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Sawai Madhopur News: हकीकत या अंधविश्वास, सोलेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने आ रहे ‘जामवंत’ !

भालू के सोलेश्वर महादेव मंदिर में आने और पुजारी से रोटियां खाने का एक वीडियो भी सामने आया है, जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हो रहा है, जिसे लोग खूब पसंद भी कर रहे है ओर तरह तरह के कमेंट भी कर रहे हैं।

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सवाई माधोपुर के रणथम्भौर के घने जंगलों में स्थित सोलेश्वर महादेव मंदिर में इन दिनों एक भालू का रोज मंदिर आना मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं में चर्चा का विषय बना हुआ है। एक भालू रोज मंदिर में पूजा के समय पहुंच जाता है और आरती के बाद वापस जंगल में लौट जाता है।

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भालू को रोज खाना खिलाते हैं पुजारी
इतना ही नहीं यह भालू मंदिर के पुजारी का दोस्त भी बन चुका है। भालू को रोज पुजारी खाना भी खिलाते है। इस दौरान भालू किसी को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाता, खाना खाकर भालू वापस जंगल मे चला जाता है।

रोटियां खाने का वीडियो हो रहा वायरल
भालू के सोलेश्वर महादेव मंदिर में आने और पुजारी से रोटियां खाने का एक वीडियो भी सामने आया है, जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हो रहा है, जिसे लोग खूब पसंद भी कर रहे है ओर तरह तरह के कमेंट भी कर रहे हैं। वायरल वीडियो में भालू मंदिर में पहुंचता हुआ दिखाई दे रहा है। इस दौरान भालू मंदिर में चहलकदमी करता है। मन्दिर में आने पर भालू को पुजारी द्वारा खाना भी खिलाया जाता है । इसके बाद भालू मंदिर से लौट जाता है।

सात दिन से मंदिर आ रहा भालू
बताया जा रहा है कि मंदिर में भालू के आने का यह सिलसिला पिछले 7 दिनों से चल रहा है। भालू का व्यवहार भी बेहद सरल लग रहा है। भालू हर दिन पुजारी के साथ पालतू जानवर जैसा व्यवहार करता है। अभी तक भालू ने यहां किसी भी श्रद्धालु को नुकसान नहीं पहुंचाया है। वहीं, मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के बीच यह भालू चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग इस भालू की तुलना जामवंत से कर रहे हैं।

700 साल पुराना है मंदिर
सोलेश्वर महादेव मन्दिर रणथम्भौर के घने जंगलों में स्थित है। यह मन्दिर रणथम्भौर की सबसे ऊंची पहाड़ियों में एक पहाड़ी पर बना हुआ है। सोलेश्वर महादेव मन्दिर टाइगर रिजर्व के जोन नम्बर 2 में स्थित है। यह शिवालय करीब 450 फीट ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर झरने का पानी गौमुख से आकर सीधे भगवान शिव का जलाभिषेक करता है। सोलेश्वर महादेव मन्दिर के बारे में बताया जाता है कि यह मन्दिर रणथम्भौर के प्रतापी शासक राव हम्मीर के समकालीन है। ऐसे में मन्दिर को करीब सवा 700 साल पुराना माना जाता है। सोलेश्वर महादेव मन्दिर जाने के लिए एक रास्ता पुराने शहर के जोन नम्बर 6 से और एक रास्ता बोदल गांव से जाता है। यहा पर श्रद्धालु पैदल ही पहुंचते है। टाइगर रिजर्व का कोर एरिया होने के कारण यहां जाने के लिए लोगों को प्रशासन से इजाजत लेनी पड़ती है। इस इलाके में प्राइवेट वाहनों को ले जाने की अनुमति नहीं है। इस इलाके में करीब 2 बाघ, बाघिन, लेपर्ड, भालू स्वछंद विचरण करते है।

रिपोर्ट- बजरंग सिंह