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Rajasthan By-Election: CM भजनलाल के प्लान में फंसा ओला परिवार, विरासत बचाने के लिए करनी पड़ेगी मशक्कत , बदले समीकरण !

राजस्थान में झुंझुनू उपचुनाव ओला परिवार के लिए विरासत बचाने का चुनाव है। बीजेपी ओला परिवार के गढ़ को ध्वस्त करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। जाट, मुस्लिम, और राजपूत मतदाता सहित कई जातियों का प्रभाव इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

Rajasthan By-Election: CM भजनलाल के प्लान में फंसा ओला परिवार, विरासत बचाने के लिए करनी पड़ेगी मशक्कत , बदले समीकरण !

राजस्थान में उपचुनाव के बीच सियासी तपिश बढ़ती जा रही है। यहां 13 नवंबर को मतदान होना है। एक तरफ दौसा हॉट सीट बनी हुई है तो वहीं, झुंझुनू सीट के चर्चे भी जोर-शोरों से हो रहे हैं। झुंझुनू ओला परिवार का गढ़ माना जाता है। इस बार बीजेपी को हराने के लिए ओला परिवार पूरी तरह से तैयार है। कांग्रेस ने यहां से सांसद‌ बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला को मैदान में उतारा है। ऐसे में यहां के सियासी समीकरणों के बारे में हम आपको बताएंगे। 

इतिहास दोहराना चाहती बीजेपी

शेखावाटी जनपद के अंदर पड़ने वाली झुंझुनू सीट इस बार बीजेपी के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस सीट पर ज्यादातर कांग्रेस का दबदबा रहा है। वही, झुंझुनू में गुटबाजी बीजेपी पर हमेशा भारी पड़ी है। जिसका सीधा फायदा हर चुनाव में कांग्रेस को मिला। 1996 मात्र ऐसा साल था जब यहां पर उपचुनाव में बीजेपी ने कमल खिलाया था। अब एक बार फिर 28 सालों बाद बीजेपी उस जीत को दोहराने की कोशिश में है। 

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झुंझुनू सीट पर कठिन कांग्रेस की राह

दरअसल, बीते दिनों मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत के कार्यकाल में मंत्री रहे राजेंद्र गुढ़ा से मुलाकात की थी। जिसके बाद से सियासी गलियारों में अलग-अलग तरह की चर्चाएं हो रही है। बता दें, झुंझुनू से राजेंद्र गुढ़ा अकेले मैदान में है जो कांग्रेस के वोटबैंक में सेंध लगा सकते हैं। जमीनी मुद्दों की बात की जाये तो बीते कई सालों में ओला परिवार के प्रति अल्पसंख्यकों के नाराजगी लगातार बढ़ती गई है जब तक ओला परिवार इसे समझ पाता तब तक बात हाथ से निकल चुकी थी।इससे इतर बीजेपी ने केवल बागियों मनाया बल्कि गुटबाजी पर भी काबू पाया। 

जाट वोटो को साधने की कोशिश में बीजेपी 

झुंझुनू जाट बहुल सीट मानी जाती है। कांग्रेस के किले को ध्वस्त करने के लिए उपचुनाव की कमान मंत्री अविनाश गहलोत और सुमित गोदारा को सौंपी गई है। पहले कहा जा रहा था कि बीजेपी हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी को बुला सकती है हालांकि पार्टी ने ऐसा नहीं किया और जाट वोटर को अपनी तरफ खींचने की जिम्मेदारी इन दोनों नेताओं को दी। झुंझुनू सीट पर जाट, मुस्लिम और राजपूत मतदाता बहुल संख्या में है। इसके अलावा यहां पर सैनी वोटर्स की संख्या भी अच्छी खासी है जो खेल बिगड़ने की क्षमता रखते हैं। 

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी करेंगे प्रचार 

एक तरफ जहां झुंझुनू सीट पर बीजेपी के मंत्रियों ने कमान संभाल रखी है तो दूसरी तरफ भजनलाल शर्मा भी प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाएंगे। ऐसे में यह एक अवसर है जो बीजेपी अपने हाथ से नहीं जाना चाहती है। बता दें, यहां से बीजेपी ने राजेंद्र भांपू को प्रत्याशी बनाया है। जिनके नामांकन में भी सीएम भजनलाल शर्मा पहुंचे थे। 

कांग्रेस के लिए आसान नहीं झुंझुनू जीतना

ओला परिवार के खिलाफ चुनाव से पहले मुस्लिम वोटर बगावत के झंडा बुलंद कर चुके हैं। जबकि राजपूत मतदाता बीजेपी की ओर झुकते नजर आ रहे हैं और ओबीसी और स्वर्ण जाति का झुकाव बीजेपी की ओर नजर आ रहा है। जिसने ओला परिवार टेंशन बढ़ा दी है। बाजी को पलटने के लिए कांग्रेस मुस्लिम वोटर्स को साधने की कोशिश कर रही है। मुस्लिम इलाकों में घर-घर जाकर प्रचार किया जा रहा है। बरहाल यह चुनाव ओला परिवार के लिए विरासत बचाने का चुनाव है और इसका सारा दारोमदार सांसद बृजेंद्र ओला पर है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा ओला परिवार चुनाव जीत पीता है या नही या फिर बीजेपी 1996 वाला प्रदर्शन दोहराने में कामयाब रहती है।