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राजस्थान विश्वविद्यालय में संगोष्ठी का आयोजन, "मोटा अनाज अपनाओ, स्वास्थ्य उन्नत बनाओ" विषय पर चर्चा

राजस्थान विश्वविद्यालय के मानविकी सभागार में "मोटा अनाज अपनाओ, स्वास्थ्य उन्नत बनाओ"  विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ. जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी मौजूद रहे. जिन्होंने अपने संबोधन में बताया कि हमारी संस्कृति में अन्न का सम्बंध शरीर से नहीं बल्कि आत्मा से है, इसलिए अन्न में ब्रह्मस्वरूप की अभिव्यक्ति प्रकृति की  निरंतरता को दर्शाती है. इसी वजह से अन्न को ब्रह्म कहा गया है.

राजस्थान विश्वविद्यालय में संगोष्ठी का आयोजन, "मोटा अनाज अपनाओ, स्वास्थ्य उन्नत बनाओ"  विषय पर चर्चा

राजस्थान विश्वविद्यालय के मानविकी सभागार में "मोटा अनाज अपनाओ, स्वास्थ्य उन्नत बनाओ"  विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ. जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी मौजूद रहे. जिन्होंने अपने संबोधन में बताया कि हमारी संस्कृति में अन्न का सम्बंध शरीर से नहीं बल्कि आत्मा से है, इसलिए अन्न में ब्रह्मस्वरूप की अभिव्यक्ति प्रकृति की  निरंतरता को दर्शाती है. इसी वजह से अन्न को ब्रह्म कहा गया है.उन्होंने कहा कि अगर मैं कहता हूं कि मैं आत्मा हूं, तो अन्न भी आत्मा है. अन्न का अर्थ ही औषधि है, जीवन है.  अन्न की खेती प्रारंभ करते समय पूजा करना अन्न के देवत्व का प्रमाण है. जीवन का आधार विचार है,विचार का सम्बंध मन से है और मन का सम्बंध अन्न से है. अन्न बाहरी पोषण ही नहीं बल्कि मन का पोषक तत्व है. इसलिए हमें प्रकृति ने जो शुद्ध रूप अन्न दिया है उसे उसी भौगिलिक परिवेश के अनुरूप अपनाना चाहिए.

हमारे साथ पृथ्वी के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

इस कार्यक्रम में अध्यक्ष प्रो.अल्पना कटेजा,  कुलपति राजस्थान विश्वविधालय ने अपने विचार रखते हुए कहा, ‘आज हमें खानपान में रीजनल ओर सीजनल की भारतीय परंपरा पर दोबारा आना होगा.  वर्ष 2018 और 2024 के आंकड़ों का अध्ययन बताते हैं कि 2018 में प्रति व्यक्ति मोटा अनाज की खपत 3 किलोग्राम प्रति माह थी. जो आज बढ़कर 17 किलोग्राम प्रति माह हो गई है.’ उन्होंने कहा कि मोटा अनाज न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य के लिए बल्कि हमारी पृथ्वी के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है.

पोषक तत्वों का खज़ाना

वहीं प्रो.कनिका वर्मा ने मोटे अनाज के पोषक तत्वों पर अपने विचार रखते हुए बताया कि मोटा अनाज या श्री अन्न हमारी खाद्य परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है, जो वैदिक काल से चला आ रहा है. देश के सभी हिस्सों में इनसे बने विभिन्न व्यंजनों का उपयोग किया जाता है. जिसके कई शास्त्रीय प्रमाण हैं. इनमें बहुत से पोषक तत्व होते हैं जैसे ऊर्जा, लोह तत्व, रेशा, कैल्शियम और एंटी ऑक्सीडेंट्स. उन्होंने कहा कि एनीमिया में बाजरे का सेवन उपयोगी है. मोटे अनाज को पकाने और बनाने का हमारा एक परंपरिक विज्ञान है, जिसे हमें युगानुकल प्रस्तुत करना होगा. जिससे हमारी अन्न सबंधी संस्कृति आगे आने वाली पीढ़ी तक आसानी से पहुँच सके.

औषधीय उपचार में उपयोगी

साथ ही प्रो. कमलेश विद्यार्थी ने मोटे अनाज के औषधीय उपचार के रूप में उपयोग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मोटा अनाज मधुमेह, हृदय रोग, पीसीओडी, पेट के रोग, आंखों की ज्योति बढ़ाने, ग्लूटेन रिएक्शन और पोषक तत्वों की कमी को दूर करने वाला धान्य है. एचडीएल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल को मोटा अनाज बढ़ता है, जिससे हृदय रोगों से बचाव होता है. उन्होंने कहा कि मोटे अनाज का उपयोग अलग-अलग व्यक्ति की प्रकृति और देश के अलग-अलग वातावरण के हिसाब से किया जाना चाहिए. इसकी समझ विकसित कर इसे प्रचारित करने की आवश्यकता है.

 

वहीं इस संगोष्टी में हर्बल लाइफ इलैक्ट्रोपैथी पत्रिका के ‘मोटा अनाज अपनाओ-स्वास्थ्य उन्नत बनाओ’  विशेषांक का लोकार्पण किया गया. इस अवसर पर आयोजक हेमंत सेठिया ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य मोटे अनाज का प्रचार प्रसार करना है. हमें अपनी थाली में दोबारा मोटे अनाज को स्थान देते हुए स्वास्थ्य को उन्नत बनाना होगा. कार्यक्रम में मोटे अनाज से बने उत्पादों के प्रसार के लिए जोधपुर निवासी गोवेर्धन जी का भी सम्मान किया गया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. श्वेता जैन ने किया. कार्यक्रम के आयोजन में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, राजस्थान यूनिवर्सिटी का वनस्पति शास्त्र विभाग, सेठिया एजुकेशन एंड रिसर्च सोसायटी, इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा परिषद, आरोग्य भारती एवं विज्ञान भारती का सहयोग रहा.

सभी पद्धतियों के चिकित्सकों और स्वास्थ्य जागरूकता में जुड़े लोगों के साथ जयपुर के अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने इस सेमिनार में भाग लेकर मोटे अनाज का प्रचार अपने-अपने स्थान पर करने का संकल्प लिया. कार्यक्रम में सिंडिकेट मेंबर प्रो.जी.पी.सिंह, महारानी कॉलेज प्राचार्या प्रो. पायल लोढा, उप प्राचार्य डॉ.प्रवीण गर्ग, प्रो.राजीव सक्सेना, सहायक आचार्य रोहित जैन, केशव विद्यापीठ के सचिव ओम प्रकाश गुप्ता, प्रतिष्ठित कार्डियोलॉजिस्ट जीपी शर्मा, बिट मेसरा के डायरेक्टर डॉक्टर पीयूष तिवारी, प्रो(डॉ) विष्णु शर्मा , पूर्व कुलपति वेटेरीनरी विश्वविद्यालय बीकानेर एवं प्रो(डॉ) गोविंद सहाय गौतम विभागाध्यक्ष, स्नातकोत्तर पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर योगेश चंद्र शर्मा आदि सहित अनेक प्रबुद्धजन शामिल हुए.