Rajasthan By Election: तो इस वजह से नहीं हुआ RLP-कांग्रेस का गठबंधन, डोटासरा बने 'खलनायक', यूं लिख गई पूरी कहानी !
राजस्थान में उपचुनावों के लिए कांग्रेस ने हनुमान बेनीवाल की आरएलपी के साथ गठबंधन तोड़ दिया है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के विरोध के चलते यह गठबंधन टूट गया है। अब खींवसर सीट पर दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग देखने को मिल सकती है।
राजस्थान में सात सीटों पर हो रहे उपचुनावों का असर भले प्रदेश सरकार पर न पड़े लेकिन बीजेपी-कांग्रेस पर चुनावी परिणामों का गंभीर असर दिखना तय है। एक तरफ बीजेपी संख्याबल बढ़ाने पर फोकस कर रही है तो दूसरी कांग्रेस लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराना चाहती है। इस बार बीजेपी कांग्रेस अकेले मैदान में है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। पर उपचुनाव में बात न बन सकी। नामांकन की आखिरी तारीख तक गठबंधन का ऐलान किया जा रहा था लेकिन कांग्रेस के सात सीटों पर प्रत्याशी उतारने के बाद गठबंधन पर ब्रेक लग गया।
कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल की पार्टी का गठबंधन भले न हुआ हो लेकिन सियासी गलियारों में सवाल यही है कि जो पार्टी चार महीने पहले एक साथ बीजेपी के विजयी रथ को रोकने आईं थी उपचुनाव से पहले ऐसी क्या बात हो गई कि दोनों अलग हो गए। कांग्रेस के अकेले चुनाव लडने की रणनीति के पीछे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का नाम तेजी से लिया जा रहा है। ऐसे में जानते हैं उन्हें अपने इस चाल से क्या साधने की कोशिश की है।
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हनुमान बेनीवाल चाहते थे गठबंधन !
सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव की तरह उपचुनाव में भी हनुमान बेनीवाल कांग्रेस के साथ गठबंधन चाहते थे लेकिन डोटासरा और कांग्रेस नेताओं पर उनके तीखे हमलों ने इस गठबंधन पर ब्रेक लगा दिया। वहीं, इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का था। उन्होंने हनुमान बेनीवाल के कांग्रेस नेताओं पर दिये गये बयानों की लंबी रिपोर्ट आलाकमान को दिखाई। इसके अलावा डोटासरा बेनीवाल के हरियाणा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव-प्रचार करने वाले कदम से भी नाराज थे। जिसके चलते वह आरएलपी से गठबंधन के पक्ष में नही थे। यही वजह रही कांग्रेस ने उपचुनाव में बिना गठबंधन के उतरने का फैसला लिया।
आमने-सामने होंगे बेनीवाल-डोटासरा ?
गौरतलब है, हनुमान बेनीवाल कई बार गोविंद सिंह डोटासर पर भी निशाना साधा चुके हैं। ऐसे में खींसवर से बेनीवाल ने पत्नी कनिका तो कांग्रेस ने रतना चौधरी पर दांव लगाया है। दोनों दलों ने महिलाओं को मैदान में उतारा है। खींवसर से महिला प्रत्याशी को उतारना कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो डोटसार हनुमान बेनीवाल को राजनीतिक तौर पर कमजोर करना चाहते हैं। वह रतना चौधरी के लिए खुद प्रचार करने जा सकते हैं। हालांकि बेनीवाल ने भी चुनावों के लिए कमर कस रखी है। ऐसे में आने वाले दिनों में डोटासरा-बेनीवाल के बीच जुबानी जंग तेज होने वाली है।