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ढोला मारू की प्रेम कहानी और म्यूजिकल लव लेटर से प्यार का इजहार

प्यार के इजहार के आज के समय में कई हाईटेक साधन हैं. लेकिन जरा सोंचिए उस दौर के बारे में जब प्यार के इजहार के लिए कोई व्यापक साधन नहीं थे. लेकिन कहते हैं न कि प्यार में हर मुश्किल आसान हो जाती है. राजस्थान के ढोला और मारू की प्रेम कहानी इसी की एक मिसाल है. इस कहानी में में गाने तो बने लव लेटर और ऊंट बना प्रेमी युगल की सवारी.

ढोला मारू की प्रेम कहानी और म्यूजिकल लव लेटर से प्यार का इजहार

भारत में कई प्रेम कहानियां प्रसिद्ध हैं और उनमें से एक स्टोरी है ढोला और मारू की. यह कहानी राजस्थान के इतिहास की फेमस लव स्टोरी में से एक है. प्यार के इजहार के आज के समय में कई हाईटेक साधन हैं. लेकिन जरा सोंचिए उस दौर के बारे में जब प्यार के इजहार के लिए कोई व्यापक साधन नहीं थे. लेकिन कहते हैं न कि प्यार में हर मुश्किल आसान हो जाती है. राजस्थान के ढोला और मारू की प्रेम कहानी इसी की एक मिसाल है. इस कहानी में में गाने तो बने लव लेटर और ऊंट बना प्रेमी युगल की सवारी.


बताया जाता है कि राजस्थान में नरवर का एक राजा था, जिसका नाम ता नल और उसके बेटे का नाम साल्हकुमार था. पहले के समय में राजस्थान में शादियां बचपन में ही करा दी जाती थीं इसीलिए राजकुमार की शादी भी जांगलू यानी बीकानेर के राजा पिंगल की बेटी से करा दी गई. शादी के वक्त उनकी उम्र 3 साल थी. साल्हकुमार की दूसरी शादी एक और राजकुमारी से कर दी गई. पिंगल के राजा ने कई बार साल्हकुमार से बात करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी. राजकुमार की दूसरी पत्नी संदेशवाहक को मरवा देती थी. बताया जाता है कि जिससे बचपन में शादी हुई थी, वो राजकुमारी बेहद सुंदर थी. राजकुमार और राजकुमारी एक दूसरे के साथ ही रहना चाहते थे, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया.


म्यूजिकल लव लेटर
राजकुमारी ने राजकुमार के लिए एक चतुर ढोली को नरवर भेजा. जहां ढोली ने राजकुमार के महल में गाने गाए और गाने में संदेश सुनाया. संदेश सुनने के बाद राजकुमार ने राजकुमारी से मिलने की कोशिश की, लेकिन दूसरी पत्नी की वजह से यह हो नहीं पाया. एक दिन राजकुमार ने तेज दौड़ने वाले ऊंट पर सवार होकर पिंगल जाने का फैसला कर लिया. राजकुमार जब वहां पहुंचे तो राजकुमारी खुशी से झूम उठी. उसके बाद दोनों नरवर लौटने लगे. लेकिन रास्ते में कई अड़चने आईं जिनको पार करते हुए उन्होंने अपना प्यार पाया. आज ढोला और मारू की ये कहानी राजस्थान के बच्चे- बच्चे की जुबान पर है.