Jaipur Foundation Day: पिंक सिटी के नाम से मशहूर जयपुर, 297 सालों से बना हुआ है राजस्थान का गौरव
जयपुर, जिसे गुलाबी नगरी के नाम से जाना जाता है, राजस्थान की राजधानी है और अपने अद्वितीय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर भारत का पहला सुनियोजित नगर है, जिसे महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1727 में स्थापित किया था। जयपुर की स्थापत्य कला, विशेष रूप से हवामहल और नाहरगढ़ किले की भव्यता, इसे एक विशिष्ट पर्यटन स्थल बनाती है।
राजस्थान की राजधानी जयपुर, जिसे गुलाबी नगरी के नाम से जाना जाता है, अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह शहर न केवल भारत का पहला सुनियोजित शहर है, बल्कि इसे विश्व धरोहर शहर का भी दर्जा प्राप्त है।
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जयपुर की स्थापना 18 नवंबर 1727 को महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा की गई थी। इस अद्वितीय शहर का निर्माण वास्तुकला और नवग्रहों के आधार पर किया गया था, जिसमें नौ चौकड़ियों का निर्माण हुआ था।
जयपुर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान:
आधुनिक जयपुर को आकार देने में तीन प्रमुख व्यक्तियों की भूमिका उल्लेखनीय रही है। जयपुर के प्रधानमंत्री (दीवान) मिर्जा इस्माइल, महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय, और भगवत सिंह मेहता ने जयपुर को एक बेहतरीन शहर में तब्दील करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। मिर्जा इस्माइल ने 1942 से 1946 तक शहर की कमान संभाली और सड़कों, पानी की आपूर्ति, और स्वास्थ्य सेवाओं को विकसित किया। उनके सुधारों से जयपुर की नागरिक जीवनशैली में बड़ा बदलाव आया।
दुनिया का पहला कल्कि मंदिर:
जयपुर में दुनिया का पहला कल्कि मंदिर भी है, जो सिरहड्योढ़ी बाजार में स्थित है। यह मंदिर सवाई जयसिंह द्वारा 1732 से 1742 के बीच बनवाया गया था। इतिहासकारों के अनुसार, सवाई जयसिंह के समय में लिखे गए 'वचन प्रमाण ग्रंथ' और संस्कृत महाकाव्य 'ईश्वर विलास' में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है, जो जयपुर की आध्यात्मिक धरोहर को दर्शाता है।
हवामहल का अद्भुत वास्तुकला:
जयपुर की वास्तुकला का एक और शानदार उदाहरण हवामहल है, जिसे 1799 में सवाई प्रतापसिंह ने बनवाया। हवामहल की संरचना भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट की आकृति में है और इसमें 365 छोटी-छोटी खिड़कियां हैं। यह महल श्रीकृष्ण के प्रति सवाई प्रतापसिंह की भक्ति का प्रतीक है।
नाहरगढ़ किला और उसकी अनूठी विशेषताएं:
जयपुर का नाहरगढ़ किला, जो 700 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, भी शहर की गौरवशाली धरोहरों में से एक है। 1734 में सवाई जयसिंह द्वारा निर्मित इस किले में 10 भव्य भवन हैं, जिनके नाम सूरज प्रकाश, चांद प्रकाश, और अन्य प्रकाशों पर आधारित हैं। किले में पानी संग्रहण की विशेष व्यवस्था भी है, जो उस समय की उत्कृष्ट इंजीनियरिंग का प्रतीक है।
बरामदों का निर्माण और गुलाबी रंग की परंपरा:
रामगंज क्षेत्र में पहला बरामदा तैयार किया गया था, जिसके बाद यह डिजाइन शहर के अन्य बाजारों में भी फैल गया। 1875 में महाराजा सवाई रामसिंह ने जयपुर के बाजारों को गुलाबी रंग में रंगवाया, जबकि इससे पहले शहर सफेद रंग का था। इसी परंपरा के तहत, जयपुर को आज गुलाबी नगरी कहा जाता है।
सिक्के की ऐतिहासिक धरोहर:
सवाई मान सिंह द्वितीय के शासनकाल में 1949 में आखिरी हाथ से बना सोने का सिक्का जारी किया गया था। इस सिक्के पर उर्दू में अयोध्या का राजचिह्न और 28वां वर्ष अंकित था। यह सिक्का उस समय की मुद्रा और जयपुर की ऐतिहासिक धरोहर को दर्शाता है।