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Radha Ashtami: आप के सारे बिगड़े काम बना देंगी राधारानी, इस बार राधा अष्टमी में जरूर कीजिएगा ये काम !

यह त्यौहार भाद्रपद माह (सितंबर-अक्टूबर) के शुक्ल पक्ष के दौरान अष्टमी तिथि को पड़ता है।

Radha Ashtami: आप के सारे बिगड़े काम बना देंगी राधारानी, इस बार राधा अष्टमी में जरूर कीजिएगा ये काम !

भगवान विष्णु या उनके किसी अवतार को समर्पित सभी त्योहारों में से राधाष्टमी का त्योहार अत्यंत महत्वपूर्ण है। राधाष्टमी या राधा अष्टमी, वृन्दावन की रानी राधा उर्फ राधारानी के प्राकट्य दिवस का प्रतीक है। बरसाना (उत्तर प्रदेश, भारत) में जन्मी, वह दिव्य पत्नी, सबसे करीबी दोस्त और हरि के चरण कमलों में समर्पित सबसे प्रिय भक्त हैं।

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यह त्यौहार भाद्रपद माह (सितंबर-अक्टूबर) के शुक्ल पक्ष के दौरान अष्टमी तिथि को पड़ता है। इस दिन भक्त विशेष रूप से वैष्णव संप्रदाय के लोग, उपवास रखते हैं और श्री कृष्ण के साथ उनकी पूजा करते हैं। वे कई आध्यात्मिक गतिविधियों में भी शामिल होते हैं, जैसे कृष्ण कथा का पाठ करना या चर्चा करना, विशेषकर कृष्ण और गोपिकाओं की लीलाओं पर। भगवद पुराण (श्रीमद्भागवतम) जैसे ग्रंथों में कहा गया है कि इस दिन श्रीमती राधारानी और कृष्ण की लीलाओं को सुनने से विस्तृत वैदिक यज्ञ और अग्नि यज्ञ करने से प्राप्त फल से अधिक फल मिलता है।

राधा अष्टमी कब है? तिथि और मुहूर्त (दिनांक एवं समय)

11 सितंबर 2024, बुधवार को राधा अष्टमी
मध्याह्न समय - सुबह 11:03 बजे से दोपहर 01:32 बजे तक अवधि - 02 घंटे 29 मिनट
अष्टमी तिथि आरंभ - 10 सितंबर 2024 को रात्रि 11:11 बजे से
अष्टमी तिथि समाप्त - 11 सितंबर 2024 को रात्रि 11:46 बजे

राधा अष्टमी पूजा विधि और व्रत विधि 

• दिन की शुरुआत सकारात्मक सोच के साथ करें
• गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करके स्वयं को शुद्ध करें
• अपनी पूजा वेदी पर राधारानी की मूर्ति स्थापित करें और दोपहर 12 बजे मूर्ति की पूजा करें
• संकल्प लें और अपनी इच्छा बताएं जिसके लिए आप व्रत रख रहे हैं
• राधा स्तुति और राधा चालीसा के बाद राधा अष्टमी व्रत कथा का पाठ करें
• शाम को भजन गाकर और तेल का दीपक जलाकर देवता का आह्वान करें
• आरती करें और देवी को भोग लगाएं
• अगले दिन ब्राह्मणों और विवाहित स्त्रियों को भोजन कराएं। बाद में प्रसाद खाकर व्रत खोलें।

इस मंत्र का करें जाप

ओम ह्रीं श्रीराधिकायै नमः ।

या

नमस्त्रैलोक्यजननि प्रसीद करुणार्णवे। 
ब्रह्मविष्ण्वादिभिर्देवैर्वन्द्रद्यमान पदाम्बुजे ।।