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फोटो क्लिक करने के हैं शौकीन तो इस नवरात्रि जरूर जाएं इस मां दुर्गा के मंदिर में

भारत एक ऐसा देश है जहां हमेशा से शक्ति की उपासना माता अंबिका के रूप में की जाती है. 51 शक्तिपीठों के अलावा भी कई ऐसे मंदिर हैं जो माता दुर्गा को समर्पिक हैं. ये मंदिर काफी सिद्ध माने जाते हैं और रोजाना यहां भक्त अपनी मुराद लेकर माता के द्वार पहुंचते हैं.

फोटो क्लिक करने के हैं शौकीन तो इस नवरात्रि जरूर जाएं इस मां दुर्गा के मंदिर में

भारत एक ऐसा देश है जहां हमेशा से शक्ति की उपासना माता अंबिका के रूप में की जाती है. 51 शक्तिपीठों के अलावा भी कई ऐसे मंदिर हैं जो माता दुर्गा को समर्पिक हैं. ये मंदिर काफी सिद्ध माने जाते हैं और रोजाना यहां भक्त अपनी मुराद लेकर माता के द्वार पहुंचते हैं. इसी कड़ी में आज राजस्थान के अंबिका माता मंदिर के इतिहास को जानेंगे.

उदयपुर में बसा है अंबिका माता मंदिर

राजस्थान के उदयपुर में अम्बिका मंदिर करीब 50 किलोमीटर दूर गिर्वा की पहाडि़यों के बीच बसे कुराबड़ गांव के समीप है. यह मंदिर करीब 150 फीट लम्बे परकोटे से घिरा है. पूर्व दिशा में प्रवेश करने पर दो मंजिल के प्रवेश मण्डप पर बाहरी दीवारों पर प्रणय मुद्रा में नर−नारी की प्रतिमाएं,  द्वार के स्तम्भों पर अष्ठमातृका प्रतिमाएं, सुंदर-सुंदर आकृतियां और मण्डप की छत पर समुद्र मंथन को दर्शाया गया है. मंदिर की छत का निर्माण परम्परागत शिल्पकारी के अनुसार कोनों की ओर से चपटे और बीच में पद्म केसर के अंकन के साथ बनाया गया है. मण्डप में दोनों ओर हवा और रौशनी के लिए पत्थर से बनी जालियां इस मंदिर के रूप को और संवारते हैं.

इस मंदिर का प्रवेश मण्डप और मुख्य मंदिर के बीच में खुला आंगन भी है. प्रवेश मण्डप से मुख्य मंदिर करीब 50 फुट की दूरी पर है. वहीं सभा मण्डप के बाहरी भाग में दिग्पाल, सुर−सुंदरी, रमणियों, वीणाधारिणी, सरस्वती समेत तमाम प्रतिमाओं को उकेरा गया है. इस पूरे मंदिर में देवी देवताओं की सैकड़ों प्रतिमाएं मौजूद हैं. यहां भगवान गणेश की भी दुर्लभ प्रतिमा स्थापित है जोकि नृत्य की मुद्रा में है. इस मंदिर के पिछले हिस्से में मां महिषासुर मर्दिनी की एक भव्य मूर्ति स्थापित है. इसके साथ ही साथ मंदिर के तमाम भागों में मां दुर्गा के कई अवतारों की प्रतिमा स्थापित की गई हैं.

अप्रतिम सौन्दर्य का प्रतीक है गर्भगृह

इस मंदिर के गर्भगृह की शोभा देखते ही बनती है. गर्भगृह की परिक्रमा में सभा मण्डप के दोनों ओर छोटे−छोटे प्रवेश द्वार हैं. यहां की विग्रह पटि्टका भी मूर्तिकला का अद्भुत खजाना है. द्वारपाल के साथ गंगा, यमुना, सुर−सुंदरी, विद्याधर और नृत्यांगनाओं के साथ−साथ देवप्रतिमाओं का अंकन यहां किया गया है. गर्भगृह के मुख भाग में जगतजननी मां अम्बिका की ऐसी प्रतिमा स्थापित है जिसके देख कर बार- बार देखने की लालसा होती है. अम्बिका माता मंदिर शिव शक्ति सम्प्रदाय के प्रमुख मंदिरों में से एक है.