बचपन में पिता संग ट्रैक्टर चलाया, फिर दिग्गज की नजर पड़ी तो बदली तस्वीर, हरमनप्रीत सिंह को लेकर की भविष्यवाणी होगी सच?
Harmanpreet Singh: कप्तान हरमनप्रीत सिंह को कुछ लोग ‘हॉकी का नया जादूगर’ भी कह रहे हैं। हरमनप्रीत सिंह की मौजूदगी में जहां भारत ने 41 सालों में अपने पहले ओलंपिक पदक के इंतज़ार को ख़त्म किया था, तो उनकी कप्तानी में भारत ने लगातार दूसरी बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में एंट्री की है।
भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक में लगातार दूसरी बार सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया है। पूरे गेम में टीम एफर्ट देखने को मिला, जिसका रिजल्ट ये निकला कि अब मंगलवार को टीम इंडिया सिल्वर मेडल की दावेदारी पेश करेगी। इस सब में एक प्लेयर का नाम बार-बार जिक्र में आ रहा है, वो खिलाड़ी हैं कप्तान हरमनप्रीत सिंह।
कप्तान हरमनप्रीत सिंह को कुछ लोग ‘हॉकी का नया जादूगर’ भी कह रहे हैं। लेकिन यहां एक बात को कहती होगी कि हरमनप्रीत सिंह टीम इंडिया के अहम खिलाड़ी होने के साथ ही भारतीय हॉकी की जरुरत भी हैं। उनकी मौजूदगी में जहां भारत ने 41 सालों में अपने पहले ओलंपिक पदक के इंतज़ार को ख़त्म किया था, तो उनकी कप्तानी में भारत ने लगातार दूसरी बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में एंट्री की है।
कौन हैं कप्तान हरमनप्रीत सिंह? उनका अब तक का सफर कैसा रहा और कितने रिकॉर्ड्स अपने नाम अब तक कर चुके हैं, चलिए जानते हैं...
हरमनप्रीत सिंह का जन्म पंजाब के अमृतसर के जंडियाला गुरु बस्ती में 6 जनवरी, 1996 को हुआ था। उनके पिता का नाम सरबजीत सिंह पेशे से एक किसान हैं। हरमनप्रीत बचपन में खेती में पिता की मदद किया करते थे। उस दौरान ट्रैक्टर चलाते थे, जिसके गियर बदलने और स्टीयरिंग कंट्रोल करने का फायदा हरमनप्रीत को हॉकी में हुआ। इससे उनकी कलाई काफी ज्यादा मजबूत हो गई थी। हालांकि, तब वो कहां जानते होंगे कि गियर स्टिक आगे चल कर हॉकी स्टिक में बदलने वाली है।
लेकिन हरमनप्रीत सिंह को हॉकी में दिलचस्पी छोटे पर से ही थी। वो अपने गेम इम्प्रूव करने के लिए जालंधर के सुरजीत एकेडमी चले गए। जहां उनकी मुलाकात गगनप्रीत सिंह और सुखजीत सिंह जैसे दिग्गजों से हुई, जिन्होंने उनके खेल को तराशा। आपको बता दें, ये दोनों ही दिग्गज पेनल्टी कॉर्नर के स्पेशलिस्ट कहे जाते हैं। इस पूरे प्रकरण के दौरान वो क की नजर में थे। फिर भारतीय जूनियर हॉकी टीम के पूर्व कोच हरिंदर सिंह ने जब हरमनप्रीत सिंह के खेल को देखा, तो कहा कि ‘वो हरमनप्रीत को दो साल में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ड्रैग फ्लिकर बन सकते हैं।’
हरमनप्रीत सिंह ने सुल्तान जोहोर कप में साल 2011 में जूनियर नेशनल टीम के लिए डेब्यू किया। जहां से उनके प्रोफेशनल सफर की शुरूआत हुई और उन्होंने पीछे पलटकर नहीं देखा। हरमनप्रीत दिग्गज की बात को सही साबित करते हुए मैदान पर गोलों की झड़ी लगाने लगे। हरमनप्रीत ने सुल्तान जोहोर कप में 2014 प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का अवार्ड भी अपने नाम किया। फिर मलेशिया में यूथ टूर्नामेंट में उन्होंने 9 गोल कर दागे, जिसके बाद उन्हें 3 मई, 2015 को सीनियर टीम के लिए डेब्यू करने का मौक मिल गया।
हरमनप्रीत सिंह ने टोक्यों ओलंपिक में भारतीय टीम के लिए सबसे ज्यादा गोल किए थे। टोक्यो ओलंपिक में हरमनप्रीत ने 6 गोल दागे थे। साल 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में हरमनप्रीत ने 9 गोल किए थे। भारतीय टीम ने हरमनप्रीत की कप्तानी में एशियन गेम्स 2023 में गोल्ड फहत किया था, साथ ही एशियन गेम्स में भी हरमनप्रीत सिंह ने भारत के लिए सबसे ज्यादा गोल किए थे।