17 साल बाद राहुल द्रविड़ का बदला होगा पूरा, इस बार किस्मत देगी टीम इंडिया का साथ!
रोहित शर्मा की कप्तानी में भारतीय टीम कल इतिहास रचने उतरेगी. क्रिकेट के दीवानों का थोड़ा इंतजार और सही, लेकिन इसके बाद उस पल की वापसी होनी है जिसका इंतजार हर किसी को है.
रोहित शर्मा की कप्तानी में भारतीय टीम कल इतिहास रचने उतरेगी. क्रिकेट के दीवानों का थोड़ा इंतजार और सही, लेकिन इसके बाद उस पल की वापसी होनी है जिसका इंतजार हर किसी को है. बीते 11 साल से हर एक क्रिकेट फैन इस ट्रॉफी की ओर टकटकी लगाकर देख रहा है, लेकिन बस अब ये इंतजार खत्म होने को है.
केंसिग्टन ओवल मैदान में मुकाबला
बारबडोस के ब्रिजटाउन शहर में केंसिग्टन ओवल मैदान में कल इंडिया और साउथ अफ्रीका के बीच टी20 विश्व कप का मुकाबला खेला जाना है. ये इंतजार भले ही भारतीयों के लिए 11 सालों का ही है, लेकिन टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़ का इंतजार 17 साल का है. एक ओर जहां बतौर हेड कोच टीम इंडिया के साथ द्रविड़ का साथ अब कुछ ही पलों का है, तो वहीं उनके पास शायद ये आखिरी मौका है जो वो अपने बदले को पूरा कर सकें.
ढाई साल बाद टीम इंडिया के साथ दोबारा जुड़े
राहुल द्रविड़ भारतीय टीम के साथ तकरीबन ढाई साल पहले दोबारा से जुड़े. द्रविड़ ने 2011 में इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लिया था, इसके बाद 10 साल बाद 2021 में द्रविड़ दोबारा टीम के साथ जुड़े. लेकिन इस बार रोल अलग था. इस बार वो खुद चैंपियन बनने नहीं आए थे बल्कि चैंपियंस की निगाहें उन पर थीं जो ख्वाब विश्वविजेता बनने का देख रहीं थीं. पिछले एक साल की अगर बात करें तो भारतीय टीम अपने सपने के दो बार करीब आई, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने उसका रास्ता रोका. 21 साल पहले भी कुछ ऐसा ही हुआ था, उस समय द्रविड़ टीम इंडिया के उप-कप्तान थे. उस समय हुआ वही था जो किस्मत में लिखा था इसलिए वो वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप या वनडे वर्ल्ड कप जीतकर टीम इंडिया का इंतजार खत्म नहीं कर पाए.
बदले की घड़ी आई !
वनडे वर्ल्ड कप 2023 खत्म होने के साथ ही राहुल द्रविड़ का बतौर हेड कोच कार्यकाल खत्म हो गया था, लेकिन टी20 वर्ल्ड कप 2024 तक उनके कार्यकाल को बाध्य गया. किस्मत द्रविड़ को उसी जगह ले कर आई है जहां 17 साल पहले द्रविड़ की कप्तानी का दौर खत्म हुआ था. 2007 के वर्ल्ड कप में राहुल द्रविड़ ही टीम इंडिया के कप्तान थे. तब भी वेस्टइंडीज में टूर्नामेंट का आयोजन हुआ था.
उस हार का गम न केवल द्रविड़ में है बल्कि उसका दर्द हर हिंदुस्तानी के दिल में है. 2007 के वर्ल्ड कप के ग्रुप स्टेज में टीम इंडिया को शर्मनाक हार का मुंह देखना पड़ा था. उस वक्त टीम के स्टार खिलाड़ियों के घरों के बाहर और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किए गए थे. उस वर्ल्ड कप ने फैंस के दिलों को तो तोड़ा ही था बल्कि खिलाड़ियों के दिलों को भी गहरी चोट लगी थी.
और अब द्रविड़ के इंतजार का सुखद अंजाम
द्रविड़ आज भी भारतीय टीम के साथ जुड़े हैं. इस वक्त भूमिका कप्तान की थी और इस वक्त भूमिका हेड कोच की है. द्रविड़ को किस्मत ने उस मुकाम पर ला खड़ा किया है, जहां वो अपना इंतकाम तो ले ही सकते हैं. साथ ही भारतीय टीम के साथ अपने सफर को सुखद अंजाम दे सकते हैं. किस्मत ने उन्हें खुद मौका दिया है की वो इस कहानी की हैपी एंडिंग अपने हाथों से लिखें. अब देखने वाली बात होगी की द्रविड़ और उनके चैंपियंस की मेहनत कल क्या रंग लाती है.