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Rajasthan By-Election: खींवसर में हनुमान बेनीवाल की अग्निपरीक्षा, 47 साल पुरानी विरासत बचाने की चुनौती,पढ़ें पूरी खबर

राजस्थान के उपचुनाव में हनुमान बेनीवाल की आरएलपी का दबदबा है। क्या खींवसर सीट पर 47 साल पुरानी बेनीवाल परिवार की विरासत बनी रहेगी? जानिए राजस्थान की राजनीति का यह रोमांचक अध्याय।

Rajasthan By-Election: खींवसर में हनुमान बेनीवाल की अग्निपरीक्षा, 47 साल पुरानी विरासत बचाने की चुनौती,पढ़ें पूरी खबर

राजस्थान में सात सीटों पर होने वाले उपचुनावों को लेकर बीजेपी-कांग्रेस आमने सामने है। दोनो दल ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, लेकिन इन सबसे ज्यादा चर्चा हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी की है। हनुमान बेनीवाल राजस्थान के फायर ब्रांड नेताओं में शामिल हैं। जिनका हर बयान हेडलाइन बन जाता है। उनके ठाठ राजस्थान राजनीति में उन्हें अलग औहदा दिलाते हैं। बेनीवाल का सूबे के उन नेताओं में गिना जाता हैं,जिन्हें कांग्रेस-बीजेपी जैसी सरीखी पार्टियी भी हल्के में नहीं लेती। विधायक से सांसद बने हनुमान बेनीवाल इस बार खींवसर सीट को लेकर चर्चा में है। यहां पर बीजेपी-आरएलपी की तगड़ी फाइट है। 

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47 साल पुरानी विरासत बचाने की चुनौती

खींवसर और नागौर पर बेनीवाल परिवार का वर्चस्व रहा है। यहां पर उनका परिवार 47 सालों से सक्रिय है। हनुमान बेनीवाल के पिता रामदेव बेनीवाल दो बार खींवसर से विधायक बने जो पहले मुंडावा सीट के नाम से जानी जाती थी। यहां पर उन्होने 1977 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा तो 1995 में लोकदल से। जबकि 2008 में परिसिमन के बाद ये खींवसर विधानसभा सीट बन गई। यहां पर 2008 में बेनीवाल बीजेपी से चुनाव लड़े और जीत हासिल की। बेनीवाल भी अपने पिता के नक्शेकदम पर चले। उन्होंन ना काहू से दोस्ती, न काहू से बैर की रणनीति बनाई। 2013 में निर्दलीय चुनाव लड़ने के बाद 2018 में उन्होंने खुद की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल का गठन किया और चुनावी मैदान में उतरे। उनके पार्टी से तीन विधायक मिले। 2019 के चुनाव में फिर बेनीवाल ने बीजेपी का दामन थाम और जीत हासिल की। हालांकि 2020 में किसान आंदोलन पर किसानों का साथ देते हुए उन्होंने एनडीए से किनारा कर लिया। 2023 में वह अकेले मैदान में उतरे लेकिन इस बार हालात पिछली वाले नहीं थे। बेनीवाल को बीजेपी से कड़ी टक्कर मिली। वह मात्र दो हजार वोटों से जीतें। जबकि लोकसभा 2024 का बेनीवाल ने इंडिया गठबंधन के बैनर तले लड़ा। 

बेनीवाल को सता रहा विधानसभा नतीजों का डर !

हनुमान बेनीवाल को 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी से रेंवतराम डांगा ने कड़ी टक्कर दी थी। इसकी उम्मीद शायद आरएलपी प्रमुख भी नहीं थी। खींसवर की राजनीति को पास से समझने वाले जानकार मानते हैं अगर हनुमान बेनीवाल किसी बड़े चेहरे को मैदान में नहीं उतराते हैं तो विधानसभा चुनावों की टक्कर उपचुनाव में भारी पड़ सकती है। 2018 में जब उन्होने सांसदी छोड़ी थी तो भाई नारायल बेनीवाल को मैदान में उतारा था लेकिन इस बार वह किसे उतारते हैं,इस पर सभी की नजरें टिकी हैं। जानकार मानते हैं बेनीवाल कड़ी टक्कर मिलने के कारण अपने चेहार पर परिवार के किसी सदस्य को मैदान में उतार सकते हैं, क्योंकि उनके सामने 47 साल की विरासत बचाने की बड़ी चुनौती है।