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कहानी भारत के एक ऐतिहासिक किले की, जिसका महाभारत काल से जुड़ा है रहस्य

भारत में बहुत सारे ऐतिहासिक धरोहर हैं और उन्हीं में से एक चित्तौड़गढ़ किला है। यह राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण आकर्षणों में से एक है। 13 किमी की परिधि की दीवार के साथ 700 एकड़ में फैला यह किला कभी राजाओं और रानियों का महल हुआ करता था। 2013 में यूनेस्को ने इसे राजस्थान के पहाड़ी किलों के तहत विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।

कहानी भारत के एक ऐतिहासिक किले की, जिसका महाभारत काल से जुड़ा है रहस्य

भारत में बहुत सारे ऐतिहासिक धरोहर हैं और उन्हीं में से एक चित्तौड़गढ़ किला है। यह राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण आकर्षणों में से एक है। 13 किमी की परिधि की दीवार के साथ 700 एकड़ में फैला यह किला कभी राजाओं और रानियों का महल हुआ करता था। 2013 में यूनेस्को ने इसे राजस्थान के पहाड़ी किलों के तहत विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।

चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास

चित्तौड़गढ़ किला या चित्तौड़ किला सिर्फ भारत का ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा किला है। दिलचस्प बात यह है कि किले में एक बार नहीं बल्कि तीन बार तोड़फोड़ की गई। अलाउद्दीन खिलजी ने 1303 में इस पर आक्रमण करने का प्रयास किया। जबकि गुजरात के बहादुर शाह ने 1535 में इस पर आक्रमण किया। उसके बाद 1568 में मुगल सम्राट अकबर ने आक्रमण किया। सत्तारूढ़ राजपूतों ने अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए जमकर संघर्ष किया। किंवदंती कहती है कि सभी अवसरों पर, जब भी हार निश्चित होती थी, पुरुष तब तक लड़ते थे जब तक वे युद्ध में मर नहीं गए। जबकि महिलाओं ने सामूहिक रूप से जौहर या आत्मदाह के माध्यम से आत्महत्या का सहारा लिया।

चित्तौड़गढ़ किले की संरचना

किले की प्रमुख संरचनाओं में कीर्ति स्तंभ, विजय स्तंभ, पद्मिनी महल, गौमुख जलाशय, राणा कुंभा महल, मीरा मंदिर, कालिकामाता मंदिर, जैन मंदिर और फतेह प्रकाश महल शामिल हैं। किले में सात द्वार हैं, जिनके नाम हैं भैरों पोल, पदन पोल, हनुमान पोल, गणेश पोल, जोरला पोल, राम पोल और लक्ष्मण पोल। किले परिसर के भीतर कुल 65 संरचनाएँ हैं। टावर की पांचवीं मंजिल पर सूत्रधर जैता, वास्तुकार का नाम और उनके तीन बेटे हैं। जैन देवी पद्मावती सबसे ऊपरी मंजिल पर स्थित हैं, जबकि 8वीं और तीसरी मंजिल पर अरबी अक्षर और अल्लाह शब्द खुदा हुआ है, जो राजपूतों की धार्मिक बहुलता और सहिष्णुता को दर्शाता है।

कृष्ण भक्त मीरा बाई की मशहूर कहानी

चित्तौड़गढ़ किला रानी मीरा बाई के जीवन से भी जुड़ा हुआ है जो एक कवयित्री थीं। उन्होंने अपना जीवन भगवान कृष्ण को समर्पित कर दिया था। यहां प्रसिद्ध कवि-संत रहते थे और यहां मीरा बाई को समर्पित एक मंदिर भी है। किंवदंती के अनुसार, एक बार मीरा के देवर ने उनको मारने की कोशिश की लेकिन भगवान कृष्ण के आशीर्वाद से वे खतरनाक जहर खाकर भी जीवित रहीं। प्रेम और भक्ति की इतनी सारी ऐतिहासिक कहानी के साथ, चित्तौड़गढ़ दुनियाभर में बहुत मशहूर है। चित्तौड़गढ़ में प्रेम और  भक्ति का सागर है।जिसे दुनिया भर से लोग देखने आते।

चित्तौड़गढ़ किला देखने का सही समय

चित्तौड़गढ़ किला राजस्थान में गंभीर नदी के पास एक पहाड़ी पर स्थित है। चित्तौड़गढ़ किला 12 महीने टूरिस्ट्स  के लिए खुला रहता है। इसका समय सुबह 9 से शाम 6 बजे तक है। यहां के अद्भुत लाइट एंड साउंड शो का समय सुबह 7 बजे से शाम 8 बजे के बीच है। यहां आने वालों वयस्कों के लिए प्रवेश शुल्क 50 रुपए है, जबकि बच्चों के लिए प्रवेश टिकट 25 रुपए है। चित्तौड़गढ़ का किला पूरा घूमने के लिए लगभग 2-3 घंटे लगेंगे और यहां आपको बहुत अधिक चलना होगा।

चित्तौड़गढ़ किले में घूमने की जगह

7 द्वार वाला देश का सबसे लंबा किला, हिंदू देवताओं के नाम पर हैं दरवाजे, फैला है 700 एकड़ में

चित्तौड़गढ़ किले में घूमने गणेश द्वार, हनुमान द्वार, पदन द्वार, जोडला द्वार, भैरों द्वार, लक्ष्मण द्वार  और अंतिम और मुख्य द्वार, राम द्वार है। यहां चार महल, 19 मंदिर, 20 जल निकाय और चार बड़े-बडे स्मारक हैं। यहां कई प्रमुख

चित्तौड़गढ़ किले के बारे में कुछ रोचक तथ्य

चित्तौड़गढ़ किला कुल मिलाकर लगभग 700 एकड़ में फैला है। यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। यह किला उदयपुर से 175 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। हवाई रूप से देखने पर यह मछली की तरह दिखता है और इसकी परिधि 13 किलोमीटर है। राणा कुंभा ने 1448 में महमूद शाह प्रथम खिलजी पर अपनी जीत के उपलक्ष्य में विजय स्तंभ का निर्माण कराया था। यह मीनार भगवान विष्णु को समर्पित है।