J&K Election Results 2024: सरकार बनने के बाद भी खाल हाथ कांग्रेस-NC ! असली ताकत उपराज्यपाल के पास, जानें कैसे
Jammu Kashmir Chunav Result Live: जम्मू-कश्मीर में एनसी-कांग्रेस गठबंधन जीतता हुआ नजर आ रहा है, लेकिन राज्य में असली शक्ति उपराज्यपाल के हाथों में है। जानिए कैसे जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून की धारा 55 एलजी को अनिवार्य रूप से शक्तिशाली बनाती है.
जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों की तस्वीर बिल्कुल साफ हो गई है। जहां एनसी-कांग्रेस के गठबंधन को पूर्ण बहुमत प्राप्त होता नजर आ रहा है। तीन चरणों में हुए चुनाव की तस्वीर एग्जिट पोल में साफ होने लगी थी। हालांकि इसी बीच सबसे ज्यादा चर्चा उन 5 मनोनीत विधायकों की हो रही थी,जिसे एलजी चुनेंगे। यानी वह बिना किसी वोट-चुनाव लड़े विधानसभा पहुंचेंगे।कुलमिलाकर कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस जीत का जश्न मना रही हो लेकिन असलियित कुछ और है। गौरतलब है,घाटी में सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद चुनाव हुआ था। ध्यान देने वाली बात ये है कि ये इलेक्शन किसी स्टेट नहीं बल्कि केंद्रशासित प्रदेश में कराया गया । ऐसे में केंद्रशासित राज्य की कमान उपराज्यपाल की होती है। आशंका भी उठन लगी है कि चुनाव कोई भी जीते लेकिन सरकार एलजी ही चलाएंगे।
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उपराज्यपाल के पास असीम शक्तियां !
बता दें, केंद्र ने राज्य सा फिर किसी विभाग के पास होने वाली शक्तियां अब एलजी को दे दी हैं। यानी उपराज्यपाल अब पुलिस से लेकर सिविल सेवा तक तबादले का फैसला करेंगे। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर में चुनी जाने वाली सरकर क्या करेगी। राज्य सरकार केवल पुलिस प्रशासनिक मकहमें नहीं बल्कि पब्लिक ऑडर्र के दायरे से भी बाहर है। वैसे तो ज्यादातर राज्यों में केंद्र-राज्य सरकार कानून बना सकती हैं लेकिन जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित राज्य है। यहां विधानसभा के पास नहीं बल्कि कानून बनाने का अधिकार और शक्तियां एलजी के पास होंगी।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून की धारा 55 !
बता दें, जम्मू-कश्मीर में एलजी की राजनीतिक शक्तियों को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून की धारा 55 से आसानी से समझा जा सकता है। जिसके मुताबिक, एलजी के किसी भी फैसले निर्णय की समीक्षा चुनी गई मंत्रिपरिषद नहीं कर सकती। अगर यह स्थिति यहीं तक रहती तो कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन कानून में एक और प्रावधान जोड़ा गया है। इसके तहत, उपराज्यपाल का प्रतिनिधि प्रदेश सरकार की सभी कैबिनेट बैठकों में शामिल होगा। यही वजह है कि विधानसभा भी उपराज्यपाल के फैसलों पर समीक्षा नहीं कर सकेगी। इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर कैबिनेट के मंत्रियों को अपनी कार्यक्रमों-बैठकों का एजेंडा एक से दो दिन पहले एलजी कार्यालय में जमा करना होगा। वहीं, एंटी करप्शन ब्यूरो, फारेंसिंक साइंस लैब जैसे महत्वूपूर्ण विभाग एलजी के आधीन होंगे। ऐसे में ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि चाहे जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-एनसी की सरकार हो लेकिन एलजी के फैसले के बिना कुछ भी संभव नहीं होगा।