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हाथ का साथ मिलते ही UP में सरपट दौड़ी साइकिल, दो लड़कों ने ऐसे किया कमल का रंग फीका, पढ़ें इस रिपोर्ट में

लखनऊ ब्यूरो, लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आ चुके हैं. नतीजों में सबसे ज्यादा उलटफेर करने वाला प्रदेश उत्तर प्रदेश बन कर उभरा है. जहां बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. पिछले चुनाव के नतीजों के मुकाबले बीजेपी को आधी सीटों का नुकसान हुआ. 

हाथ का साथ मिलते ही UP में सरपट दौड़ी साइकिल, दो लड़कों ने ऐसे किया कमल का रंग फीका, पढ़ें इस रिपोर्ट में

भारत में कहा जाता है कि देश की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है. अबकि चुनाव में उत्तर प्रदेश ने चौकाने वाले परिणाम दिए है. जहां सपा और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा. जिसका सबसे तगड़ा नुकसान बीजेपी को हुआ. सपा और कांग्रेस ने मिलकर यूपी की 80 लोकसभा सीट में से 43 सीटों में जीत हासिल की. वहीं बीजेपी ने 33 सीटों पर जीत हासिल की. जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 64 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं बसपा का अकेले चुनाव लड़ने का दाव गलत साबित होता दिखा जहां पिछले बार सपा-बसपा गठबंधन में बसपा को 10 सीटें मिली थी.जबकि इस चुनाव में बसपा हाथ एक भी सीट नहीं लगी. वही कांग्रेस को भी सपा के साथ गठबंधन करने का काफी फायदा मिला. जहां पिछले चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी. जबकि इस बार कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत हासिल की है. यूपी कांग्रेस को दोबरा खड़ा करने की एक उम्मीद की किरण जगी है.

यूपी में बीजेपी और उनके सहयोगी की सोशल इंजीनियरिंग पर कांग्रेस और सपा की रणनीति काफी भारी पड़ती नजर आई. कांग्रेस के राहुल गांधी ने चुनाव संविधान खत्म होने और आरक्षण के मुद्दे को लेकर लड़ा. जिसका असर दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वोट पर देखने को मिला. इसके अलावा जाति जनगणना के साथ आरक्षण के 50 फीसदी की सीमा बढ़ाने की बीत ने ओबीसी समाज के अंदर एक उम्मदी जगाई है. इसके साथ ही सपा और कांग्रेस के एक साथ लड़ने पर मुस्लिम वोट एक जुटता के साथ इंडिया गठबंधन को मिला. जिसने बीजेपी के पूरे खेल को बिगाड़ दिया. 

2019 से 2024 तक किस पार्टी का कितना वोट शेयर?
पार्टी -2019-2024
बीजेपी-49.98%-41.37%
अपनादल एस-1.21%-0.92%
बीएसपी-19.43%-9.39%
एसपी-18.11%-33.59%
कांग्रेस-6.36%-9.39%

साप ने यादव-मुस्लिम पार्टी की छवि को बदला

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी की छवि थी. यूपी में सपा को यादव और मुस्लिम की पार्टी माना जाता है. इस छवि को बदलने के लिए अखिलेश ने पीडीए फॉर्मूले को आजमाया.  सपा ने यूपी में गैर- यादव और गैर-मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव खेला. अखिलेश यादव ने इस बार यूपी में चार मुस्लिम और पांच यादव उम्मीदवार ही उतारे थे. कुर्मी समुदाय से 10 तो मल्लाह समाज के 5 और कुशवाहा-मौर्य-शाक्य से 6 प्रत्याशी उतारे थे. इसके अलावा राजभर समुदाय से भी एक प्रत्याशी दिया था. ठाकुर और ब्राह्मणों को गिनती के टिकट दिए थे. सपा ने इस बार सुरक्षित सीटों के साथ-साथ दो सामान्य वर्ग की सीटों पर भी दलित समुदाय के प्रत्याशी उतारने का प्रयोग किया था. कुर्मी-शाक्य-मल्लाह और दलित समुदाय पर दांव खेलने का दांव सफल साबित हुआ. अखिलेश ने पीडीए फॉर्मूले के जरिए बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग पर भारी पड़ी है.     

मुस्लिम वोटों ने बदला खेल

यूपी का पूरा खेल मुस्लिम के 20 फीसदी वोटों ने बदल कर रख दिया. इस चुनाव में सपा ने चार और कांग्रेस ने केवल 2 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दी थी. दूसरी तरफ बसपा ने कई मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतरा था. लेकिन मुस्लिम वोटरों ने बसपा के मुस्लिम प्रत्याशियों को नकरा और इंडिया गठबंधन को एकजुट होकर वोट किया. मुसलमानों का एकमुश्त वोट इंडिया गठबंधन के पक्ष में गया है. इसके चलते इंडिया गठबंधन और बसपा का सारा खेल बिगड़ गया. मुस्लिमों ने चुनाव के दौरान पूरी तरह खामोशी अख्तियार कर रखा और एकमुश्त होकर वोटिंग करने का दांव इंडिया गठबंधन के लिए मुफीद साबित हुआ है.