कोटा से क्यों भाग रहे कोचिंग छात्र ? किसी ने सुसाइड नोट छोड़ा, तो किसी ने बनाया किडनैंपिग का बहाना
राजस्थान की कोटा शहर की ईकॉनोमी कोचिंग के ऊपर ही चलती है. देशभर में हर साल डेढ़ से दो लाख छात्र नीट और जेईई परीक्षा की तैयारी करने कोटा आता है.
कोट देश का वो शहर जिसे कोचिंग हब कहा जाता है. हर साल डेढ़ से दो लाख छात्र 12 वीं के बाद इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा आते है. कोटा आने के बाद सफल होने के लिए छात्र रेस में भागने लगते है. इसमें कई छात्र सफल हो जाते है. लेकिन कई छात्र असफल हो जाते. जिसके बाद वह इसे जीवन आखिरी परीक्षा समझ कर गलत कदम उठा लेते है. जिस कारण कोटा की पहचान अब 'सुसाइड हब' के रूप में भी होने लगी है.
कोटा में करीब 3500 हॉस्टल और पीजी हैं, जिनमें एक लाख 75 हजार कमरे हैं. सुसाइड रोकने के लिए करीब 70% हॉस्टल के कमरों में एंटी हैंगिंग डिवाइस लगा दी गई हैं.
9 साल में 130 छात्राओं ने की सुसाइड
पुलिस आंकड़ों में नजर डाले तो 2024 में अबतक 9 सुसाइड के केस सामने आ चुके है. जनवरी में 2, फरवरी में 4, मार्च में 1 और अप्रैल में 2 छात्र सुसाइड कर चुके है. पिछले साल 2023 में 26 बच्चों ने सुसाइड की थी. उससे पहले साल 2022 में 15 बच्चों ने खुदखुशी की थी. साल 2021 और 2020 में कोविड के कारण कोटा में सभी कोचिंग सेंटर बंद थे. जिस वजह से इन दो सालों में कोई भी सुसाइड केस दर्ज नहीं किया गया. जबकि साल 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में 7, 2016 में 17 और वर्ष 2015 में स्टूडेंट सुसाइड के कुल 18 मामले सामने आए थे. पिछले आठ सालों में 130 छात्रों ने आत्महत्या की है.
कोचिंग छोड़ भाग रहे छात्र
इस साल सुसाइड के अलावा छात्रों के भागने के भी मामले सामने आ रहे है. स्टूडेंट बिना किसी को कुछ बताए कोटा छोड़ कर भाग रहे है. जब माता पिता की बच्चों से फोन पर बात नहीं हो पाती है. तो वह उनसे मिलने कोटा आते है. जहां बच्चे नहीं मिलते है. जिसके बाद पुलिस की मदद ली जाती है. पुलिस बच्चों के डिजिटल फुटप्रिंट्स की मदद उनको ढूंढती है और माता पिता के हवाले कर देती है. पिछले कुछ दिन पहले एक छात्र सुसाइड नोट छोड़कर कोचिंग से भाग गया था. एक छात्रा ने तो खुद की कैंडनैपिंग का नाटक करके पिता से फिरौती मांग ली. बच्चे किस प्रेशर में ऐसे कदम उठा रहे हैं ये जांच का विषय है, लेकिन इस तरह के केस रोकने में सरकार की हर कोशिश नाकाम नजर आ रही है.
जानकारों का क्या कहना ?
कोटा में करीब 20 साल से कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड मामलों पर बेबाक राय और सुझाव देने वाले मनोचिकित्सक डॉ. भरत सिंह शेखावत ने बताया था कि कोटा में कोचिंग अब एक व्यवसाय बन गया है. जहां बच्चों को उनकी क्षमता से अधिक परिणाम देने के लिए दबाव डाला जाता है. बच्चों के अभिभावक प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम के विज्ञापनों की चमन में अपने बच्चों की क्षमताओं को भूलकर उन पर उम्मीदों का बोझ डालकर कोटा भेज देते हैं. जबकि रिजल्ट पर नजर डाली जाए तो जितने बच्चे कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए आते हैं उनमें से सफलता महज कुछ को ही हासिल होती है. जरूरत अभिभावकों के काउंसलिंग की भी है और समय-समय पर बच्चों की काउंसलिंग की भी. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. सिर्फ आत्महत्याओं के मामले जब बढ़ते हैं तो सबको चिंता होने लगती है और सामान्य स्थिति जैसे ही होती है हालात वैसे के वैसे ही बन जाते हैं.
सुसाइड रोकने के लिए जारी गाइडलाइन2. छात्रों के मानसिक दबाव को कम करने की जिम्मेदारी कोचिंग संस्थानों की होगी.
3. छात्रों को डेढ़ दिन का साप्ताहिक अवकाश देना होगा.
4. 'असेसमेंट रिजल्ट' सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.
5. टेस्ट /परीक्षा के परिणाम 03 दिन बाद जारी किए जाए.
6. टेस्ट में विद्यार्थियों की उपस्थिति ऐच्छिक हो, अनिवार्य नहीं.
7. परीक्षा के अगले दिन आवश्यक रूप से अवकाश रखा जाना सुनिश्चित किया जाए.
कोटा में स्टूडेंट्स के बढ़ते सुसाइड मामले रोकने के लिए सरकार की तरह से कई इंतजाम किए गए हैं, जिनमें हॉस्टल के कमरों में एंटी हैंगिंग डिवाइस लगाना सबसे अहम है. कोटा में सिर्फ एक ही कंपनी है जो एंटी हैंगिंग डिवाइस लगाने का काम कर रही है. लेकिन लोग कंपनी की डिवाइस को सप्लाई करने की क्षमता पर सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका कहना है कि कंपनी द्वारा ऑर्डर के बाद 10, 12 दिन से ज्यादा का वेटिंग का वक्त बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है.