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शोधार्थियों ने वीसी चैंबर के बाहर 6 घंटे तक किया धरना प्रदर्शन, डिग्री रोके जाने का पूछा कारण

अलवर के राजऋषि भर्तृहरि यूनिवर्सिटी में शिक्षा संकाय के शोधार्थियों ने फिर से वीसी चैंबर के बाहर 6 घंटे तक धरना प्रदर्शन किया. वीसी और रजिस्ट्रार अवकाश पर थे, इसलिए उन्हें जवाब देने वाला भी कोई नहीं था. शोधार्थियों के बैठे रहने से स्टाफ का आना-जाना भी बंद रहा.

शोधार्थियों ने वीसी चैंबर के बाहर 6 घंटे तक किया धरना प्रदर्शन, डिग्री रोके जाने का पूछा कारण

अलवर के राजऋषि भर्तृहरि यूनिवर्सिटी में शिक्षा संकाय के शोधार्थियों ने फिर से वीसी चैंबर के बाहर 6 घंटे तक धरना प्रदर्शन किया. वीसी और रजिस्ट्रार अवकाश पर थे, इसलिए उन्हें जवाब देने वाला भी कोई नहीं था. शोधार्थियों के बैठे रहने से स्टाफ का आना-जाना भी बंद रहा.ऑफिस समय खत्म हुआ तो एक कर्मचारी अंतरिक्ष तिवाड़ी सीढ़ियों से कूदकर जाने लगा. इस मशक्कत में कर्मचारी का जूता एक शोधार्थी प्रीति के कंधे पर लगा. प्रीति ने इसे बदतमीजी बताते हुए पुलिस को शिकायत भी दी. जबकि कर्मचारी ने आरोप गलत बताया है.

गौरतलब है कि शोधार्थियों ने 17 मई को प्रदर्शन के दौरान 27 मई तक उनकी डिग्री रोकने का कारण पूछा था. रजिस्ट्रार ने डीआरसी में उनके विषय भेजने की कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन मांग पूरी नहीं होने के चलते शोधार्थी प्रदर्शन करने पहुंचे थे.

शिक्षा संकाय से पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों के मामले में 2022 में यूनिवर्सिटी ने करीब 60 शोधार्थियों को मंझधार में छोड़ दिया था. दरअसल, मत्स्य यूनिवर्सिटी ने 2017 में अधिसूचना जारी कर पीएचडी के लिए प्रवेश परीक्षा ली और इंटरव्यू से अभ्यर्थियों का चयन किया था. इन सभी की फीस जमा हो गई और सुपरवाइजर भी अलॉट कर दिए गए.
इन सभी का 6 महीने का कोर्स वर्क भी हुआ. फीस भी जमा की. रिजल्ट आने के बाद अभ्यर्थी शोधकार्य में जुट गए. 4 साल बाद पांचकार्य जमा कराने पहुंचे तो यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वाइस चांसलर प्रो. जेपी यादव ने शोधकार्य जमा करने से इनकार कर दिया था. वीसी ने कारण बताया था कि आपके सुपरवाइजर यूजीसी के 2016 के नियमों की पालना नहीं करते हैं.

रिपोर्ट - सुधीर पाल