Swapnil Kusale: स्वप्निल कुसाले ने भारत को दिलाया तीसरा मेडल, किसान परिवार के 'बंदूकबाज' बेटे के रोल मॉडल हैं एमएस धोनी!
Swapnil Kusale: स्वप्निल कुसाले बोले 'मैं निशानेबाजी की दुनिया में किसी खास व्यक्ति को फॉलो नहीं करता। लेकिन एमएस धोनी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी मैं बहुत इज्जत करता हूं। मेरे खेल में भी उतना ही शांत और धैर्यवान रहना होता है जितना वह मैदान पर रहते हैं। मैं उनकी कहानी से भी जुड़ाव महसूस करता हूं क्योंकि मैं भी उन्हीं की तरह टिकट कलेक्टर था।
स्वप्निल कुसाले ने पेरिस ओलंपिक में भारत को तीसरा मेडल दिला दिया है। भारतीय शूटर स्वप्निल कुसाले ने पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है। इससे पहले मनु भाकर ने देश को पहला मेडल जीताया था। साथ ही मनु भाकर ने सरबजोत सिंह के साथ मिलकर भी ब्रॉन्ज मेडल जीता। इस तरह भारत ने तीसरा मेडल अपने नाम किया।
पेरिस ओलिंपिक 2024 में भारत के निशानेबाज स्वप्निल कुसाले ने 50 मीटर राइफल के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया। स्वप्निल 50 मीटर राइफल के फाइनल में पहुंचने वाले पहले निशानेबाज हैं। साथ ही उम्मीद है कि अब स्वप्निल भारत के लिए फाइनल में गोल्ड पर निशाना लगाएंगे। आपको जानकर हैरानी होगी कि फाइनल में पहुंचने के बाद स्वप्निल ने कहा कि क्रिकेट के दिग्गज एमएस धोनी से प्रेरणा मिलती है क्योंकि दोनों ही शुरुआती करियर में रेलवे टिकट कलेक्टर थे।
कौन हैं निशानेबाज स्वप्निल कुसाले?
निशानेबाज स्वप्निल कुसाले महाराष्ट्र के कोल्हापुर के पास कमलवाड़ी गांव के रहने वाले हैं। वो 29 साल के हैं। निशानेबाज स्वप्निल कुसाले ने 2012 से अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे हैं, लेकिन उन्हें पेरिस ओलिंपिक में डेब्यू करने के लिए 12 साल और इंतजार करना पड़ा।
स्वप्निल कुसाले का जन्म 6 अगस्त 1995 में एक कृषि परिवार में हुआ। स्वप्निल की शूटिंग की यात्रा 2009 में तब शुरू हुई, जब उनके पिता ने उन्हें महाराष्ट्र के प्राइमरी खेल प्रोग्राम क्रीड़ा प्रबोधिनी में दाखिला दिलाया।
ओलंपिक के क्वालीफाइंग राउंड में कुसाले का स्कोर 590 का रहा और वह 7वें स्थान पर रहे थे।वो पुरुषों के 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन में ओलंपिक के फाइनल में जगह बनाने वाले भारत के पहले निशानेबाज बने थे। साथ ही रेस में उनके साथी ऐश्वर्य राय तोमर 2 राउंड (नीलिंग और प्रोन) तक फाइनल की दौड़ में रहने के बाद स्टैंडिंग शूट में गलती कर बैठे थे।
आपको बता दें, टॉप -8 निशानेबाज ही फाइनल में जगह बनाते हैं। निशानेबाजी के लिए शांत और धैर्यवान होना बहुत जरूरी है। स्वप्निल कुसाले ने ये गुण पूर्व भारतीय कप्तान एमएस धोनी से सीखे हैं। ऐसा उन्होंने ही इंटरव्यू के दौरान बताया।
निशानेबाज स्वप्निल कुसाले ने कहा कि उन्होंने वर्ल्ड कप विजेता धोनी की बायोपिक कई बार देखी है और उम्मीद करते हैं कि वे इस चैंपियन क्रिकेटर की तरह ही बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सकें। गुरुवार को यहां 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन फाइनल में शीर्ष तीन में जगह बनाना निश्चित रूप से कुसाले को भारतीय खेलों में शीर्ष उपलब्धियों वाले खिलाड़ियों की सूची में शामिल कर देगा।
निशानेबाज स्वप्निल कुसाले बोले 'मैं निशानेबाजी की दुनिया में किसी खास व्यक्ति को फॉलो नहीं करता। लेकिन एमएस धोनी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी मैं बहुत इज्जत करता हूं। मेरे खेल में भी उतना ही शांत और धैर्यवान रहना होता है जितना वह मैदान पर रहते हैं। मैं उनकी कहानी से भी जुड़ाव महसूस करता हूं क्योंकि मैं भी उन्हीं की तरह टिकट कलेक्टर था।