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Rajasthan News: 'अवारा' कहने पर रोक, लेकिन तस्करों को जमानत, एक बार फिर हुई भजनलाल सरकार की किरकरी

राजस्थान में, गोवंशों को अवारा कहने पर रोक लगाने वाली सरकार, गो तस्करों की जमानत का विरोध करने के लिए अदालत में वकील पेश नहीं कर पाई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकारी वकील के गैर-हाजिर होने के कारण तस्कर को जमानत दे दी।

Rajasthan News: 'अवारा' कहने पर रोक, लेकिन तस्करों को जमानत, एक बार फिर हुई भजनलाल सरकार की किरकरी

राजस्थान में उपचुनाव की सरगर्मी के बीच अब गाय पर राजनीति छिड़ गई है। एक तरफ भजनलाल सरकार ने गोवंशों को अवारा कहने पर रोक लगा दी है तो दूसरी सरकार गो तस्करों की जमानत का विरोध करने के लिए अदालत में वकील भी पेश नहीं कर पा रही है। इस घटना के बाद सरकार की किरकरी हो रही है। वहीं, कई लोगों ने सरकार के इस रैवये के प्रति नाराजगी भी जाहिर की है।

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आखिर क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, पूरा मामला राजस्थान के करौली का है। जहां 2021 में पुलिस ने नाजिम खान समेत 9 तस्करों को गिरफ्तार किया था। लंबे वी क्त से वह बाहर आने का प्रयास कर रहा था, हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जिसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन सर्वोच्चय न्यायालय में राजस्थान सरकार की ओर से कोई भी वकील पेश नहीं हुआ,जिसके चलते अदालत ने नाजिम को जमानत दे दी। इतना ही नहीं कोर्ट ने अपने फैसले पर इस बात का जिक्र भी किया है। कोर्ट ने फैसले में लिखा मामले में राजस्थान सरकार को नोटिस भी दिया गया था लेकिन इसके बाद भी सरकारी वकील पेश नहीं हुए। जिस वजह से आरोपी के क्रिमिनल रिकॉर्ड पेश नहीं किये इसलिए जमानत मंजूर की जाती है। 

राजस्थान सरकार ने दी प्रतिक्रिया

गौवंशों को अवारा कहने पर पर आदेश पारित करने वाली राज्य सरकार को गोवंश तस्करी के खिलाफ वकील नहीं भेजा और न ही वकालतनामा भेजा। अब इस पर विधि मंत्री जोगाराम पटेल की प्रतिक्रिया सामने आई है, उ्होंने कहा मुझे इस मामले से जुड़ी जानकारी नहीं है हालांकि आर्डर देखकर सरकार उचित फैसला लेगी। गौरतलब है, 2021 में करौली में नाजिम खान और उसके साथियों को 26 गोवंश की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन पर कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। सेशन कोर्ट और हाईकोर्ट ने उनके आपराधिक रिकॉर्ड को देखते हुए जमानत देने से मना कर दिया था। मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तब राजस्थान सरकार का वकील पेश नहीं हुआ, जिससे आरोपियों का पुराना रिकॉर्ड पेश नहीं किया जा सका और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी।