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UP News: दलित के कुर्सी पर बैठने पर कर दी पिटाई, आहत हो कर सुसाइड करने से मचा हड़कंप

यूपी के कासगंज जिले में एक दलित युवक रमेश चंद ने पुलिसकर्मियों द्वारा अपमानित किए जाने के बाद आत्महत्या कर ली। रमेश रामलीला देखने गए थे, जहां पुलिस ने उन्हें कुर्सी पर बैठने पर खींचकर बाहर निकाल दिया और मारपीट की। इस अपमान से आहत होकर उन्होंने फांसी लगाई। 

UP News: दलित के कुर्सी पर बैठने पर कर दी पिटाई, आहत हो कर सुसाइड करने से मचा हड़कंप

यूपी के कासगंज जिले में एक दलित व्यक्ति ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया है। मृतक की पहचान रमेश चंद के रूप में हुई है, जिनकी आत्महत्या के पीछे का कारण पुलिसकर्मियों द्वारा अपमानित करने का आरोप बताया जा रहा है। परिजनों ने इस मामले में तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की है। इसके साथ मामले ने राजनीतिक तूल भी पकड़ लिया है।

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मंच पर कुर्सी में बैठने के कारण किया अपमानित

घटना कोतवाली सोरों क्षेत्र के सलेमपुर वीवी गांव की है, जहां रमेश चंद अपनी पत्नी के साथ रामलीला देखने गए थे। रात करीब 9 बजे, जब वह मंच पर रखी कुर्सी पर बैठ गए, तब वहां तैनात पुलिसकर्मी हेड कांस्टेबल बहादुर सिंह और सिपाही विक्रम सिंह ने उन्हें खींचकर बाहर निकाल दिया। आरोप है कि इस दौरान रमेश के साथ मारपीट भी की गई और उन्हें गालियाँ दी गईं, जिससे वह बेहद आहत हुए।

अपमान से आहत होकर किया सुसाइड

रमेश की पत्नी ने बताया कि पति ने घर लौटने के बाद रोते हुए उन्हें इस घटना के बारे में बताया। इस अपमान के बाद रमेश चंद ने खुद को मानसिक रूप से अस्वस्थ महसूस किया और अंततः उन्होंने फांसी लगाने का कदम उठा लिया। उनके दामाद मनोज कुमार ने कहा कि रमेश की मौत से परिवार में शोक का माहौल है और उन्होंने पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

एएसपी ने मामले के बारे में बात की 

वहीं, कासगंज के एएसपी राजेश कुमार भारती ने बताया कि रामलीला के मंचन के दौरान रमेश चंद थोड़ा नशे में थे और उन्होंने मंच पर बैठने का प्रयास किया। आयोजकों और दर्शकों ने उन्हें हटने के लिए कहा, जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने उन्हें वहां से बाहर निकाला। एएसपी ने कहा कि रमेश चंद बाद में अपने घर चले गए, लेकिन आज सुबह उन्हें घर में फांसी पर लटका पाया गया।

पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा

घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच जारी है। इस घटना ने न केवल परिवार बल्कि पूरे गांव में एक सवाल खड़ा कर दिया है: क्या पुलिस को सार्वजनिक कार्यक्रमों में सम्मान और मानवता की भावना को समझना चाहिए? इस घटना से दलित समुदाय में पुलिस के प्रति गहरा आक्रोश देखने को मिल रहा है, और लोग उचित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

अब इस मामले में पुलिस की कार्रवाई और जांच के परिणामों का इंतजार किया जा रहा है, जिससे यह साफ हो सकेगा कि इस घटना में कितनी सच्चाई है और भविष्य में ऐसी घटनाओं से कैसे निपटा जा सकता है।