Rajasthan News: खत्म नहीं हो रही भजनलाल सरकार की मुश्किलें, 10 महीने बाद भी जी का जंजाल बने ये मुद्दे
राजस्थान में बीजेपी सरकार कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसमें नए जिलों का गठन, तबादला नीति, भूमि आवंटन और मंत्रियों के इस्तीफे शामिल हैं। जानें राज्य सरकार के सामने क्या-क्या मुश्किलें हैं, जिनके बारे में हम विस्तार से बताएंगे।
राजस्थान में इन दिनों भजनलाल सरकार भंवर में फंसी हुई है। समझ नहीं आ रहा करें तो करें क्या। ये हम नहीं बल्कि मौजूदा हालात कह रहे हैं। दरअसल, सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार ने गहलोत सरकार द्वारा नये जिलों की समीक्षा के लिए कमेटी का गठन किया गया था हालांकि छह महीने से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। ऐसे कई मुद्दे हैं जो सरकार के जी का जंजाल बन गये हैं। नई सरकार को सत्ता संभाले 10 महीने से ज्यादा का वक्त बीच चुका है लेकिन अभी तक कई मसलों का समाधान नहीं हो पाया है।
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1) विभागों से नहीं मिल पा रही फाइलें
बता दें, गहलोत सरकार के अंतिम छह महीनों की समीक्षा के लिए कैबिनेट कमेटी का गठन किया गया था, और इसके तहत कई बैठकों का आयोजन भी किया गया बावजूद इसके विभागों की लेटलतीफी जारी है और लगातार फाइले भेजने में महीनों का वक्त लगाया जा रहा है। जबकि राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार पार्टी पदाधिकारियों से लेकर कार्यकर्ता तक रहे हैं। पहले लोकसभा चुनाव, सदस्यता अभियान और फिर उपचुनाव के कारण ये मामला और भी ढीला पड़ गया है।
2) भू-आवंटन मामले पर नहीं आया निर्णय
भजनलाल सरकार में कई मंत्रियों ने पूर्ववर्ती सरकार पर भूमि आवंटन में बंदरबाट का आरोप लगाया है। इसके लिए राज्य सरकार ने बकायदा चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में कैबिनेट उप-समिति का गठन किया गया था। जिसमें संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम, खाद्य मंत्री सुमित गोदारा और महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री मंजू बाघमार शामिल हैं। हालांकि ये कमेटी भी ठंडे बस्ते में चली गई और 800 से ज्यादा भूमि आवंटन पर इतने दिनों बाद भी कोई फैसला नहीं आया।
3) किरोड़ीलाल मीणा का इस्तीफा
ये दिक्कतें तो एक तरफ थी की भजनलाल सरकार में मंत्री रहे किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे ने सरकार की परेशानी और बढ़ा दी। मीणा अभी भी अपने फैसले पर कायम है। वहीं ऐसे मौके पर राजस्थान सीएम का फैसला लेना जरूरी हो गया है।
4) तबादला नीति पर काम कर रही सरकार
प्रदेश में तबादला नीति पर भी विवाद छिड़ा हुआ है। दरअसल, शिक्षा और चिकित्सा विभाग में तबादलों को लेकर नई नीति का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है, जिसमें मंत्री-विधायकों की इच्छाओं को खत्म करने का प्रस्ताव है। मुख्य सचिव ने हरियाणा सहित अन्य राज्यों की स्टडी के आधार पर नई नीति तैयार की है। जिसके अनुसार अब कर्मचारियों की सेवा, रैंकिंग और समय के आधार पर तबादले किए जाएंगे।
5) निकाय और पंचायती राज चुनाव बड़ी चुनौती
केंद्र सरकार देश में वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार कर रही है तो दूसरी ओर राजस्थान में भी वन स्टेट वन इलेक्शन पर बातचीत जारी है। सीएम ने निकाय-पंचायती चुनाव एक साथ करने के आदेश दिया है। हालांकि इस फैसले पर रोड़ा नए जिले बन रहे हैं। दरअसल, गहलोत सरकार में अपने कार्यकाल में कई नए जिलो को मंजूरी दी गई थी। जिसे मौजूदा सरकार खत्म करना चाहती है हालांकि इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अगर इस मामले में जल्द ही फैसला लिया जाता है तो दूदू, सांचौर, बालोतरा, केकड़ी और गंगापुर सिटी जैसे जिले खत्म हो सकते हैं। जिलों की समीक्षा के लिए कैबिनेट उप समीति का गठन किया है। जिसमें डिप्टी सीएम बैरवा की बजाय शिक्षामंत्री मदन दिलावर को शामिल किया गया है।