Rajasthan News: सात सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर रणनीति तेज, बीजेपी बैठक में प्रेमचंद बैरवा के विवाद पर हुई चर्चा
राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों के नामों को अंतिम रूप दे दिया गया है। इस संबंध में दिल्ली में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा की बैठक हुई, जहां हाल के विवादों पर चर्चा भी हुई।
राजस्थान में जल्द ही सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, और इसके लिए प्रत्याशियों के नामों को अंतिम रूप दे दिया गया है। इस विषय पर दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व ने राजस्थान के उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के साथ बैठक की।
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शाह-नड्डा के साथ हुई बातचीत
रविवार देर रात बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैरवा ने संभावित उम्मीदवारों पर विस्तार से चर्चा की। बैठक समाप्त होने के बाद, बैरवा और शीर्ष नेतृत्व के बीच एक घंटे की विशेष बैठक भी आयोजित की गई।
बैरवा के विवादों पर चर्चा तेज
बैठक में भाजपा के प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल और सह प्रभारी विजया रहाटकर भी शामिल थे। इस दौरान, बैरवा को हाल के दिनों में उनसे जुड़े विवादों पर सफाई देने का मौका मिला। खासतौर पर, बैरवा के जूते की कीमत और बेटे की जीप चलाने की वायरल रील से जुड़े विवादों पर चर्चा हुई। पार्टी नेतृत्व ने बैरवा को ऐसे विवादों से दूर रहने की नसीहत दी।
उपचुनाव के उम्मीदवारों पर भी चर्चा तेज
वहीं, जयपुर में मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित एक और बैठक में, उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दिया गया। हालांकि, इस महत्वपूर्ण बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की गैरहाजिरी ने पार्टी के भीतर असंतोष की चर्चाओं को बल दिया है। कहा जा रहा है कि वसुंधरा राजे पार्टी के निर्णयों से नाखुश हैं, खासकर भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से। लोकसभा चुनावों के दौरान, वसुंधरा ने केवल अपने बेटे दुष्यंत सिंह की सीट झालावाड़ तक ही खुद को सीमित रखा था, जिससे उनकी नाराजगी के संकेत मिले हैं।
कौन सी सीटों पर होने हैं उपचुनाव
राजस्थान की जिन सात सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें झुंझुनूं, दौसा, देवली-उनियारा, चौरासी, खींवसर, सलूंबर, और रामगढ़ शामिल हैं। इनमें से पांच सीटें विधायकों के सांसद बनने से खाली हुई हैं, जबकि सलूंबर और रामगढ़ सीटें विधायकों की मृत्यु के कारण रिक्त हैं। आगामी उपचुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए अपनी ताकत और एकता प्रदर्शित करने का महत्वपूर्ण अवसर माना जा रहा है।