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सुल्तानपुर की हॉट सीट क्या मेनका गांधी होंगी रिपीट?

यूं तो देश में अनेक लोकसभा क्षेत्र कई दशक से किसी न किसी राजनीतिक दल के मजबूत गढ़ बने हुए हैं. लेकिन यूपी की सुल्तानपुर सीट सियासी मामलों में अहम मानी जाती है.

सुल्तानपुर की हॉट सीट क्या मेनका गांधी होंगी रिपीट?

यूं तो देश में अनेक लोकसभा क्षेत्र कई दशक से किसी न किसी राजनीतिक दल के मजबूत गढ़ बने हुए हैं. लेकिन यूपी की सुल्तानपुर सीट सियासी मामलों में अहम मानी जाती है. 2014 से बीजेपी की कब्जे वाली सीट में से बीजेपी ने सबसे सीनियर सांसदों में से एक मेनका गांधी पर एक बार फिर दांव आजमाया है, हालांकि  इस सीट पर कांग्रेस कई बार जीत चुकी है, लेकिन इस बार मेनका गांधी की टक्कर समाजवादी पार्टी या बीएसपी से मानी जा रही है. क्योंकि कांग्रेस और SP यहां पर गठबंधन में है. 80% हिंदू और 20 % मुस्लिम वोटर वाली सीट पर बीजेपी का पलड़ा भारी लगता है. 

सुल्तानपुर में लगेगी हैट्रिक

सुल्तानपुर को उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र के अहम जिलों में शुमार किया जाता है. यह शहर अमेठी जिले से सटा हुआ है और राजनीतिक रूप से विशेष पहचान भी रखता है. सुल्तानपुर लोकसभा सीट भी गांधी परिवार की वजह से जानी जाती है. पिछले 2 चुनाव से गांधी परिवार सुल्तानपुर सीट से जीत रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी ने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की थी. एक समय सुल्तानपुर का नाम कुशभवनपुर था और बाद में यह सुल्तानपुर हो गया.

सुल्तानपुर संसदीय सीट की अपनी एक खासियत है, बीजेपी के देवेंद्र बहादुर को छोड़ दें तो दूसरा कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो इस सीट पर दूसरी बार सांसद बनने में कामयाब रहा हो. यही वजह रही कि इस सीट पर किसी एक नेता का कभी दबदबा नहीं रहा.

सुल्तानपुर का सियासी समीकरण

हिंदू वोटर - 80 %
मुसलमान वोटर -20 %

सुल्तानगंज लोकसभा सीट से मेनका गांधी एक बार फिर मैदान में हैं. वो यहां से बीजेपी के टिकट पर दूसरी बार चुनाव लड़ रही हैं. उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राम भुआल निषाद से है. राम भुआल पहले बीजेपी में ही थे. बीजेपी से पहले वो बहुजन समाज पार्टी में थे. राम भुआल दो बार विधायक और बीएसपी सरकार में राज्यमंत्री रहे हैं. सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर कुल 9 प्रत्याशी मैदान में हैं. बीएसपी ने उदराज वर्मा को उतारा है. दो निर्दलीय भी मैदान में हैं. यहां छठे चरण में 25 मई को वोट डाले जाएंगे.

सुल्तानपुर लोकसभा सीट का सियासी समीकरण

सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र अयोध्या, प्रयागराज और वाराणसी जैसे धार्मिक शहरों के केंद्र में आता है. इस सीट की खासियत यह है कि बीजेपी के देवेंद्र बहादुर को छोड़कर कोई और नेता यहां से दोबारा नहीं चुना गया. इसी वजह से सुल्तानपुर सीट पर कभी भी किसी एक नेता का दबदबा नहीं रहा है. अब देखना होगा कि मेनका गांधी देवेंद्र बहादुर के इतिहास को दोहरा पाएंगी या नहीं.

2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव यानी कुल मिलाकर लगातार तीन चुनावों में बीएसपी दूसरे स्थान पर रही है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एकसाथ आ चुकी हैं. ऐसे में सपा-कांग्रेस का गठबंधन मेनका गांधी के विजयी रथ को रोक सकते हैं.