दरबार स्कूल की छात्राओं ने शिक्षक पर लगाया तबीयत बिगड़ने का आरोप, जिला कलेक्ट्रेट से की शिकायत
राजकीय उच्च माध्यमिक दरबार स्कूल की छात्राओं की तबीयत बिगड़ने से शिक्षा विभाग पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। छात्राओं ने स्कूल बस में दम घुटने की शिकायत करते हुए स्कूल प्रशासन पर लापरवाही और मानसिक दबाव के आरोप लगाए हैं। प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
टोंक के राजकीय दरबार स्कूल की छात्राओं की तबीयत खराब होने की घटना ने प्रशासन और शिक्षा विभाग को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय छात्रावास में रह रही इन छात्राओं की तबीयत बिगड़ने का सिलसिला दूसरे दिन भी जारी रहा, जिससे लगभग आधा दर्जन से अधिक छात्राएं प्रभावित हुईं।
ये भी पढ़े-
बेहोशी की हालत में पहुंचीं कलेक्ट्रेट
बुधवार को दरबार स्कूल से पढ़कर लौट रही छात्राओं की हालत अचानक बिगड़ने लगी। तबीयत बिगड़ने के बावजूद उन्हें किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली, और वे बेहोशी की हालत में पैदल ही जिला कलेक्ट्रेट तक पहुंचीं। छात्राओं का आरोप है कि स्कूल के शिक्षक उन पर बस की खिड़कियां बंद करने का दबाव डालते हैं, जिससे दम घुटने जैसी स्थिति बन जाती है। छात्राओं ने शिकायत की कि उन्हें टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) काटने की धमकी भी दी गई है।
शिक्षकों की लापरवाही का बड़ा आरोप
छात्राओं का कहना है कि स्कूल प्रबंधन की ओर से कोई शिक्षक या अधिकारी उनके साथ मौजूद नहीं था, जो इस मामले में बड़ी लापरवाही को दर्शाता है। कई छात्राओं ने घुटन, पेट और सिर दर्द, और उल्टी जैसी समस्याओं की शिकायत की। हॉस्टल बस की खिड़कियां बंद करने से दम घुटने की वजह से उनकी हालत बिगड़ रही है। इस मुद्दे को लेकर छात्राओं ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ कलेक्ट्रेट में विरोध दर्ज कराया है।
प्रशासन की तरफ से जांच का आश्वासन
छात्राओं की तबीयत बिगड़ने की खबर मिलते ही जिला प्रशासन ने तुरंत मामले की जांच के आदेश दिए। प्रशासन ने बताया कि इस घटना की जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना ने विद्यालय प्रबंधन की लापरवाही और छात्राओं की सुरक्षा में हो रहे गंभीर चूक पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय अभिभावकों और सामाजिक संगठनों ने भी प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।