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घूमर नृत्य राजस्थान की शान

राजस्थान के सबसे लोकप्रिय लोक नृत्यों में से एक घूमर  है. इसे मनोरंजन के रूप में प्रदर्शित किया जाता था. यह नृत्य भील जनजाति द्वारा पेश किया गया था और बाद में राजपूतों सहित शाही समुदायों ने अपनाया है. इस नत्य को होली, तीज जैसे त्योहारों में किया जाता है.

घूमर नृत्य राजस्थान की शान

लोक नृत्य भारत की परंपरा और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और उनका महत्व हमेशा से बहुत बड़ा रहा है और आगे भी रहेगा क्योंकि वे हमारे देश की संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलू हैं। दूर-दराज के स्थानों में, भारतीय कला के ये रूप और प्रतिनिधित्व भारत को प्यार, प्रसिद्धि और सम्मान दिलाते हैं। राजस्थान के सबसे लोकप्रिय लोक नृत्यों में से एक घूमर  है. इसे मनोरंजन के रूप में प्रदर्शित किया जाता था. यह नृत्य भील जनजाति द्वारा पेश किया गया था और बाद में राजपूतों सहित शाही समुदायों ने अपनाया है. इस नत्य को होली, तीज जैसे त्योहारों में किया जाता है.

 घूमर राजस्थान का एक लोकप्रिय लोक नृत्य है जो राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करता है. इसे राजस्थान की जनजातियों के लिए नारीत्व का प्रतीक कहा जाता है। इसका नाम घाघरा के घूमने शब्द से लिया गया है. घागरा राजस्थानी महिलाओं की लंबी स्कर्ट को कहा जाता है.

घूमर नृत्य राज्य नृत्य घोषित

घूमर को 1986 में राज्य नृत्य घोषित किया गया है. यह नृत्य राजस्थान का एक पारंपरिक लोक नृत्य है. इस नृत्य को मुख्य रूप से घूंघट वाली महिलाओं द्वारा किया जाता है, जो घाघरा नाम की घूमने वाली पोशाक पहनती हैं. राजस्थान में घूमर विशेष अवसरों जैसे विवाहों, त्योहारों और धार्मिक अवसरों पर किया जाता है.

घूमर का महत्व

घूमर भील जनजाति का पारंपरिक लोक नृत्य है, जो मां सरस्वती की पूजा करने के लिए किया जाता है. जिसे बाद में राजस्थानी समुदायों द्वारा अपना लिया गया . घूमर राजपूत राजाओं के शासनकाल के दौरान राजस्थान में लोकप्रिय हो गया और आम तौर पर सभाओं के दौरान महिलाओं द्वारा प्रदर्शन किया जाता है. इस नृत्य में स्त्रियां एक बड़ा सा घेरा बनाकर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत करती हैं. इसकी सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि महिलाएं रंगीन वस्त्र पहनती हैं. घूँघट होने के बाद भी वो बड़ी खूबसूरती के साथ नाचती हैं. इस नृत्य में महिलाएं प्रदर्शन करती हैं. तो वहीं पुरुष मंजीरा, तानपुरा और चौतारा जैसे वाद्य यंत्र बजाते हैं. नृत्य में 13 मंजीरों का प्रयोग किया जाता है. घूमर नारीत्व का प्रतीक है। इस नृत्य में युवा लड़कियाँ भाग लेती हैं और घोषणा करती हैं कि वे महिलाओं के स्थान पर कदम रख रही हैं.