गाजियाबाद की सबा हैदर ने अमेरिका में मचाई धूम, रिपब्लिकन उम्मीदवार को हराकर तीसरी बार जीती चुनावी जंग
गाजियाबाद की सबा हैदर ने अमेरिकी चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी के रूप में ड्यूपेज काउंटी बोर्ड की सीट जीतकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। यह जीत न केवल उनके परिवार बल्कि भारत के लिए भी गर्व का क्षण है, जो दुनिया के हर कोने में भारतीय महिलाओं के आत्मविश्वास और सामर्थ्य को प्रदर्शित करती है।
अमेरिका में भारत का मान बढ़ाते हुए गाजियाबाद की सबा हैदर ने डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार के रूप में ड्यूपेज काउंटी के चुनाव में अपनी तीसरी कोशिश में ऐतिहासिक जीत हासिल की है। सबा ने अपने विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी की प्रत्याशी पैटी गुस्टिन को 8,500 वोटों के अंतर से हराकर बड़ी जीत दर्ज की। यह जीत न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि गाजियाबाद और बुलंदशहर के लोगों के लिए भी गर्व का क्षण बन गई है।
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कैसे सबा हैदर अमेरिका पहुंची
सबा हैदर की शैक्षिक यात्रा गाजियाबाद के होली चाइल्ड स्कूल से शुरू हुई, जहाँ से उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद, उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से वाइल्ड लाइफ में एमएससी की डिग्री हासिल की। इसके बाद वे अमेरिका शिफ्ट हो गईं, जहाँ उन्होंने शिकागो में योग प्रशिक्षक के रूप में कार्य किया और हजारों लोगों को योग की शिक्षा दी। योग ट्रेनिंग के साथ-साथ उन्होंने सामाजिक कार्यों में भी गहरी रुचि दिखाई और विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का काम किया।
सबा हैदर का राजनीतिक सफर
सबा की राजनीति में दिलचस्पी उनके सामाजिक कार्यों में गहरी भागीदारी से पनपी। उनकी मेहनत और सामाजिक योगदान को देखते हुए 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी ने उन्हें ड्यूपेज काउंटी बोर्ड के चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया, परंतु वह उस समय केवल 1,000 वोटों से हार गईं। लेकिन इस हार ने उन्हें हतोत्साहित नहीं किया; उन्होंने इसे एक सीख के रूप में लिया और कड़ी मेहनत के साथ अपनी तैयारी जारी रखी। उनके इस दृढ़ संकल्प का परिणाम उनकी तीसरी जीत के रूप में सामने आया।
कई महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं सबा
इस जीत के साथ, सबा हैदर ने दिखा दिया कि मेहनत और समर्पण से कुछ भी संभव है। उनके इस सफर ने न केवल उनके परिवार बल्कि कई महिलाओं को प्रेरणा दी है, जो राजनीति में आकर समाज में बदलाव लाने का सपना देखती हैं। उनकी यह जीत दिखाती है कि राजनीति में महिलाओं की भागीदारी कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है और समाज के प्रति उनके योगदान को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।