Trendingट्रेंडिंग
वेब स्टोरी

Trending Web Stories और देखें
वेब स्टोरी

अरुंधति चौधरी के पिता IIT कराना चाहते थे, बेटी ने बास्केटबॉल चुनी लेकिन बनी राजस्थान की पहली महिला बॉक्सर

अरुंधति की मां ने उनके पिता को पढ़ाई से साथ खेल के सपने को आगे बढ़ाने के लिए राजी का लिया था। इसके बाद अरुंधति ने बॉक्सिंग को चुना, जिसका कारण वो बताती हैं कि इसमें वो अपने विरोधी को पंच कर सकती थी। 

अरुंधति चौधरी के पिता IIT  कराना चाहते थे, बेटी ने बास्केटबॉल चुनी लेकिन बनी राजस्थान की पहली महिला बॉक्सर
Arundhati Chaudhary

राजस्थान के इतिहास में कई गौरवगाथाएं हैं। यहां की वीरांगनाओं के किस्से भी काफी प्रसिद्ध हैं। वीरों की धरती राजस्थान की पहली महिला बॉक्सर अरुंधति चौधरी का नाम खेल जगत काफी प्रसिद्ध है। उन्होंने खेल के तौर पर बास्केटबॉल को चुना था। लेकिन उन्होंने खेलो इंडिया गेम्स में लगातार तीन साल तक स्वर्ण पदक जीता था। अरुंधती के पिता उन्हें आईआईटी कराना चाहते थे, लेकिन उन्होंने खेल जगत में अपना नाम बना लिया।

अरुंधती के पिता चाहते थे आईआईटी कराना

अरुंधती चौधरी ने ओलंपिक चैनल से बातचीत में कहा था कि वो कोटा से बिलांग करती थी। इसी के चलते उनके पिता चाहते थे कि उनकी बेटी अरुंधती आईआईटी करें। अरुंधति पढ़ाई में भी काफी अच्छी थीं और गणित में। उनकी पकड़ काफी मजबूत थी। इसलिए उनके पिता चाहते थे कि अरुंधति स्पोर्ट्स में अपना करियर आगे ना बढ़ाए।

जब स्पोर्ट्स के लिए मनाया पिता को

एक समय पर उन्होंने स्पोर्ट्स को अलविदा कहने का मन बना लिया था। लेकिन उनका दिल इस बात की गवाही नहीं देता था, जिसके बाद अरुंधति की मां ने उनके पिता को पढ़ाई से साथ-साथ खेल के सपने को आगे बढ़ाने के लिए राजी का लिया था। साथ ही शर्त भी रखी कि अरुंधति को कोई व्यक्तिगत खेल में चुनना होगा। इसके बाद अरुंधति ने बॉक्सिंग को चुना, जिसका कारण वो बताती हैं कि इसमें वो अपने विरोधी को पंच कर सकती थी। लेकिन उनकी परेशानी बढ़ी, क्योंकि कोटा में बॉक्सिंग का कोई कोच नहीं मिला। फिर काफी प्रयास के बाद कोच अशोक गौतम से उनकी मुलाकात हुई।

12 दिन पढ़ाई कर फर्स्ट आई और स्पोर्ट्स में गोल्ड भी लाईं

पिता के शर्त के मुताबिक अरुंधती को पढ़ाई पर भी फोकस करना था। इसलिए सुबह 4:30 बजे अपना अभ्यास शुरू करती थीं। स्कूल से वापसी के बाद फिर अभ्यास के लिए जाती थीं। 10वीं की परीक्षा के समय उनका चयन राष्ट्रीय शिविर के लिए हुआ था। वो सिर्फ 12 दिन पढ़ाई करके फर्स्ट डिविजन से पास हुई थी। साथ ही उन्हें जूनियर नेशनल में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता और उन्हें सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

खेलो इंडिया गेम्स में लगातार तीन साल तक गोल्ड मेडल और घरेलू सर्किट में अपना नाम बनाया। फिर यूक्रेन में खेले अपने पहले इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भी गोल्ड जीता। साल 2019 में एएसबीसी यूथ एशियन पुरुष और महिला चैंपियनशिप मंगोलिया में कांस्य पदक जीता। एआईबीए वर्ल्ड यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप पोलैंड में गोल्ड मेडल भी अपने नाम किया था।