राजस्थान में उपचुनाव के लेकर हलचल तेज़, ये पांच सीटें तय करेंगी चुनाव की तस्वीर
बीजेपी ने अपनी बैठक में 7 सीटों के लिए 3-3 नामों का पैनल तैयार कर लिया है। अगले महीने नवंबर में इन सात सीटों के लिए उपचुनाव हो सकते हैं।
राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की हलचल ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। इसी कड़ी में बीते दिन यानी रविवार को बीजेपी ने बैठक की। सीएम आवास पर हुई इस कोर कमेटी की बैठक में उपचुनाव को लेकर प्रदेश बीजेपी ने पैनल तैयार कर लिया। साथ ही बैठक में टिकट बंटवारे पर भी चर्चा हुई। बात अगर कांग्रेस की करें को कांग्रेस भी अपने उम्मीदवारों के लिए बैठक कर चुकी है।
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बीजेपी ने अपनी बैठक में 7 सीटों के लिए 3-3 नामों का पैनल तैयार कर लिया है। अगले महीने नवंबर में इन सात सीटों के लिए उपचुनाव हो सकते हैं।
विरासत की सियासत पर रहेगी नज़र
उपचुनाव के लिए दावोदारों के नाम आना तो शुरू हो गए हैं। लेकिन इन सात सीटों में सीटों में से 5 सीटों पर सियासी परिवारों का दबदबा है चाहे वो बीजेपी से हों या कांग्रेस से। इन सीटों में दौसा, झुंझुनूं, सलूंबर, खींवसर, चौरासी, रामगढ़ शामिल है।
दौसा में कांग्रेस विधायक मुरारी लाल मीणा के सांसद बनने के बाद सीट खाली होने से उपचुनाव होगा। दावेदारों में उनकी पत्नी सविता मीणा और बेटी दावेदार हैं। सविता 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। जबकि बीजेपी से दिग्गज नेता डॉ.किरोड़ लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा दावेदारी में हैं।
झुंझुनूं में कांग्रेस के बृजेन्द्र ओला के बेटे अमित ओला दावेदार है।
सलूंबर में दिवंगत विधायक अमृत लाल मीणा के बाद उनके परिवार को टिकट मिलने की चर्चा है।
खींवसर से एक बार फिर बेनीवाल परिवार ताल ठोंक रहा है।
वहीं चौरासी सीट पर राजकुमार रोत लगातार दौरे कर रहे हैं
और रामगढ़ सीट पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों की ही तरफ से परिवारवाद हावी होता नजर आने वाला है
दोनों ही दल खेलेंगे इमोशनल कार्ड
हरियाणा का नतीजों से बीजेपी उत्साहित है, वहीं कांग्रेस पर अपनी साख बचाने का दबाव होगा। कांग्रेस अपने आप को हरियाणा के झटके से निकालने की पूरी कोशिश करेंगी। दोनों ही दलों की अलग अलग स्थिति होने के बावजूद दोनों ही दल इमोशन कार्ड खेलने की तैयारी में है। हालांकि ये कार्ड अलवर की रामगढ़ और सलूंबर विधानसभा सीट पर ही खेला जा सकता है।