रेवासा धाम के पीठाधीश्वर स्वामी राघवाचार्य का हुआ निधन, अंतिम यात्रा में शामिल हुए सैनाचार्य अचलानंद गिरी जी महाराज
पूज्य स्वामी राघवाचार्य जी महाराज का निधन जोधपुर में हुआ, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। उनकी अंतिम यात्रा में हजारों श्रद्धालु, साधु-संत और अनुयायी शामिल हुए। संत समाज के प्रतिष्ठित सदस्यों ने स्वामी जी के जीवन को धर्म, तपस्या, और समाज सेवा के प्रति समर्पण का प्रतीक बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
राजस्थान के जोधपुर में शनिवार को रैवासा पीठाधीश्वर पूज्य स्वामी राघवाचार्य जी महाराज का निधन हो गया। सैनाचार्य अचलानंद गिरी जी महाराज भी स्वामी जी की अंतिम यात्रा में शामिल हुए।
दिल का दौरा पड़ने से हुई मौत
रैवासा पीठाधीश्वर पूज्य स्वामी राघवाचार्य जी बीते शुक्रवार की सुबह करीब 7 बजे अपने निवास के बाथरूम में अचानक दिल का दौरा पड़ा था। उनकी स्थिति बिगड़ने पर उन्हें तत्काल इलाज के लिए सीकर के अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों की टीम ने उनके निधन की पुष्टि की। स्वामी जी महाराज के निधन की सूचना मिलते ही उनके अनुयायियों में शोक की लहर दौड़ गई। सीकर सहित राजस्थान के कई अन्य क्षेत्रों में उनके भक्तगण दुखी हैं और उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। स्वामी जी महाराज के अनुयायियों ने उन्हें एक महान संत और प्रेरणास्त्रोत के रूप में याद किया, जिन्होंने अपने जीवन को त्याग, तपस्या, और धर्म के प्रति अटूट समर्पण का प्रतीक बनाया।
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जोधपुर में निकाली गई अंंतिम यात्रा
जोधपुर में शुक्रवार को उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें देशभर से आए संतों, साधुओं, अनुयायियों और श्रद्धालुओं ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। स्वामी जी के निधन होने पर सुबह से उनके अनुयायी राम धुन का आयोजन कर रहे थे और शाम 4 बजे रेवासा मंदिर के पास बावड़ी प्रांगण में उनका अंतिम संस्कार किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में संत-महात्मा, महापुरुष, और आसपास के इलाके के लोग मौजूद थे।
स्वामी राघवाचार्य जी महाराज के अंतिम यात्रा में श्रद्धालु शामिल
स्वामी राघवाचार्य जी महाराज के अंतिम संस्कार में जोधपुर से सैनाचार्य अचलानंद गिरी जी महाराज सहित अनेक संत पहुंचे थे। इस अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए थे, जो उनको श्रद्धांजलि देने और उनके महान व्यक्तित्व को याद करने के लिए एकत्रित हुए थे।
सैनाचार्य अचलानंद गिरी जी महाराज ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा, "स्वामी राघवाचार्य जी महाराज का जीवन त्याग, तपस्या और धर्म के प्रति अटूट समर्पण का प्रतीक था। उनका जीवन सदैव हम सभी के लिए एक महान प्रेरणास्त्रोत रहेगा। उनका जाना सनातन धर्म और संपूर्ण समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है।"
प्रमुख संतो ने दी श्रद्धांजलि
इस मौके पर देश के कई प्रमुख संतों और धार्मिक गुरुओं ने भी अपनी भावविनी श्रद्धांजलि अर्पित की। स्वामी राघवाचार्य जी के जीवन को धर्म और आध्यात्मिकता की सेवा के लिए समर्पित बताया गया। उनकी सादगी, विनम्रता और धार्मिकता के प्रति अटूट निष्ठा ने उन्हें समाज में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया था। उनके निधन से उनके अनुयायियों और शिष्यों में शोक की लहर है।
स्वामी जी के अनुयायियों और शिष्यों ने इस कठिन समय में संबल और धैर्य प्रदान करने के लिए प्रभु श्रीराम जी से प्रार्थना की। उनके मार्गदर्शन में चलने वाले हजारों अनुयायियों ने उन्हें आदर्श मानकर उनके सिद्धांतों का पालन करने का संकल्प लिया था।
स्वामी राघवाचार्य जी महाराज का निधन न केवल धार्मिक जगत के लिए बल्कि समूचे समाज के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी शिक्षाएं और उपदेश सदियों तक समाज को मार्गदर्शन देते रहेंगे। जोधपुर और आसपास के क्षेत्रों में उनके अनुयायियों द्वारा उनकी स्मृति में अनेक धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है, जिससे उनके महान व्यक्तित्व और कृतित्व को सदैव याद रखा जा सके।