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Jaipur News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से सामुदायिक केंद्र से निकाली शोभायात्रा, RSS का पथ संचलन

सुरेश भैयाजी जोशी आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस के अवसर पर त्रिवेणी नगर स्थित सामुदायिक केंद्र में आयोजित विजयादशमी महोत्सव में मुख्य वक्ता के रूप में बोले।

Jaipur News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से सामुदायिक केंद्र से निकाली शोभायात्रा, RSS का पथ संचलन

जयपुर। विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से त्रिवेणी नगर के सामुदायिक केंद्र से शोभायात्रा निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में आरएसएस के पूर्व महासचिव सुरेश जोशी भी मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को विभाजनकारी ताकतों से नहीं बल्कि अंदर से खतरा है।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि जिस प्रकार किसी राज्य की सीमाएं हमारे बीच भेदभाव पैदा नहीं कर सकती, उसी प्रकार जन्म के आधार पर भी हमारे बीच जातिवाद पैदा नहीं होना चाहिए। जिस प्रकार शरीर का कोई अंग छोटा हो या बड़ा, उसे शरीर से अलग नहीं किया जा सकता, उसी प्रकार कोई भी समाज कमजोर हो या अमीर, उसे हिंदू समाज से अलग नहीं किया जा सकता।

ज्योतिर्लिंग और 51 शक्तिपीठ किसी जाति के हैं - जोशी

उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान की प्रस्तावना में देश को भारत के रूप में प्रस्तुत किया है, न कि कर्नाटक, उड़ीसा या तमिलनाडु के रूप में। तमिल, असम, मणिपुर, महाराष्ट्र और देश के हर हिस्से के लोग भारत माता की जय बोलते हैं। रहन-सहन, खान-पान और पहनावे में अंतर हो सकता है, लेकिन भारतवर्ष के लोगों के मन में कभी कोई अंतर नहीं हो सकता। उन्होंने पूछा कि क्या जाति का निर्धारण जन्म के आधार पर होता है। क्या ज्योतिर्लिंग और 51 शक्तिपीठ किसी जाति के हैं?

राम के साथ मर्यादा और पुरुषोत्तम दो नाम जुड़ा है

उन्होंने कहा कि राम के साथ मर्यादा और पुरुषोत्तम दो नाम जुड़े हैं। ये दो शब्द कई विपत्तियों में मार्गदर्शन करते हैं। ये नकारात्मक शक्तियों का विघटन करते हैं और दैवीय शक्ति का विकास करते हैं। इसी तरह संविधान की प्रस्तावना में रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा है 'हम' भारत के लोग हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर कोई भारत माता की जय बोलता है।

सनातनियों का सम्मान स्थापित करना चाहिए

मुख्य अतिथि पूर्व न्यायाधीश डॉ राजेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि विद्यालयों में स्कूली शिक्षा के साथ-साथ संघ में प्रचलित शिक्षा भी बच्चों को देना आवश्यक है। हमारी नई पीढ़ी को संस्कारवान बनाना होगा, उन्हें धर्म से दूर नहीं करना चाहिए। हमें सनातनियों का सम्मान स्थापित करना चाहिए।

भाषण के बाद स्वयंसेवकों ने विभिन्न मार्गों से जुलूस निकाला, जिसका जगह-जगह समाजजनों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।