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ईरान के 200 मिसाइलों का जवाब देगा इजरायल... इजरायली वॉर कैबिनेट की मीटिंग में हुआ फैसला...

इजरायल पर ईरान के हमले के बाद रविवार को इजरायली वॉर कैबिनेट की मीटिंग में इस बात पर सहमति बनी है कि ईरान को जवाब दिया जाना चाहिए। कैबिनेट की बैठक में इस बात पर फैसला नहीं हो पाया है की यह कब और कैसे होगा।

ईरान के 200 मिसाइलों का जवाब देगा इजरायल... इजरायली वॉर कैबिनेट की मीटिंग में हुआ फैसला...

इजरायल पर ईरान के हमले के बाद रविवार को इजरायली वॉर कैबिनेट की मीटिंग में इस बात पर सहमति बनी है कि ईरान को जवाब दिया जाना चाहिए। कैबिनेट की बैठक में इस बात पर फैसला नहीं हो पाया है की यह कब और कैसे होगा।

इसरायली सेना के मुताबिक शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात को ईरान की तरफ से दाग़े गए 99 फ़ीसदी मिसाइलों और ड्रोन्स को निशाने पर पहुंचने से पहले ही गिरा दिया गया। ईरान ने कहा है कि दो सप्ताह पहले सीरिया में उसके वाणिज्य दूतावास पर हुए जानलेवा हमलों के जवाब में उसने इसराइल पर हमला किया है। ईरान ने सीरिया में हुए हमले के लिए इसराइल को ज़िम्मेदार ठहराया था। लेकिन ये संघर्ष अब यहां से कौन-सा मोड़ लेगा, ये इस बात पर निर्भर करता है कि ईरान के हमले का इसराइल किस तरह जवाब देगा। इस इलाक़े के दूसरे देशों के साथ-साथ दुनिया के और मुल्कों ने संयम बरतने की अपील की है। इनमें वो देश भी शामिल हैं जो ईरानी सत्ता को पंसद नहीं करते।

इजरायल पर हुए हमले के बाद इसरायल पहले ही साफ़ कर चुका है कि उसने इस हमले की "कड़ी प्रतिक्रिया देने" की कसम खाई है। इसरायली इतिहास में ईरान की सरकार को सबसे कट्टरपंथी सरकार कहा जाता है। बीते साल सात अक्टूबर को दक्षिणी इसराइल पर हुए हमास के हमले का इसराइल ने कड़ा जवाब दिया था। उसने ग़ाज़ा पट्टी पर हमला किया और बीते छह महीनों में वहां भीषण तबाही मचाई है। ईरान की तरफ से हुए सीधे-सीधे हमले को इसराइल की वॉर कैबिनेट ऐसे ही छोड़ देगी ऐसा नहीं लगता। भले ही बेहद सुनियोजित तरीके से चलाए गए इस हमले का ज़मीनी स्तर पर कम ही असर देखा गया। इजरायल के संभावित हमले को देखते हुए दुनिया सहमी हुई है। कई रक्षा विषेशज्ञ जो विश्व युद्ध की संभावना से इनकार कर रहे थे उनकी सांसे थम गई हैं। ईरान ने बगैर रुस को अपने हक में लिए बगैर इस तरह का हमला कर ही नहीं सकता।

ईरान ने साबित किया है की उसका किसी के साथ कोई लेना देना नहीं है। यहां तक की इस्लाम या मुस्लिम के साथ भी नहीं। इजरायल के जीना अल खनुनी के ऊपर किए गए हमले से 7 साल की लड़की घायल हो गई जो बिस्तर से हिल भी नहीं सकती थी। वहीं इजरायल ने ईरान के मिसाइल को अक्सा मस्जिद के ऊपर इंटरसेप्ट किया। इससे ईरान क्षेत्र में जंग की आग बढ़ाना चाहता है उसे इससे मतलब नहीं है की वहां पवित्र जगह है।

इजरयाल के समर्थन में अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस और नाटो देशों की सेनाएं अदन की खाड़ी में डेरा डाले हुए हैं। ऐसे में इजरायल के पास कई विकल्प है। इजरायल के किसी भी विकल्प के अपनाने को ईरान इस संघर्ष को आगे बढ़ाने की तरह देखेगा, क्योंकि ये पहली बार होगा जब इसराइल सीधे-सीधे ईरान में उसके ठिकानों को निशाना बनाएगा। न कि इलाक़े के दूसरे देशों में मौजूद उसके प्रॉक्सी पर हमले करेगा। हालांकि, बाद वाले दोनों विकल्पों में ही ये जोखिम है कि ये ईरान को बदला लेने के लिए उकसा सकते हैं। क्या इन सब में अमेरिका को भी घसीटा जाएगा। इससे क्षेत्र में ईरान और अमेरिकी सेना के बीच व्यापक पैमाने पर जंग शुरू होने का ख़तरा हो सकता है। अमेरिका के पास खाड़ी के सभी छह अरब देशों के साथ-साथ सीरिया, इराक़ और जॉर्डन में सैन्य ठिकाने हैं। ये सभी ठिकाने अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद ईरान के बैलिस्टिक और अन्य मिसाइलों के जखीरे का निशाना बन सकते हैं। जिन्हें ईरान सालों से बना रहा है। अगर आने वाले वक्त में उस पर हमला होता है तो ईरान भी ऐसा कुछ कर सकता है, जिसकी धमकी वह लंबे समय से देता आ रहा है। वह माइन्स, ड्रोन्स और तेज़ी से हमला करने वाले क्राफ्ट के इस्तेमाल से रणनीतिक रूप से अहम होर्मुज़ स्ट्रेट को बंद करने की कोशिश कर सकता है। इससे दुनिया भर में कुल तेल आपूर्ति के क़रीब एक चौथाई हिस्से के अटकने की आशंका है।