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Rajasthan By Elections की तारीखों का ऐलान, 7 सीटों का सियासी गणित, बीजेपी-कांग्रेस के बीच रोमांचक मुकाबला

राजस्थान में 7 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। बीजेपी और कांग्रेस सियासी गुणाभाग में लगे हुए हैं। चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है। जानिए इन सीटों का समीकरण और कौन है दौड़ में आगे। 

Rajasthan By Elections की तारीखों का ऐलान, 7 सीटों का सियासी गणित, बीजेपी-कांग्रेस के बीच रोमांचक मुकाबला

राजस्थान की 7 सीटों पर उपचुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। बीजेपी-कांग्रेस सियासी गुणाभाग करने में लगे हैं। इसी बीच चुनाव आयोग ने उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। राजस्थान में उपचुनाव 13 नंवबर को होंगे जबकि रिजल्ट 23 नंवबर को आएगा। वहीं, प्रत्याशी 25 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे। जबकि 28 अक्टूबर को स्क्रुटनी तो 30 नवंबर तक नामांकन वापिस लिया जा सकेगा।  बता दें, राज्य में रामगढ़, दौसा, देवली उनियारा, चौरासी, खींवसर, झुंझुनूं और सलूंबर सीट पर चुनाव होने है। इस सीटों के समीकरण बेहद दिचलस्प है। जहा चार सीटों पर कांग्रेसो तो एक-एक सीट पर बीजेपी, आरएलपी का कब्जा है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में 11 सीटे हारने वाली बीजेपी के लिए ये उपचुनाव आसान नहीं रहने वाला है। जबकि सीएम भजनलाल के नेतृत्व की ये अग्निपरीक्षा होगी। खास बात ये है कि इन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार है। ऐसे में सभी सीटों का सियासी समीकरण हम आपको बताते हैं। 

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    1) दौसा विधानसभा सीट 

    दौसा सीट कांग्रेस के खाते में थी। हालांकि कांग्रेस विधायक रहे मुरारीलाल मीणा के निधन से ये सीट खाली हो गई। ये सीट कांग्रेस की गढ़ मानी जाती है। मुरारीलाल मीणा सचिन पायलट के करीबी थे हालांकि इस सीट पर बीजेपी नेता किरोड़ी लाल मीणा का अच्छा-खास प्रभाव है। वह यहां से दो बार सासंद भी रह चुके हैं। ऐस में इस सीट पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। 

    2) खींवसर विधानसभा चुनाव

    खींवसर आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल का गढ़ है। उनके सासंद बनने से ये सीट रिक्त हुई थी। यहां पर त्रिकोणीय मुकाबले की गुंजाइश है। बता दें, लोकसभा चुनाव में बेनीवाल इंडिया गठबंधन के तहत उतरे थे लेकिन उपचुनाव में कोई गठबंधन नहीं हुआ है। इस सीट पर हनुमान बेनीवाल का दबदबा माना जाता है। 

    3) देवली उनियारा विधानसभा सीट 

    टोंक जिले में पड़ने देवली उनियारा विधानसभा सीट कांग्रेस के खाते में थी। यहां से हरीणा मीणा विधायक थे,लोकसभा चुनाव जीतने पर से सीट खाली हो गई है। ये सीट कांग्रेस के लिए इसलिए जरूरी है क्योंकि टोंक से खुद सचिन पायलट विधायक हैं। हरीश मीणा पायलट के करीबी है। 

    4) झुंझुनूं विधानसभा सीट 

    झुंझुनूं सीट पर कांग्रेस का कब्जा था। यहां से कांग्रेस विधायक बृजेंद्र ओला ने सांसदी लड़ी थी। चुनाव जीतने पर ये रिक्त हो गई। राजनीतिक जानकार इस सीट को कांग्रेस का गढ़ मानते हैं। ऐसे में उपचुनाव में बीजेपी के साथ कांग्रेस का किला फतेह करने की चुनौती होगी। 

    5) रामगढ़ विधानसभा सीट 

    अलवर जिले में पड़ने वाली रामगढ़ सीट पर कांग्रेस का कब्जा था। जुबेर खान के निधन के बाद ये सीट रिक्त हो गई है। यहां पर कांग्रेस-बीजेपी हमेशा बराबर रही हैं। रामगढ़ से बीजेपी के ज्ञान देव आहूजा तीन बार तो जुबैर खान चार बार चुनाव जीते चुके हैं। 30 सालों लगभग बीजेपी-कांग्रेस का बराबर राज रहा है। ऐसे में कांग्रेस के सामने सीट बचाना सबसे बड़ी चुनौती है। विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डाले तो यहां से जुबैर खान ने आजाद समाज पार्टी उम्मीदार सुखवंत सिंह को 20 हजार वोटों से शिकस्त दी थी। यहां बीजेपी उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे थे। 

    6) सलूम्बर विधानसभा सीट 

    उदयुपर में पड़ने वाली सलूम्बर विधानसभा सीट बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा के निधन से रिक्त हुई थी। इसी एक सीट पर बीजेपी का कब्जा था। ऐसे में बीजेपी के सामने सीट बचाने की बड़ी चुनौती है। 

    7) चौरासी विधानसभा सीट

    सांसद राजकुमार रोत अपने बयानों के कारण अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। चौरासी सीट पर उनका प्रभाव माना जाता है। ये सीट उनके सांसद बनने पर खाली हुई है। वह भारतीय आदिवासी पार्टी से चुनाव लड़े थे। यहां पर 10 सालों से BAP का राज है। ऐसे में इस सीट पर भी उपचुनाव दिलचस्प होगा।