Haryana Elections 2024: कांग्रेस का 'जाट कार्ड', विनेश फोगाट ने थामा हाथ, क्या है सियासी गणित, यहां समझें
Vinesh Phogat Joins Congress News: महिला पहलवान विनेश फोगाट के कांग्रेस ज्वाइन करने की अटकलें काफी समय थी जिस पर बीते दिन मुहर लग गई। इसी बीच विनेश फोगाट ने रेलवे की नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। जिसकी जानकारी उन्होंने एक्स पर दी। विनेश ने ट्वीट करते हुए लिखा कि- 'भारतीय रेलवे की सेवा मेरे जीवन का एक यादगार और गौरवपूर्ण समय रहा है। जीवन के इस मोड़ पर मैंने स्वयं को रेलवे सेवा से पृथक करने का निर्णय लेते हुए अपना त्यागपत्र भारतीय रेलवे के सक्षम अधिकारियों को सौप दिया है। राष्ट्र की सेवा में रेलवे द्वारा मुझे दिये गये इस अवसर के लिए मैं भारतीय रेलवे परिवार की सदैव आभारी रहूँगी।'
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विनेश के साथ बजरंग पूनिया ने थामा कांग्रेस का दामन
बता दें, ओलपिंक में पदक जीतने से चूंकी विनेश फोगाट के साथ बजरंग पूनिया भी कांग्रेस का दामन थाम लिया है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि पार्टी विनेश को जुलाना विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतार सकती हैं। ये इसलिए भी क्योंकि जुलान विनेश फोगाट का ससुराल है। इससे पहले विनेश कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने उनके घर पहुंची थीं।
राजनीति में क्यों आना चाहती विनेश फोगाट
विनेश फोगाट का कांग्रेस का दामन थामना हरियाणा की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती हैं। दरअसल, उनके खाप पंचायतों,किसान संगठनों के साथ अच्छे रिश्ते हैं। जो आगामी चुनाव में कांग्रेस के लिए तुरुप का इक्के की तरह काम कर सकते हैं। वहीं, आने वाले वक्त में विनेश फोगाट चुनाव लड़ती हैं या नहीं इस पर तो पार्टी फैसला करेगी लेकिन कांग्रेस में उनका शामिल होने हरियाणा की राजनीति में अहम मोड़ ला सकता है। गौरतलब है, जब 100 ग्राम वजन ज्यादा होने पर विनेश फोगाट को ओलंपिक से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने फोगाट को राज्यसभा भेजना का मुद्दा जोरों-शोरों से उठाया था। जिसके बाद से कयास थे कि कांग्रेस हरियाणा आगामी विधानसभा चुनावों में विनेश फोगाट को उतार सकती है। वहीं, फाइनल मुकाबले से बाहर होने पर देशभर से उन्हें साहनूभति मिली थी। इससे इतर वह बीते दिनों शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों से मिलने पहुंची थीं। जहां उनका जगह-जगह स्वागत किया था।
हरियाणी राजनीति की दिशा बदलेंगी फोगाट
बता दें, हरियाणा की पॉलिटिक्स जाट बनाम गैर जाट पर होती है। अगर आकंड़ों पर नजर डालें तो बीते 10 सालों में जब बीजेपी की सरकार बनीं को खट्ट और नायब सिंह जैसे गैर जाट चेहरों को मौका दिया गया। जबकि 2005- 2014 तक कांग्रेस ने जाट चेहरे पर दांव लगाया था और मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बनाया। सवाल ये है कि पॉपुलैरिटी के अलावा विनेश और बजरंग पूनिया कांग्रेस के लिए क्यों जरूरी है। जिसका मुख्य कारण हैं उनका जाट बिरादरी से आना। हरियाणा में रोहतक, हिसार,भवानी, सोनीपत, जींद, कैथत से सिरसा तक का इलाका चुनावों की बाजी पलट सकता है। इस क्षेत्रों में आने वाले 90 सीटों में 36 विधानसभा सीटों जाट बहुल है। ऐसे में विनेश फोगाट सहानुभूति लहर के दम पर जाट वोटों का बड़ा हिस्सा कांग्रेस के पक्ष में कर सकती हैं।