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Rajasthan By Election: प्रत्याशियों का ऐलान फिर भी छिड़ा संग्राम,गठबंधन टूटने से कांग्रेस को तगड़ा नुकसान? जानें

राजस्थान के उपचुनावों में कांग्रेस ने अपनी उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है लेकिन गठबंधन नहीं करने के फैसले से पार्टी में संशय और भ्रम छाया हुआ है। क्या कांग्रेस बिना गठबंधन के सात सीटें जीत पाएगी?

Rajasthan By Election: प्रत्याशियों का ऐलान फिर भी छिड़ा संग्राम,गठबंधन टूटने से कांग्रेस को तगड़ा नुकसान? जानें

राजस्थान में भले कांग्रेस ने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर चुनावी मैदान में ताल ठोंक दी हो लेकिन इसके बाद कांग्रेस नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं ने चुप्पी साध रखी है। ये नाम किसके कहने पर तय किये,इस पर कोई भी बोलने को तैयार नहीं है। सभी उम्मीदवार भले कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव तो लड़े लेकिन उनके पक्ष में अभी तक एक भी नेता का बयान सामने नहीं आया। यहां तक खुद प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटारसरा मीडिया से मुखातिब नहीं हुए है। वहीं, बीते दिन कांग्रेस ने खींवसर सीट पर बीजेपी नेता की पत्नी को मैदान में उतार दिया,हालांकि बाद में सवाई सिंह चौधरी ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया। इससे इतर खींवसर से आरएलपी ने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है। हनुमान बेनीवाल ने पत्नी कनिका बेनीवाल को चुना है। कुल मिलाकर कांग्रेस ने इस बार गठबंधन क्यों नहीं किया ये सभी जानना चाहते हैं रणनीतिकार मानते हैं गठबंधन न होने की वजह का मुख्य कारण बेनीवाल-डोटासरा की तकरार है। 

नेता चुप संशय में कांग्रेस कार्यकर्ता

इस बार कांग्रेस ने नये चेहरों के साथ महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। हद तो तब हो जब कांग्रेस कार्यकर्ता देवली उनियारा से उतार गए प्रत्याशी केसी मीणा के बारे में पूछ रहे हैं,उन्हें ये तक नहीं पता ऐसा कोई नेता भी हमारे पास है। इससे इतर डोटासरा,पायलट और गहलोत जैसे बड़े नेताओं  ने भी चुप्पी साधी हुई है आखिर किसके कहने पर केसी को प्रत्याशी बनाया गया है। बता दें, केसी मीणा कभी बीजेपी नेताओं के करीबी माने जाते थे। हालांकि उन्हें टिकट क्यों मिला ये साफ नहीं है। सूत्रों की मानें तो सवाईमाधोपुर से सांसद हरीश मीणा की सिफारिश पर केसी दावेदार बनाया गया है। 

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दौसा-झुंझनूं में भी यही हाल 

दौसा राजस्थान की हॉट सीट बनी हुई है,यहां से बीजेपी ने किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को चुना है। जबकि कांग्रेस ने युवा चेहरे डीसी बैरवा पर दांव लगाया है। कयास थे कि कांग्रेस किसी बड़े चेहरे को चुन सकती है हालांकि ऐसा नहीं हुआ। इस सीट पर कांग्रेस-बीजेपी एससी-एसटी वोटर्स को साधने की कोशिश कर रही हैं। यहां पर ब्रह्माण और गुर्जर वोटर्स की संख्या लगभग बराबर है। झुंझनू से कांग्रेस ने सांसद बने ब्रजेंद्र ओला के बेटे अमित ओल को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर कांग्रेस से ओला परिवार को टिकट मिलता है। जबिक रामगढ़ से आर्यन खान को टिकट दिया गया है, जो दिवंगत विधायक जुबेर खान के बेटे हैं। 

सलूंबर सीट पर कांग्रेस में उथलपुथल

बीजेपी ने सलूंबर से वंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी सांता देवी पर दांव लगाया जबकि कांग्रेस ने महिला उम्मीदवार को टक्कर देने के लिए रेशमा मीणा को चुना। उम्मीद था कि यहां से रघुवीर मीणा को टिकट दी जाएगी,हालांकि ऐसा नहीं हुआ। इस फैसले से पार्टी नेता खुश नहीं है, कई ब्लॉक प्रमुखों ने इस्तीफा दे दिया। इस चहर चौरासी में कांग्रेस ने युवा चहेरे महेश रोत को टिकट दिया है। महेश छात्र राजनीति में सक्रिय रहे हैं। यहां पर कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी के साथ बीएपी से भी है। इस सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी से सांसद राजकुमार रोत का अच्छा प्रभाव माना जाताहै। ऐसे में यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला होना तय है। खैर,डोटासरा का कहना था गठबंधन के बिना भी कांग्रेस सात सीटों पर जीत का परचम लहराएगी लेकिन जिस तरह के हालात है उससे इन्कार नहीं किया जा सकता है गठबंधन टूटने से कांग्रेस को उपचुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।