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महाराणा प्रताप के कई प्रसिद्ध युद्ध रहे उनमें से कुछ के बारे में हम आपको बताते हैं और उनका घोड़ा चेतक की अलग ही कहानी है

महाराणा प्रताप ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे। जो अकबर के विरुद्ध अकेले खड़े थे। यहां नीचे कुछ प्रमुख लड़ाइयों का उल्लेख किया गया है जो उनके द्वारा लड़ी गईं थीं।

महाराणा प्रताप के कई प्रसिद्ध युद्ध रहे उनमें से कुछ के बारे में हम आपको बताते हैं और उनका घोड़ा चेतक की अलग ही कहानी है

महाराणा प्रताप युद्ध

महाराणा प्रताप ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे। जो अकबर के विरुद्ध अकेले खड़े थे। यहां नीचे कुछ प्रमुख लड़ाइयों का उल्लेख किया गया है जो उनके द्वारा लड़ी गईं थीं।

हल्दीघाटी का युद्ध (1576)

यह भारतीय इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण लड़ाइयों में से एक है। लड़ाई 18 जून 1576 को शुरू हुई थी। यह युद्ध महाराणा प्रताप और मुगल सेना के बीच लड़ा गया था। सेना का नेतृत्व आमेर के राजा मान सिंह ने किया जो सम्राट अकबर के विश्वस्त सेनापति थे। राणा प्रताप की सेना ने अद्भुत साहस दिखाया लेकिन अंततः इस युद्ध में हार का सामना करना पड़ा। इस युद्ध में महाराणा प्रताप घायल हो गये थे।

चित्तौड़गढ़ का युद्ध (1567-1568)

महाराणा प्रताप ने चित्तौड़गढ़ किले में मुगल सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उस समय चित्तौड़गढ़ मेवाड़ की राजधानी थी। अकबर द्वारा इस पर कब्ज़ा करने के बाद यह कुछ समय के लिए मुगलों के नियंत्रण में था। अंततः महाराणा प्रताप ने किले पर दोबारा कब्ज़ा कर लिया।

डेवेर की लड़ाई (1582)

हल्दीघाटी की लड़ाई के बाद राणा प्रताप ने मुगलों के खिलाफ अपना गुरिल्ला युद्ध जारी रखा। यह लड़ाई 1582 में लड़ी गई थी। इस युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना मुगल सेना को हराने में सफल रही थी। मुगलों की सेना का नेतृत्व मान सिंह प्रथम ने किया था।

गोगुन्दा का युद्ध (1576-1577)

महाराणा प्रताप ने अपनी सेना को पुनर्गठित किया और उदयपुर में मुगल कमांडर पर हमला किया। यह युद्ध गोगुन्दा के आसपास लड़ा गया था। यह कोई बड़ी जीत नहीं थी। लेकिन इसने मुगल प्रभुत्व के खिलाफ लड़ने के लिए महाराणा प्रताप के दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया।

रक्ततलाई का युद्ध (1587)

राणा प्रताप ने मुगलों और अम्बर साम्राज्य की संयुक्त सेना का सामना किया। संयुक्त सेना का नेतृत्व अकबर और मान सिंह प्रथम ने किया था। इस युद्ध में महाराणा प्रताप हार से बचने में सफल रहे और संघर्ष अनिर्णीत रहा।

महाराणा प्रताप का घोड़ा - चेतक

चेतक महाराणा प्रताप का पसंदीदा घोड़ा था। वह वफादार और बहादुर था और उसने महाराणा प्रताप के साथ कई लड़ाइयाँ देखी थीं। चेतक एक वफादार घोड़ा था। जिसने महाराणा प्रताप के जीवन में प्रमुख भूमिका निभाई थी। हल्दीघाटी के युद्ध में चेतक ने महाराणा प्रताप के साथ मुगलों का सामना किया। युद्ध में चेतक ने महाराणा प्रताप के साथ युद्ध किया। उन्होंने असाधारण साहस का परिचय दिया और वफादारी की मिसाल कायम की। युद्ध के दौरान चेतक गंभीर रूप से घायल हो गया। अपने वफादार साथी को खोने से महाराणा प्रताप को बहुत दुःख हुआ। उन्होंने चेतक के सम्मान में एक स्मारक बनवाया। जिसे हल्दीघाटी में "चेतक समाधि" के नाम से जाना जाता है।