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प्रसाद अपवित्र करने की घटना पर विहिप का रोष, मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करें

तिरुपति बालाजी मंदिर के महाप्रसाद में मिलावट की खबरों ने हिंदू समाज में गहरा आक्रोश फैला दिया है। विहिप ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने और समाजीकरण की मांग की है।

प्रसाद अपवित्र करने की घटना पर विहिप का रोष, मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करें

तिरुपति बालाजी मंदिर में महाप्रसाद के अपवित्र होने की घटना ने देशभर के हिंदू समाज में आक्रोश फैला दिया है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने इस घटना पर गंभीर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मंदिरों का सरकारीकरण बंद कर उन्हें समाज के हाथों में सौंपा जाना चाहिए। विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे "महापाप" करार दिया और उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है।

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महाप्रसाद में मिलावट करने वालों को मिले सजा

डॉ. जैन ने बताया कि तिरुपति मंदिर के महाप्रसाद में गाय व सूअर की चर्बी और मछली के तेल की मिलावट होने की ख़बरें सामने आ रही हैं, जिससे हिंदू समाज की धार्मिक भावनाओं को गहरा आघात पहुँचा है। उन्होंने कहा कि इस घटना के लिए दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए और ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए कि भविष्य में इस तरह के षड्यंत्र की कोई गुंजाइश न रहे।

मंदिर की आय का दुरुपयोग का आरोप

विहिप नेता ने कहा कि तिरुपति बालाजी मंदिर का संचालन आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त बोर्ड करता है, लेकिन यहां केवल महाप्रसाद निर्माण में ही नहीं, बल्कि मंदिर की आय और संपत्ति के दुरुपयोग के भी गंभीर आरोप सामने आते रहे हैं। कई बार तो हिंदू मंदिरों की चढ़ाई गई राशि का उपयोग गैर-हिंदू संस्थानों को अनुदान देने में किया गया है। उन्होंने उदाहरण दिया कि राजस्थान में जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर से 9 करोड़ 82 लाख रुपये ईदगाह को दिए गए थे, जो मंदिर की संपत्ति का स्पष्ट दुरुपयोग है।

सरकार मंदिर संचालन से रहे दूर

डॉ. जैन ने कहा कि देश में हिंदू मंदिरों को सरकारों द्वारा अपने नियंत्रण में रखकर संविधान की धारा 12, 25 और 26 का उल्लंघन किया जा रहा है। जबकि, न्यायपालिका ने कई बार स्पष्ट किया है कि सरकारों को मंदिरों के संचालन और संपत्ति की व्यवस्था से दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि 77 वर्षों की आजादी के बाद भी हिंदुओं को अपने मंदिरों के संचालन का अधिकार नहीं दिया जा रहा है, जबकि अल्पसंख्यक समुदायों को अपने धार्मिक संस्थान चलाने की अनुमति है।

मंदिरो को संतो को सौंपा जाए

विहिप ने मांग की है कि सभी मंदिरों को अविलंब मुक्त कर हिंदू संतों और भक्तों को सौंपा जाए, ताकि उनकी पवित्रता और धार्मिक महत्त्व बनाए रखा जा सके। विहिप ने चेतावनी दी है कि अगर सरकारें मंदिरों को समाज को वापस नहीं करेंगी, तो उन्हें बड़े आंदोलन का सामना करना पड़ेगा। डॉ. जैन ने कहा, "हम मंदिरों का सरकारीकरण नहीं, समाजीकरण चाहते हैं, तभी हिंदुओं की आस्था का सम्मान हो सकेगा।"