उदयपुर लोकसभा सीट का क्या है जातीय समीकरण, क्या है यहां की अर्थव्यवस्था, किसको मिला टिकट, आइए बताते हैं...
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 104,571 हैं। इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति के मतदाता भी 1,207,698 हैं। यहां मुस्लिम वोटर लगभग 205,434 हैं। इस लोकसभा सीट के 81 फीसदी वोटर ग्रामीण हैं। वहीं शहरी मतदाताओं की संख्या 19 फीसदी है। 2019 के संसदीय चुनाव में यहां कुल वोटर 2050421 थे। इनमें से 70 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।
उदयपुर का जातीय समीकरण
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 104,571 हैं। इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति के मतदाता भी 1,207,698 हैं। यहां मुस्लिम वोटर लगभग 205,434 हैं। इस लोकसभा सीट के 81 फीसदी वोटर ग्रामीण हैं। वहीं शहरी मतदाताओं की संख्या 19 फीसदी है। 2019 के संसदीय चुनाव में यहां कुल वोटर 2050421 थे। इनमें से 70 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।
इतिहास-भूगोल
स्वतंत्र भारत में उदयपुर जिले का गठन गिरवा, खमनौर, राजनगर, भीम, मगरा, खेरवाड़ा और कुंभलगढ़, नाथद्वारा, कांकरोली, सलुम्बर, भिंडर, कानोड़, बंसी, बड़ी सादड़ी, आमेट, सरदारगढ़, देवगढ़ और गोगुन्दा को मिलाकर किया गया था। इस जिले की विशेषता पश्चिम और दक्षिण में पहाड़ियां, उत्तर में एक ऊंचा पठार और पूर्व में मैदान है। पश्चिमी ओर से साबरमती, वकल और सेई नदियां निकलती हैं। तो दक्षिणपूर्वी भाग जाखम, गोमती और सोम नदियों से सिंचित है। उत्तर पश्चिम में अरावली रेंज से घिरे उदयपुर से लगते हुए सिरोही और पाली जिले हैं। उत्तर में राजसमंद, पूर्व में चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले तथा दक्षिण में डूंगरपुर जिले व दक्षिण-पश्चिम में गुजरात राज्य भी सटा हुआ है।
अर्थव्यवस्था
उदयपुर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और पर्यटन पर निर्भर है। यहां 61 फीसदी लोग खेती करते हैं। हर साल लाखों की संख्या में यहां पयर्टक आते हैं। झीलों का यह शहर अब तो वीआईपी के शादियों के लिए खास डेस्टिनेशन बन रहा है। बावजूद इसके 2006 में पंचायती राज मंत्रालय ने इस जिले को देश के 250 सबसे पिछड़े जिलों में शामिल किया था। खनिज संसाधनों में समृद्ध इस जिले में तांबा, सीसा, जस्ता और चांदी के भंडार हैं। इसी प्रकार यहां गैर धातुओं में खनिज रॉक फॉस्फेट, अभ्रक, चूना पत्थर और संगमरमर भी बहुतायत में हैं।
अशोक गहलोत के करीबी को मिला टिकट
बता दें कि उदयपुर में डीएम रह चुके ताराचंद पूर्व सीएम अशोक गहलोत के काफी करीबी मानें जा रहे हैं। जिला कलेक्टर एवं जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग आयुक्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रहे ताराचंद मीणा ने जनवरी 2022 में उदयपुर जिले के दूरस्थ आदिवासी क्षेत्र कोटड़ा के सर्वांगीण विकास एवं उत्थान की दिशा में यह अभियान शुरू किया था। जिसके बाद इस क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक स्थिति के सुधार के साथ ही आधारभूत संरचनाओं के विकास में उल्लेखनीय कार्य हुए, जिससे इस पिछड़े क्षेत्र के लोगों को काफी लाभ पहुंचा। इस कार्य के लिए अवॉर्ड भी दिया गया था। मिशन कोटड़ा के लिए मीणा को सीएम एक्सीलेंस अवॉर्ड भी मिल चुका है।