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Dussehra Special: राजस्थान की विजयादशमी की अमर परंपराएं, 6 जगह रावण दहन नहीं बल्कि अलग तरीके से मनाया जाता है त्योहार

Dussehra Special: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के पारोली कस्बे में रावण का वध एक अनोखी परंपरा के तहत किया जाता है। यहां दस फीट के सीमेंट के रावण को तोड़कर उसकी हार का जश्न मनाया जाता है। जो इस त्योहार को विशेष बनाता है। रावण दहन के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन परोली में होने वाले इस रावम को तोड़ने की परंपरा आकर्षक मालूम देती है।

Dussehra Special: राजस्थान की विजयादशमी की अमर परंपराएं,  6 जगह रावण दहन नहीं बल्कि अलग तरीके से मनाया जाता है त्योहार

Dussehra Special: देश के तमाम हिस्सों में रावण दहन को लेकर तमाम परंपराएं हैं। राजस्थान में भी रा के त्योहार को बेहद उल्लास और जोश के साथ मनाया जाता है। लेकिन राजस्थान में 6 ऐसी परंपराएं है, जिनके बारे में शायद ही आपने सुना हो, ये परंपराएं सदियों पुरानी बताई जाती हैं।

दहन नहीं होता, तोड़ा जाता है रावण

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के पारोली कस्बे में रावण का वध एक अनोखी परंपरा के तहत किया जाता है। यहां दस फीट के सीमेंट के रावण को तोड़कर उसकी हार का जश्न मनाया जाता है। जो इस त्योहार को विशेष बनाता है। रावण दहन के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन परोली में होने वाले इस रावम को तोड़ने की परंपरा आकर्षक मालूम देती है।

जयपुर में होता है अनोखा रावण दहन

राजस्थान की राजधानी जयपुर के रेनवाल कस्बे में दशहरा से पहले, अष्टमी पर रावण का दहन कर दिया जाता है। ये परंपरा दुनिया में अद्वितीय है, जो इस कस्बे को खास बनाती है। यहां परंपरा कई सालों से निभाई जा रही है।

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महिषासुर के पुतले का होता है दहन

कई बार ये सवाल उठता है कि क्या रावण के अलावा किसी का पुतला जलाया जाता है, तो इसका जवान राजस्थान क ब्यावर में मिलता है। राजस्थान के ब्यावर शहर के विजय नगर कस्बे में रावण नहीं बल्कि महिषासुर का पुतला जलाया जाता है। यह रावण दहन से भिन्न एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पहलू है। रावण से भी बड़ा बुरा राक्षस महिषासुर को माना जाता है।

चार सौ साल पुरानी झुंझनूं की परंपरा

राजस्थान के झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी कस्बे में चार सौ साल पुरानी परंपरा के तहत रावण और उसकी सेना पर बंदूके चलाई जाती थीं। लेकिन हाल ही में इस परंपरा पर बैन लगा दिया है। इसके पीछे कानून बंदोबस्त बिगड़ने की संभावना जताई गई है।

जोधपुर की अमर परंपरा

राजस्थानके जोधपुर के मंडोर कस्बे में रावण और उसकी पत्नी मंदोदरी की पूजा की जाती है। यहां रावण को जमाई मानकर पूजा जाता है, जो इस त्योहार के महत्व को और बढ़ाता है। मंडोर मे रावण और उनकी पत्नी के फेरे हुए थे।

होती है रावण की तीये की बैठक

राजस्थान की राजधानी जयपुर जिले के प्रताप नगर कस्बे में भी एक अनोखी परंपरा है । जहां रावण के वध के बाद तीये की बैठक की जाती है और साथ ही किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद किए जाने वाले तमाम कार्य विधी विधान से होते हैं। रावण को बेहद विद्धान माना जाता है।