इनकी मेहनत को देखते हुए संघ के एक नेता ने उनको घर के सामने ही एक दुकान दिला दी. जहां ये पान की दुकान खोल ली. फिर धीरे-धीरे फोटो स्टूडियो और घड़ी का काम भी उसी दुकान से शुरू कर. वो सुबह उठकर संघ साखा जाते थे और फिर दिनभर दुकान पर बैठ कर काम किया करते थे. फिर कुछ सालों बाद निकाय चुनाव के समय इनके वार्ड की सीट एसटी के रिजर्व हो गई. तो इनके वार्ड के पार्षद जो इनके दोस्त हुआ करते थे. उन्होंने ने रामस्वरूप से चुनाव लड़ने की बात कही. जिसके बाद चुनाव लड़ा और जीत कर पार्षद बन गए. 

2004 में बने पार्षद से बने सांसद

 

रामस्वरूप ने आगे बताया कि साल 2003 में विश्वविद्यालय में प्रदर्शन करने के दौरान पुलिस छात्रों के बीच धक्का-मुक्की हो गई. इस प्रदर्शन में ये भी मौजूद थे. जहां पुलिस द्वारा छात्र नेताओं में जमकर लाठी बरसाई गई. जिसके बाद  गुस्से में उन्होंने पुलिस के ऊपर लाठी से हमला कर दिया. फिर ज्यादा फोर्स आने के बाद पुलिस ने इन पर जमकर लाठी चलाई. जिसमें रामस्वरूप के दोनों हाथों और दोनों पैरों में फ्रैक्चर आ गया. ये अस्पताल में दो-तीन बेहोश पड़े रहे. इस घटना के बाद पूरे भरतपुर में इनकी लोकप्रियता बढ़ गई. स्वयं संघ के कहने पर साल 2004 में बीजेपी ने इनको लोकसभा चुनाव में भरतपुर से टिकट दिया. पहली बार में ही इन्होंने लोकसभा चुनाव जीत लिया और सांसद बन गए. 

  

 

2009, 2014 और 2019 में वसुंधरा  ने काटा टिकट

 

रामस्वरूप ने बताया कि साल 2004 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भी बीजेपी नेता वसुंधरा राजे ने 2009 और 2014 लोकसभा चुनाव में इनका टिकट काट लिया. वसुंधरा ये सब उनके करीबी माने जाने वाले बाहदुर कोहली के कहने पर किया. रामस्वरूप कोली ने कहा कि ‘मुझे राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा रोका गया, क्योंकि जो बहादुर कोली था, वो उनके टच में था। वो नहीं चाहता था कि मैं आगे आऊं’। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से रामस्वरूप कोली की क्या अदावत थी, जब संवाददाता जितेश जेठानंदानी ने स्पष्ट शब्दों में पूछा, तो रामस्वरूप कोली ने कहा कि, ‘उन्हें भी कुछ समझ नहीं आया बिल्कुल भी, कि आखिर क्या अदावत थी, लेकिन उन्होंने टिकट नहीं मिलने दिया’।

 

2024 में अपनों ने हराया चुनाव

रामस्वरूप ने भाजपा विधायकों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बयाना से विधायक रितु बानावत और ऋषि बंसल ने मेरा खुलकर विरोध किया है, जबकि मैंने उनको जो इज्जत दी है वह कोई दे नहीं सकता. पता नहीं उनके मन में क्या था कि रितु और उनके पति ने खुलकर विरोध किया. मुख्यमंत्रीजी रोज मुझसे पूछते कि आज आप कहां-कहां गए और आपके साथ कौन-कौन था. मैंने समीक्षा बैठक में भी कहा था कि चुनाव के वक्त हमारे जो 22 मंडल अध्यक्ष बदले हैं और जिले की कार्यकारिणी बदली है. वे मंडल की एबीसीडी तक नहीं जानते. आनन-फानन में जिले की कार्यकारिणी में बदलाव किए, न जाने किसके दबाव में किया. रामस्वरूप ने ​कामां विधायक नोक्षम पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मैं विधायक नोक्षम को फोन करता था. तो उसने चुनावों में कभी फोन ही नहीं उठाया. वे कभी फोन नहीं उठाती थी.