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Rajasthan News: 868 साल पुराना किला ढहने के कगार पर, धरोहर के साथ हो रहा खिलवाड़

जैसलमेर का सोनार किला, जो अपनी ऐतिहासिक और स्थापत्यकला के लिए प्रसिद्ध है, आज प्रशासनिक लापरवाही का शिकार हो रहा है। 868 साल पुराना यह किला, यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है, और आज भी यहां कई परिवार निवास करते हैं। लेकिन किले की जर्जर दीवारें और घटते सुरक्षा उपाय इसे खतरे में डाल रहे हैं।

Rajasthan News: 868 साल पुराना किला ढहने के कगार पर, धरोहर के साथ हो रहा खिलवाड़

जैसलमेर का सोनार किला, अपनी अद्भुत स्थापत्य कला और इतिहास के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध, आज गंभीर खतरे का सामना कर रहा है। 868 साल पुराना यह किला न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। हर साल लाखों देशी और विदेशी सैलानी इस किले की भव्यता देखने आते हैं। यह किला यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल है और इसे विश्व का एकमात्र "लिविंग फोर्ट" माना जाता है, क्योंकि यहां आज भी सैकड़ों परिवार निवास करते हैं।

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लापरवाही का सिलसिला जारी

इतिहास के पन्नों में सोनार दुर्ग ने कई युद्धों और प्राकृतिक आपदाओं को झेला है। लेकिन आज यह किला मानव लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता का शिकार बनता जा रहा है। 1998 से लेकर अब तक कई बार किले की दीवारें और पत्थर गिरने की घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कई लोगों ने अपनी जान गंवाई है।

हाल ही में, 6 अगस्त को किले की एक दीवार का हिस्सा अचानक भरभराकर गिर गया था। इसके बावजूद पुरातत्व विभाग और प्रशासन की नींद नहीं टूटी। मंगलवार को फिर से किले के बड़े पत्थर सड़क पर आ गिरे, लेकिन सौभाग्यवश इस बार कोई हताहत नहीं हुआ। इसके बाद पुलिस और पुरातत्व विभाग ने मौके पर पहुंचकर सड़क पर आवागमन पूरी तरह रोक दिया।

दुर्गवासियों की अनदेखी

सोनार किला में रहने वाले लोग प्रशासनिक लापरवाही से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। उनके मकानों की मरम्मत तक की अनुमति नहीं दी जा रही है। पुरातत्व विभाग ने किले की सुरक्षा और मरम्मत का जिम्मा अपने हाथों में ले रखा है, लेकिन वर्षों से इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। दुर्गवासी न केवल अपनी धरोहर को टूटते हुए देख रहे हैं, बल्कि उनकी सुरक्षा पर भी संकट मंडरा रहा है।