यूपी के कुशीनगर में भूतों की अदालत, कौन जज? कौन वकील? सब कुछ रहस्य !
ये अदालत कोई आम अदालत नहीं बल्कि भूतों की अदालत होती है भूतों की अदालत लगती है। पिछले 700 सालों से लगती आ रही इस अदालत में कौन गुनहगार होता है...? कौन वकील..? और कौन फैसला सुनाता है सब कुछ एक रहस्य होता है।
जब दवा न लगे तो दुआ काम आती है और जब दवा और दुआ दोनों ही बेअसर लगने लगे तो राह नज़र नहीं आती है। वहीं जो होकर भी नज़र न आए उसे रहस्य कहते हैं एक ऐसी ही रहस्मय जगह है यूपी के कुशीनगर में, जहां बूढ़न शाह बाबा की दरगाह है।
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ये दरगाह एक ऐसा रास्ता है जो सभी रास्ते बंद हो जाने के बाद ऊपर वाले की मर्जी के बाद ही नज़र आता है। जहां दवा और दुआ से निराश, मुसीबत के मारे पहुंचते हैं और नयी जिंदगी पाते हैं। ये दावा खुद अनुभव करने वाले यहां के लोगों का होता है। कहा जाता है कि यहां अदालत लगती है और गुनहगारों को सज़ा दी जाती है। लेकिन ये अदालत कोई आम अदालत नहीं बल्कि भूतों की अदालत होती है भूतों की अदालत लगती है। पिछले 700 सालों से लगती आ रही इस अदालत में कौन गुनहगार होता है...? कौन वकील..? और कौन फैसला सुनाता है सब कुछ एक रहस्य होता है। जिसका किसी को कुछ पता नहीं होता। पता होता है तो सिर्फ इंसाफ यानि राहत...आराम... सुकून...जो लम्बे वक्त से परेशान मुसीबत के मारे को हासिल होता है।
हैरान करने वाले हैं किस्से
इस जगह से जुड़े तमाम ऐसे किस्से और कहानी हैं जो अदभुद और हैरान कर देने वाले है। यह दरगाह पड़रौना नगर से 9 किलोमीटर दूर शाहपुर गांव के पास एक टीले पर है। जहां लोग भूत प्रेतों से मुक्ति पाने के लिए दूर दूर से आते है। यही वजह कि इस दरबार ने सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि बिहार से लेकर पड़ोसी देश नेपाल तक प्रसिद्धी हासिल की है।
वैज्ञानिक भी चौंक जाते हैं
बाबा बूढ़न शाह की दरगाह कुशीनगर के लोगों के लिए एक बेहद खास और पवित्र जगह है। जहां भूतों की सबसे लम्बी अदालत चलती आ रही है। इस अदालत में पर्ची देखकर सज़ा सुनाई जाती है। पर्ची उर्दू भाषा में सादे कागज पर लिखी जाती है जो भूतों को बुलाने की हाज़िरी होती है। अदालत से जुड़े दावे और इन दावों के चलते यहां लगने वाली लोगों की भीड़ को देख वैज्ञानिक भी चौंक जाते हैं।
चमत्कार से बहती है उल्टी नदी
बाबा बूढ़न शाह के दरगाह को लेकर दावा किया जाता है कि बाबा बूढ़न शाह के चमत्कार से दरगाह के बगल में बहने वाली नदी उल्टी दिशा में बहती है। इतना ही नहीं इस नदी में जो भी नहाता है उसके शरीर और मन की बीमारियां दूर हो जाती हैं।
हिंदू और मुस्लिम नज़र आते हैं एक
हिन्दू मुस्लिम समाज के एकता का प्रतीक माने जाने बाबा बूढ़न शाह की इस दरगाह का यही महत्व बेहद खास और सबसे अलग हैं, यहां के सेवादार के मुताबिक दरगाह के बगल में तीन ऐसी और मजार थीं। जो हिंदुओं से जुड़ी थी। जिनमें एक ब्राह्मण, दूसरा यादव और तीसरा साधु था जो बूढ़न बाबा की सेवा करते थे। जिन्हें दवा से फायदा नहीं मिलता। जिनके रोग का विज्ञान भी पता नहीं कर पाता। मनोविकित्सकों के पास भी जिनके सवालों के जवाब नहीं होते है उन्हे बूढ़न बाबा की दरगाह से मिलने वाले आराम को आप आस्था या अंधविश्वास कुछ भी कह सकते हैं।