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Sawan Pradosh Vrat: कल है सावन प्रदोष व्रत? जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा-विधि और व्रत के दौरान कब करें रुद्राभिषेक?

Sawan Pradosh Vrat: वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 1 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 28 मिनट से होगा। इस तिथि की समाप्ति 2 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 26 मिनट पर होगी। 

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सावन के पावन महीने में पड़ने वाला प्रदोष व्रत बेहद खास बताया जाता है। हम ये जानते हैं कि हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। जिसमें भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है। इस बार सावन का पहला प्रदोष व्रत श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा।

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प्रदोष व्रत भोले नाथ को समर्पित है और जब ये सावन में होता है, तो इसकी महत्ता यूं ही बढ़ जाती है। तो चलिए आपको सावन के प्रदोष व्रत के बारे में पूरी जानकारी देते हैं।

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कब है सावन का पहला प्रदोष व्रत?

वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 1 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 28 मिनट से होगा। इस तिथि की समाप्ति 2 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 26 मिनट पर होगी। इस व्रत की तारीख का निर्धारण प्रदोष व्रत के पूजा मुहूर्त को देखकर किया जाता है क्योंकि इस व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष काल के आधार पर सावन का पहला प्रदोष व्रत 1 अगस्त गुरुवार को रखा जाएगा। इस वजह से यह गुरु प्रदोष व्रत है।

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कब रहेगा गुरु प्रदोष व्रत का मुहूर्त?

इस बार 1 अगस्त को पड़ने वाले गुरु प्रदोष व्रत की पूजा के लिए 2 घंटे 6 मिनट का शुभ मुहूर्त प्राप्त होगा। उस दिन प्रदोष पूजा का मुहूर्त शाम 7 बजकर 12 मिनट से रात 9 बजकर 18 मिनट तक है।

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शाम में क्यों करते हैं प्रदोष व्रत की पूजा?

पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि व्रत को सूर्यास्त के बाद से जब प्रदोष काल शुरू होता है तो भगवान शिव प्रसन्न होकर कैलाश पर नृत्य करते हैं। महादेव प्रसन्न हैं और उस समय में उनकी विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें, तो भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा और मनोकामनाएं भी पूरी हो सकती हैं। इस वजह से ही प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा शाम के समय में करते हैं।

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गुरु प्रदोष व्रत पर रुद्राभिषेक कब करें?

गुरु प्रदोष व्रत के दिन आप सूर्योदय के बाद से कभी भी रुद्राभिषेक कर सकते हैं। हालांकि इस बार गुरु प्रदोष व्रत के अवसर पर शिववास नंदी पर सुबह से लेकर दोपहर 3 बजकर 28 मिनट तक है। उसके बाद से शिववास भोजन में है।

 

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क्या है गुरु प्रदोष व्रत का महत्व?

माना जाता है कि जो भी व्यक्ति पूरे विधि विधान से गुरु प्रदोष का व्रत रखता है, उसे शत्रुओं से कोई हानि नहीं होता है। गुरु प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और उनका विनाश होता है। जीवन में सुख और समृद्धि पाने के लिए गुरु प्रदोष व्रत करना चाहिए। इससे आपको भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा।