Rajasthan News: 10 सालों में सीएम भजनलाल शर्मा ने वो कर दिखाया जो नहीं हुआ कभी,तोड़े दिग्गजों के रिकॉर्ड !
राजस्थान उपचुनावों में बीजेपी ने 5 सीटों पर जीत दर्ज कर इतिहास रचा, 10 सालों में पहली बार इतनी बड़ी जीत। भजनलाल शर्मा की अगुवाई में बीजेपी ने बदला चुनावी पैटर्न। 2014 के बाद उपचुनावों में पहली बार मिली बड़ी कामयाबी। क्या है जीत के मायने?
राजस्थान में सात सीटों पर हुए उपचुनावों में बीजेपी ने 5 सीटों पर जीत हासिल कर इतिहास रच दिया है। 10 सालों के कार्यकाल में ये पहली बार है जब बीजेपी ने इतने बड़े स्तर पर जीत दर्ज की हो। साथ ये भजनलाल शर्म का कद इस चुनाव के बाद और भी ज्यादा पड़ गया है अफसरशाही तक ये संदेश पहुंच चुका है अब भजनलाल शर्मा चुनावी पेंच की बारीकी समझ गये हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो 2013 में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी 163 सीटें जीतने में कामयाब रही थी,जबकि 2014 के चुनाव में मोदी लहर ने विपक्ष का सूपड़ा साफ करते हुए 25 की 25 लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाया था। हालांकि उपचुनाव में हमेशा पार्टी का प्रदर्शन का खराब रहा। 2013-18 के बीच हुए उपचुनावों में कांग्रेस ने 4 तो बीजेपी ने 2 सीटें जीतीं। लोकसभा उपचुनाव में दो सीटें सीधे कांग्रेस के खाते में गईं।
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2018-2023 तक उपचुनावों का रिकॉर्ड
2019 में भले राजस्थान में कांग्रेस की सरकार आई हो लेकिन लोकसभा चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन शानदार रहा हालांकि उपचुनावों में कांग्रेस हमेशा बीजेपी पर हावी दिखी। आंकड़े बताते हैं, 2018-23 के बीच कुल 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ। जहां कांग्रेस ने सात,बीजेपी ने एक और आरएलपी ने एक सीट पर जीत हासिल की। 2023 में बीजेपी ने सत्ता में वापसी की और कमान संभाली भजनलाल शर्मा ने। उनकी शपथ के साथ 25 और मंत्रियों को शपथ दिलाई गई उनके मंत्री मंडल में एक मंत्री ऐसे भी थे जो विधायक नहीं थे। नाम था सुरेंद्र पाल टीटी। मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद उन्होंने करणपुर सीट से ताल ठोकी लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी के हाथों को हार मिली। बात इतनी बढ़ी की उन्हें इस्तीफ देना पड़ा। नए-नए मुख्यमंत्री के माथे पर बड़ा कलंक लगा। इससे वह उबर भी नहीं पाये थे कि लोकसभा चुनावों में बीजेपी 13 सीटें जीत पाई जबकि 11 पर हार का सामना करना पड़ा।
सात सीटों का चुनाव सीएम की अग्निपरीक्षा
लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद अब उपचुनाव भजनलाल शर्मा के लिए लिटमस टेस्ट की तरह था। जहां उन्हें खुद को साबित करना था। इसके लिए सभी सीटों की जिम्मेदारी उन्होंने खुद उठाई और जनसभा की। यही वजह रही जनता का झुकाव बीजेपी की रहा और पार्टी 2014-2023 तक पहली बार उपचुनावों का पैटर्न बदलने में कामयाब रही।