बिश्नोई समाज करता है 29 नियमों का पालन, सलमान खान ने तोड़े थे 9 नियम
बिश्नोई समाज, जो गुरु जंभेश्वर के 29 नियमों का पालन करता है, जीवन और प्रकृति के प्रति गहरी श्रद्धा रखता है। यह समाज अपने सदस्यों को जीवों के प्रति दया और संरक्षण के मूल्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है। हाल ही में, सलमान खान का विवाद इस समाज के नैतिक नियमों के उल्लंघन से जुड़ा हुआ है।
बिश्नोई समाज, जो अपने अद्भुत नैतिक नियमों और जीव संरक्षण के लिए जाना जाता है, के अनुयायी वे लोग हैं जो गुरु जंभेश्वर के 29 नियमों का पालन करते हैं। इन नियमों में जीवन के प्रति एक अनोखी सोच और प्रकृति के प्रति गहरी श्रद्धा शामिल है। इनमें से 9 नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान विवादों में रहे हैं।
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बिश्नोई पंथ की स्थापना
गुरु जंभेश्वर का जन्म 28 अगस्त 1451 को राजस्थान के पीपासर गांव में हुआ। सात वर्ष की उम्र में बोलना शुरू करने के बाद, उन्होंने एक अद्भुत आध्यात्मिक यात्रा का आरंभ किया। 34 वर्ष की आयु में, उन्होंने बिश्नोई पंथ की स्थापना की, जिसमें 29 नियमों की एक आचार संहिता तैयार की गई। ये नियम व्यक्ति के स्वास्थ्य, जानवरों की रक्षा, समाज की भलाई और आध्यात्मिक विकास पर केंद्रित हैं।
बिश्नोई समाज का जीवों के प्रति संवेदनशीलनता
बिश्नोई समाज के लोग जीवों के प्रति दया का पालन करते हैं और उनके लिए अपने प्राणों की आहुति देने तक को तैयार रहते हैं। जैसे कि 1730 में करमा और गौरा की शहादत, जो अपने समुदाय के काले हिरणों की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की बलि चढ़ा दी थीं। इस धरोहर का संरक्षण करते हुए, बिश्नोई समाज ने हरियाणा में अंग्रेजी अधिकारियों के खिलाफ भी आवाज उठाई थी, जब उन्होंने काले हिरणों का शिकार किया था।
क्या है सलमान खान का विवाद
सलमान खान का विवाद 1998 में शुरू हुआ, जब उनकी फिल्म "हम साथ-साथ हैं" की शूटिंग के दौरान उन्हें काले हिरण के शिकार का आरोप झेलना पड़ा। बिश्नोई समाज ने उनके खिलाफ FIR दर्ज करवाई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने गुरु जंभेश्वर के नियमों का उल्लंघन किया है। बिश्नोई समाज का मानना है कि यदि सलमान खान गुरु जंभेश्वर के धाम पर जाकर माफी मांगें, तो उन्हें माफ कर दिया जाएगा।
बिश्नोई समाज के नियम
बिश्नोई समाज के 29 नियम केवल एक धार्मिक आचार संहिता नहीं, बल्कि जीवन के प्रति एक संपूर्ण दृष्टिकोण हैं। ये नियम मानवता, प्रकृति और जीवन के प्रति गहरी श्रद्धा की भावना को दर्शाते हैं। आज, बिश्नोई समाज के अनुयायी भारत के विभिन्न हिस्सों में फैले हुए हैं, जो अपने धरोहर को संजोए हुए हैं।