Rajasthan News:बरूवाला माइनर के किसानों का धरना जारी, सिंचाई पानी की मांग को लेकर प्रशासन पर सवाल
रायसिंहनगर के बरूवाला माइनर के टेल पर पानी की कमी से परेशान किसानों ने सिंचाई पानी की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि प्रशासन और सिंचाई विभाग उनकी समस्या को अनदेखा कर रहे हैं, जिससे उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं।
बरूवाला माइनर के टेल पर सिंचाई पानी की पर्याप्त आपूर्ति न होने के कारण किसानों ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि उनकी फसलें पानी की कमी के कारण बर्बाद हो रही हैं, बावजूद इसके प्रशासन और सिंचाई विभाग उनकी समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं।
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सिंचाई की वजह से किसान परेशान
धरने पर बैठे किसानों ने बताया कि उन्होंने कई बार सिंचाई विभाग और स्थानीय प्रशासन को अपनी समस्या से अवगत कराया, लेकिन उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया। उनका आरोप है कि बरूवाला माइनर की टेल पर कभी भी पूरा पानी नहीं छोड़ा जा रहा है, जिससे उनकी फसलें सूख रही हैं और उन्हें आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। किसानों की माने तो इस समस्या का समाधान न होने से सावनी की फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है और अब हाड़ी की फसल भी खतरे में है।
सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर आरोप
जल संगम के अध्यक्ष बलकरण सिंह ने इस मुद्दे पर प्रशासन और सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर भेदभाव का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि माइनर के टेल के आउटलेट को जानबूझकर छोटा कर दिया गया है, जिससे टेल के किसान सही मात्रा में पानी नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह हमारे साथ अन्याय है। हमारी फसलें लगातार बर्बाद हो रही हैं और प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। यह केवल सिंचाई विभाग की लापरवाही का नतीजा है।“
प्रशासन को दी चेतावनी
धरने में शामिल पूर्व पंचायत समिति डायरेक्टर बीकर सिंह ने प्रशासन को दो टूक चेतावनी देते हुए कहा कि यदि दो दिन के भीतर माइनर पर पूरा पानी नहीं छोड़ा गया, तो किसानों को मजबूरन माइनर को मिट्टी डालकर बंद करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान किया जाना चाहिए, अन्यथा वे आंदोलन को और उग्र करने पर मजबूर हो जाएंगे।
किसानों का कहना है कि उनकी आजीविका पूरी तरह से खेती पर निर्भर है, और सिंचाई के पानी की कमी से उनकी आय पर बुरा असर पड़ रहा है। ऐसे में, प्रशासन को उनकी समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर करना चाहिए, ताकि वे अपनी फसलों को बचा सकें।