मेवाड़ का नया अधिपति, चित्तौड़ दुर्ग में 493 साल बाद ताजपोशी, तलवार से अंगूठा काटकर खून से होगा तिलक
उदयपुर राजघराने के लिए 25 नवंबर 2024 का दिन ऐतिहासिक और खास है। चित्तौड़ दुर्ग में 493 वर्षों बाद विश्वराज सिंह का पारंपरिक राजतिलक आयोजित किया गया, जो मेवाड़ के शाही इतिहास की पुरानी परंपराओं को पुनर्जीवित करता है। इस कार्यक्रम में तलवार की धार से तिलक लगाने और पाग दस्तूर जैसी रस्मों का पालन किया गया। विश्वराज सिंह की यह ताजपोशी मेवाड़ के गौरवशाली अतीत और नए दौर का संगम है।
आज, 25 नवंबर 2024, का दिन उदयपुर राजघराने और मेवाड़ के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। पूर्व राजपरिवार के सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बेटे, विश्वराज सिंह का आज राजतिलक समारोह आयोजित किया जा रहा है।
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यह राजतिलक चित्तौड़ दुर्ग के प्रसिद्ध फतेह प्रकाश महल में हो रहा है, जहां 493 वर्षों के बाद यह ऐतिहासिक परंपरा दोहराई जा रही है। आखिरी बार 1531 ईस्वी में महाराणा विक्रमादित्य का ताजपोशी इसी महल में हुई थी।
शाही परंपराओं का पालन
इस राजतिलक समारोह में मेवाड़ की प्राचीन परंपराओं का पालन किया जाएगा। तलवार की धार से अंगूठे को काटकर तिलक लगाने की रस्म का निर्वहन सलूंबर के ठिकानेदार करेंगे। यह परंपरा मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित करती है। इस समारोह के बाद, विश्वराज सिंह मेवाड़ के नए संरक्षक के रूप में शाही गद्दी पर आसीन होंगे।
चित्तौड़गढ़ से उदयपुर की यात्रा
चित्तौड़गढ़ में सुबह 10 बजे शुरू होने वाले इस आयोजन में लगभग 2 से 3 घंटे का समय लगेगा। इसके बाद, दोपहर 2 बजे तक विश्वराज सिंह उदयपुर पहुंचेंगे। उदयपुर स्थित सिटी पैलेस में महंत प्रयागगिरी महाराज की धूणी पर दर्शन करने के बाद, वह एकलिंगजी महादेव मंदिर में जाएंगे, जहां 'शोक भंग' की रस्म निभाई जाएगी।
शोक भंग और पाग दस्तूर की परंपरा
समारोह के दौरान, पारंपरिक रूप से 'पाग दस्तूर' की रस्म निभाई जाएगी, जिसमें सफेद पाग को हटा कर गुलाबी पाग पहनाई जाएगी। इस रस्म के माध्यम से परिवार और पुराने जागीरदारों के साथ शोक भंग की जाती है और रंगीन पाग पहनाई जाती है, जिससे उत्सव की शुरुआत होती है।
पुरानी विरासत और विवाद
मेवाड़ के राजगद्दी से जुड़े विवाद कई वर्षों से चले आ रहे हैं। बड़े बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ और छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ के बीच संपत्ति और राजगद्दी को लेकर अक्सर टकराव की स्थिति रही है। हालांकि, वर्तमान में उदयपुर के शाही गद्दी का कार्यभार अरविंद सिंह मेवाड़ ही संभाल रहे हैं, लेकिन चित्तौड़गढ़ में आज हो रहे इस ऐतिहासिक राजतिलक के बाद विश्वराज सिंह की एक नई पहचान उभर कर सामने आएगी।
शाही जीवन और राजनीतिक सफर
विश्वराज सिंह का जन्म 18 मई 1969 को महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर हुआ था। उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 2023 में भाजपा में शामिल होकर राजनीतिक सफर की शुरुआत की। वर्तमान में, वे नाथद्वारा से विधायक हैं और उनकी पत्नी महारानी महिमा कुमारी राजसमंद से सांसद हैं।
इतिहास के साथ एक नई शुरुआत
मेवाड़ की इस ऐतिहासिक ताजपोशी ने ना केवल पुरानी परंपराओं को जीवित किया है, बल्कि राजघराने के उत्तराधिकारियों के बीच की संघर्षपूर्ण कहानी को भी एक नई दिशा दी है। यह समारोह मेवाड़ की गौरवशाली परंपरा और आधुनिक युग के बीच संतुलन को दर्शाता है।