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संघ ने कभी भी आरक्षण का विरोध नहीं किया, सोशल मीडिया पर तैयार किया जा रहा है फेक नैरेटिव!

जयपुर। इन दिनों सोशल मीडिया पर आरक्षण को लेकर एक फेक नैरेटिव तैयार किया जा रहा है, जिसमें बताया जा रहा है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) आरक्षण विरोधी है. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है, जिसकी सच्चाई खुद रिसर्च करने पर पता चली है. कई मौकों पर तो संघ के नेताओं ने अपने बयानों पर आरक्षण पर बड़ी प्रतिक्रिया दी जिससे साफ पता लगता है कि RSS कभी आरक्षण विरोधी नहीं रही है. 

संघ ने कभी भी आरक्षण का विरोध नहीं किया, सोशल मीडिया पर तैयार किया जा रहा है फेक नैरेटिव!

जयपुर। इन दिनों सोशल मीडिया पर आरक्षण को लेकर एक फेक नैरेटिव तैयार किया जा रहा है, जिसमें बताया जा रहा है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) आरक्षण विरोधी है.लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है, जिसकी सच्चाई खुद रिसर्च करने पर पता चली है. कई मौकों पर तो संघ के नेताओं ने अपने बयानों पर आरक्षण पर बड़ी प्रतिक्रिया दी जिससे साफ पता लगता है कि RSS कभी आरक्षण विरोधी नहीं रही है. 
गौरतलब है देश में लोकसभा के चुनाव चल रहे है. लोकसभा चुनावों के बीच कुछ लोग सोशल मीडिया पर फेक वीडियो भी शेयर करे जा रहे है. ऐसा ही एक फेक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो प्रसारित किया जा रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि [राष्ट्रीय स्वयंसेवक] संघ आरक्षण के खिलाफ है. हमारी पड़ताल में पता चला कि ये वीडियो फेक है. संघ ने कभी ऐसा कहा ही नहीं. 
चलिए जानते है संघ ने आरक्षण को लेकर बीते 9 सालों में कब क्या-क्या बोला-
- 17 दिसंबर 2015 को संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा था कि जब तक सामाजिक भेदभाव है आरक्षण चलता रहेगा. आरएसएस आरक्षण के हक में है. जब तक भेदभाव के शिकार चाहते हैं, तब तक आरक्षण मिले.
- 20 जनवरी 2017 को आरएसएस के पूर्व सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि भारत में पिछड़ी जातियों के संदर्भ में आरक्षण आया है. सैकड़ों साल तक इस समाज के लोगों को सुविधाओं और शिक्षा से वंचित रखा गया, ऐसा उनके साथ गलत हुआ है. उनको समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए आऱक्षण को शुरू किया गया. उन्होंने कहा कि सबको समान अवसर मिलना चाहिए.
- 21 जनवरी 2017, आरएसएस के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने ये साफ करते हुए कहा कि संघ का मत स्पष्ट है कि अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी के लिए संविधानप्रदत्त आरक्षण जारी रहना चाहिए क्योंकि उसकी आवश्यकता आज भी है. उसको पूर्ण रूप से लागू करना चाहिए
-11 अक्टूबर 2018 को संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि, सामाजिक विषमता को हटा कर समाज में सबके लिए अवसरों की बराबरी प्राप्त हो इसलिए समाजिक आरक्षण का प्रावधान संविधान में किया गया है. संविधान सम्मत सभी आरक्षणों को संघ का पूरा समर्थन है और रहेगा. आरक्षण कब तक चलेगा, इसका निर्णय वही करेंगे जिनके लिए यह आरक्षण है.
- 14 अगस्त 2019 को डॉ भागवत ने कहा कि जो लोग आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं, उन्हें सौहार्दपूर्ण माहौल में इस पर विचार विमर्श करना चाहिए.
वहीं सामाजिक और आर्थिक असमानता को दूर करने के मुद्दे पर भी संघ के दिग्गज फोकस करते आए हैं. 
- सितंबर 2019 को  आरएसएस के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि आरक्षण की व्यवस्था "सामाजिक और आर्थिक असमानता" के कारण अस्तित्व में है और यह इसके लाभार्थियों पर ही निर्भर है कि वो यह तय करें कि इसे जारी रखना चाहिए या नहीं. हम संविधान सम्मत आरक्षण को अपना समर्थन देते हैं.
- अगस्त 2021 को दत्तात्रेय होसबोले ने अपने एक बयान में कहा था कि संघ आरक्षण का 'पुरजोर समर्थक' है और जब तक समाज का एक खास वर्ग 'असमानता' का अनुभव करता है, तब तक आरक्षण जारी रखा जाना चाहिए.
RSS के सरसंघचालक की ओर से कई मौके पर इस बात पर फोकस किया गया है कि समाज में भेदभाव के खात्मे तक आरक्षण जारी रहना चाहिए इस बात का जिक्र उन्होंने 7 सितंबर 2023 को किया था. इसके अलावा तेलंगाना में भी 28 अप्रैल 2024 को दिए अपने बयान में भागवत ने कहा कि कई मौके ऐसे आते हैं जब बयानों को तोड़मरोड़ के पेश किया जाता है, लेकिन जब से आरक्षण आया है तब से संविधान सम्मत सभी आरक्षण को संघ अपना समर्थन देता है और संघ यही है कहता है कि जब तक भेदभाव समाज में है तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए.