Uttar Pradesh News: कार्तिक पूर्णिमा ने उलझाया उपचुनाव का गणित ! बीजेपी ने खटखटाया चुनाव आयोग का दरवाजा
चुनाव आयोग ने नौ सीटों के लिए 13 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को नतीजों की घोषणा की थी। महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावी नतीजे भी उसी दिन आने वाले थे। लेकिन दसवीं सीट, मिल्कीपुर, इन सब से अछूती थी।
उत्तर प्रदेश की सियासत में उपचुनावों की हवा चल रही थी। नौ सीटों पर 13 नवंबर को मतदान होना तय था, मगर भाजपा के खेमे में हलचल मची हुई थी। कार्तिक पूर्णिमा की छाया इन चुनावों पर पड़ रही थी। भाजपा नेताओं को चिंता थी कि 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा होने के कारण लोग अपने घरों से दूर, तीर्थस्थलों पर होंगे। खासकर कुंदरकी, मीरापुर, गाजियाबाद और प्रयागराज जैसे क्षेत्रों में तो लोग तीन-चार दिन पहले ही घर बार छोड़कर निकल पड़ते हैं।
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चिंता इतनी गहरी थी कि भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग के दरवाजे पर पहुंच गया। हाथ में ज्ञापन लिए, वे अपनी बात रखने लगे। "महोदय, 13 नवंबर को मतदान हुआ तो हमारे वोटर वोट डालने कैसे पहुँचेंगे? कार्तिक पूर्णिमा का पुण्य कमाने वे घरों से दूर होंगे।" उन्होंने चुनाव आयोग से गुहार लगाई कि मतदान की तारीख 13 नवंबर से बदलकर 20 नवंबर कर दी जाए।
उपचुनाव तारीखों का फसा पेच
चुनाव आयोग ने नौ सीटों के लिए 13 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को नतीजों की घोषणा की थी। महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावी नतीजे भी उसी दिन आने वाले थे। लेकिन दसवीं सीट, मिल्कीपुर, इन सब से अछूती थी। उसके चुनाव की तारीख का एलान ही नहीं हुआ था। विपक्षी पार्टियां इस पर सवाल उठा रही थीं। कांग्रेस का आरोप था कि फैजाबाद-अयोध्या लोकसभा सीट की तरह मिल्कीपुर में भी हार के डर से भाजपा चुनाव टाल रही है।
कोर्ट की उलझन में फंसी तारीख
मगर मिल्कीपुर की कहानी कुछ और ही थी। भाजपा के पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में अपनी हार के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी थी। उनका मुकदमा अवधेश प्रसाद की जीत को चुनौती दे रहा था। इस लंबित मुकदमे के कारण ही चुनाव आयोग मिल्कीपुर में उपचुनाव की तारीख तय नहीं कर पा रहा था। कार्तिक पूर्णिमा की छाया तो नौ सीटों पर थी, मगर मिल्कीपुर पर तो कोर्ट-कचहरी का साया पड़ा हुआ था।