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Mirzapur 3 Review in Hindi: मिर्जापुर 3 में कॉमेडी में दम हुआ कम, लेकिन एक्टिंग भर देगी सारे स्लॉट

Mirzapur 3 Review in Hindi:मिर्जापुर सीजन-2 में पीछे छूटे कई सवालों के जवाब के लिए सीजन 3 का बेसब्री से इंतजार था। तो इंतजार खत्म हुआ और मिर्जापुर-3 अमेजॉन प्राइम पर आ चुकी है। एक बार भी से गुड्डू भइया की गदर देखने के लिए फैंस एक्साइटेड हैं। कैसा है सीजन 3, क्या नया और क्या रोमांच है, आइए आपको बताते हैं।

Mirzapur 3 Review in Hindi: मिर्जापुर 3 में कॉमेडी में दम हुआ कम, लेकिन एक्टिंग भर देगी सारे स्लॉट
Mirzapur 3 Review in Hindi

Mirzapur 3 Review in Hindi:मिर्जापुर सीजन-2 में पीछे छूटे कई सवालों के जवाब के लिए सीजन 3 का बेसब्री से इंतजार था। तो इंतजार खत्म हुआ और मिर्जापुर-3 अमेजॉन प्राइम पर आ चुकी है। एक बार भी से गुड्डू भइया की गदर देखने के लिए फैंस एक्साइटेड हैं। कैसा है सीजन 3, क्या नया और क्या रोमांच है, आइए आपको बताते हैं।

मिर्जापुर 3 हिट, बाहुबली फिट

मिर्जापुर सीरीज में गुड्डू पंडित सबसे पसंदीदा किरदार में से एक है। एक्टर अली फजल के जीवन के सबसे अहम किरदार है। जैसा की हम जानते हैं कि गुड्डू भइया पहले बागी बने, फिर गुंडे, फिर गैंगस्टर बने। लेकिन अब उन्हें बाहुबली बनना है। ‘मिर्जापुर 3’ की शुरुआत होती है, गोलू (श्वेता त्रिपाठी) से, जो कालीन भैया उर्फ अखंडानंद त्रिपाठी या उनकी डेड बॉडी मिले बिना सांस नहीं लेगा। गुड्डू ने तो दुश्मनों की लाइन लगा रखी है, तो गोलू के हिस्से भी एक दिलजला आया है, वो है भरत त्यागी। उसका जुड़वा छोटा भाई, शत्रुघ्न. गोलू के चक्कर मे पड़कर भाई खो चुका शत्रुघ्न अब आशिकी में केकड़ा बनने जा रहा है। पंडित परिवार के सिर नया दुख आया है। एडवोकेट रमाकांत पंडित (राजेश तैलंग) ने सीजन 2 में गुड्डू को बचाने के लिए एस. एस. पी. मौर्या की हत्या की थी। अब वकील साहब स्वयं जेल में हैं और कैदियों को देखकर उनकी नैतिकता का कांटा डगमगाने लगा है। उनका घर अब उनकी बेटी का प्रेमी रॉबिन (प्रियांशु पैन्युली) के जिम्मे है।

बाहुबली वर्सेस पॉलिटिक्स का डर देखकर आएगा मजा

कालीन भैया की पत्नी बीना (रसिका दुग्गल), त्रिपाठी परिवार के आखिरी चिराग को मिर्जापुर की आंधियों से बचाने में जुटी हैं। गुड्डू को उनका फुल सपोर्ट है और उधर लखनऊ में स्वर्गीय मुन्ना त्रिपाठी की पत्नी, मुख्यमंत्री माधुरी यादव (ईशा तलवार) के सामने भी सर्वाइवल का सवाल बहुत तगड़ा है। माधुरी को अपने पिता की परंपराओं पर चल रहे उनके पॉलिटिकल साथियों और दुश्मनों से निपटना है। वो प्रदेश को भयमुक्त प्रदेश भी बनाना चाहती है और बाहुबलियों में कानून का भय भी भरना चाहती है। मगर बदले और ईगो के ईंधन से हॉर्सपावर जेनरेट करने वाली इस प्रजाति का इलाज पॉलिटिक्स से होना नामुमकिन ही है।

खून-खच्चर ‘मिर्जापुर’ का एक ट्रेडमार्क

‘मिर्जापुर’ सीरीज का सबसे बड़ा एक ट्रेडमार्क खून-खच्चर है। हालांकि ये कहना जरुरी है कि पहले सीजन से तीसरे तक आते-आते इसका इस्तेमाल अब ज्यादा समझदारी से होने लगा है। ‘मिर्जापुर 3’ की खासियत इसकी इंटेलिजेंस है। पिछले दो सीजन के मुकाबले, अब किरदार दिमाग ज्यादा लगा रहे हैं, यहां तक कि गुड्डू भी. वायलेंस गुड्डू की यूएसपी है, ये बात शो के राइटर्स ने भी समझी है और इसे ध्यान से इस्तेमाल किया है। लेकिन गुड्डू को हमेशा भभकते देखने की इच्छा रखने वालों को ये बात थोड़ी कम पसंद आएगी। हालांकि, शो के अंत में जेल के अंदर डिजाइन एक फाइट सीक्वेंस में इसकी पूरी भरपाई है।

‘मिर्जापुर 3’ में कॉमिक रिलीफ पहले दो सीजन के मुकाबले काफी कम है। मिर्जापुर में शुरू से ही कई कहानियां आपस में क्रॉस होती हैं, इस बार इसे बहुत बेहतर तो डील किया गया है, मगर शत्रुघ्न त्यागी का सब-प्लॉट और एक्सप्लोर किया जाना चाहिए था। सीजन 2 में भी त्यागियों का मामला अधूरा सा रह गया था, इस बार भी वो मेन मुद्दे में बहुत ज्यादा योगदान नहीं दे पाए। ‘मिर्जापुर 3’ में सबसे ज्यादा मजा आता है महिला किरदारों को देखते हुए. बीना, माधुरी, गोलू, रधिया और जरीना अपनी-अपनी रौ में दमदार लगते हैं। डायरेक्टर्स गुरमीत सिंह और आनंद अय्यर के साथ-साथ राइटर्स की टीम को इसके लिए क्रेडिट दिया जाना चाहिए।

एक्टिंग देखकर आएगा मजा

मिर्जापुर से लाख शिकायतें हों, मगर एक्टर्स के काम के मामले में इस शो का लेवल बहुत ऊपर है। अली फजल, पंकज त्रिपाठी, रसिका दुग्गल और श्वेता त्रिपाठी तो पहले ही सीजन से लगातार फॉर्म में हैं। ये अपने किरदारों में आधा रत्ती भी गलती नहीं करते, लेकिन इस बार अंजुम शर्मा और ईशा तलवार ने अपने किरदारों को, परफॉरमेंस से कमाल का वजन दिया है।