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अपना घर बचा पाएंगे अशोक गहलोत या बीजेपी मारेगी हैट्रिक, चुनाव से पहले बनने लगे समीकरण

राजस्थान का जोधपुर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का अपना घर है, बावजूद इसके कांग्रेस यहां बुरे दौर से गुजर रही है. बीते 16 वर्षों में जोधपुर लोकसभा सीट पर कुल 4 चुनाव हुए हैं. इनमें कांग्रेस मुश्किल से एक बार जीत पाई है. वहीं बाकी तीनों बार बीजेपी के उम्मीदवार जीतते रहे हैं. दो बार से गजेंद्र सिंह शेखावत यहां से जीत रहे हैं और इस बार वह हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में उतरे हैं.

अपना घर बचा पाएंगे अशोक गहलोत या बीजेपी मारेगी हैट्रिक, चुनाव से पहले बनने लगे समीकरण

राजस्थान का जोधपुर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का अपना घर है, बावजूद इसके कांग्रेस यहां बुरे दौर से गुजर रही है. बीते 16 वर्षों में जोधपुर लोकसभा सीट पर कुल 4 चुनाव हुए हैं. इनमें कांग्रेस मुश्किल से एक बार जीत पाई है. वहीं बाकी तीनों बार बीजेपी के उम्मीदवार जीतते रहे हैं. दो बार से गजेंद्र सिंह शेखावत यहां से जीत रहे हैं और इस बार वह हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में उतरे हैं.

16 वर्षों में कांग्रेस एक बार जीती चुनाव

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलोत के गढ़ जोधपुर में ही कांग्रेस का बुरा हाल है. राज्य के दूसरे सबसे बड़े जिले में बीते 16 वर्षों में कुल 4 लोकसभा चुनाव हुए हैं. इनमें तीन चुनावों में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा है. एक बार मुश्किल से एक बार कांग्रेस और तीन बार बीजेपी के उम्मीदवारों को जीत मिली है. अब चूंकि 2024 में एक बार फिर से लोकसभा चुनाव की विसात बिछ चुकी है. ऐसे में देखने की बात है कि खुद को जादूगर होने का दावा करने वाले गहलोत यहां कुछ जादू दिखाते हैं या फिर से इस सीट को बीजेपी की झोली में जाते हुए देखेंगे.

1952 में हुआ था पहला आम चुनाव

इस लोकसभा सीट पर साल 1952 में पहला चुनाव हुआ था. इसमें स्वंतत्र प्रत्याशी जसवंत राज मेहता सांसद चुने गए थे. हालांकि 57 में यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार जीते. फिर 1962 के चुनाव में यहां से स्वतंत्र उम्मीदवार लक्ष्मीमल सिंघवी चुने गए. वहीं 67 में कांग्रेस के नरेंद्र कुमार सांधी तो 71 में फिर स्वतंत्र उम्मीदवार कृष्णा कुमारी को जीत मिली. 77 के चुनाव में यह सीट जनता पार्टी के रणछोड़ दास गट्टनी ने झटक ली. फिर 1980 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार यहां से अशोक गहलोत लड़े और लगातार दो चुनाव जीतते रहे.

दो बार से लगातार जीत रहे शेखावत

हालांकि 89 में उन्हें बीजेपी के जसवंत सिंह ने पटखनी दे दी. फिर 1991 के बाद 96 व 98 में अशोक गहलोत ने जीत कर कांग्रेस का झंडा बुलंद किया. 99 और 2004 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के जसवंत विश्नोई यहां से चुने गए. हालांकि 2009 में कांग्रेस की चंद्रेश कुमारी ने यह सीट फिर से जीत कर कांग्रेस की झोली में डाल दी. उसके बाद 2014 और 2019 के चुनाव में यहां से बीजेपी के गजेंद्र सिंह शेखावत लगातार जीतते रहे हैं. बीजेपी ने एक बार फिर उन्हें 2024 में भी उम्मीदवार घोषित किया है. इस वह इस सीट पर हैट्रिक लगाने के लिए चुनावी मैदान में उतर रहे हैं.

जोधपुर सीट का इतिहास और भूगोल

मारवाड़ की राजधानी रहे जोधपुर नगर की स्थापना राव जोधा ने 12 मई, 1459 को की थी. यहां के दुर्ग, हवेलियां, महल और मंदिर आदि बेहद खूबसूरत हैं. थार के रेगिस्तान में बसे इस शहर को देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं. बड़ी बात यह कि साल के 365 दिन यहां सूर्य की रोशनी मिलती है. इसलिए इस शहर को सूर्य नगरी भी कहा जाता है. यही नहीं, मेहरानगढ़ दुर्ग के चारो ओर हजारों नीले मकानों की वजह से इसे नीली नगरी भी कहा जाता है. हाल तक जोधपुर दुर्ग के अंदर सिमटा हुआ था, लेकिन बढ़ती आबादी की वजह से शहर का फैलाव हुआ और आज स्थिति यहां तक आ गई है कि दुर्ग के अंदर बसे शहर से बड़ा इलाका दुर्ग के बाहर है.

वोटरों की संख्या और राजनीतिक विसात

जैसलमेर और जोधपुर जिले की आठ विधानसभा सीटों को मिलाकर बनी जोधपुर लोकसभा सीट सामान्य वर्ग की है. यहां अनुसूचित जाति के वोटर करीब 290,129 हैं. वहीं अनुसूचित जनजाति के करीब 73,499 वोटर हैं. इसी प्रकार मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 326,745 है. यहां 57.4 फीसदी यानी 1,110,227 मतदाता गांवों में रहते हैं. वहीं 42.6 फीसदी यानी 823,967 मतदाता शहरी हैं. 2019 के चुनाव में यहां 68.2 फीसदी मतदान हुआ था.