श्रीराम मंदिर का पहला दीपोत्सव, 28 लाख दीपों से रोशन होगी नगरी, मंदिर में विशेष मोम दीपक जलेंगे
अयोध्या में इस वर्ष का दीपोत्सव बेहद खास होगा, क्योंकि यह रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर का पहला दीपोत्सव है। इस भव्य आयोजन में सरयू तट पर 28 लाख दीपक जलाए जाएंगे और श्रीराम मंदिर में विशेष मोम के दीपक लगाए जाएंगे, जो पर्यावरण को बचाते हुए लंबे समय तक प्रकाशमान रहेंगे।
अयोध्या में इस बार का दीपोत्सव कई मायनों में बेहद खास होने जा रहा है। श्रीराम जन्मभूमि पर बने भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहला दीपोत्सव होगा, जो न केवल आस्था का प्रतीक बनेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सौंदर्य का संदेश भी देगा। इस दीपावली को यादगार बनाने के लिए तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, और शहर को लाखों दीपों से सजाने की योजना है।
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सजावट और दीप प्रज्वलन की भव्यता
सरयू तट पर इस वर्ष 25 से 28 लाख दीपक प्रज्वलित कर एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाने की योजना है। इसके साथ ही, श्रीराम मंदिर में विशेष प्रकार के दीपक जलाए जाएंगे, जिनसे न केवल मंदिर परिसर को आकर्षक रूप से रोशन किया जाएगा, बल्कि मंदिर भवन को धुएं और कालिख से बचाने के लिए विशेष रूप से तैयार मोम के दीपक उपयोग किए जाएंगे। ये दीपक लंबे समय तक जलते रहेंगे और कार्बन उत्सर्जन भी न्यूनतम होगा, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा।
विशिष्ट फूलों से सजावट
मंदिर को फूलों से सजाने की भी खास योजना बनाई गई है। इसके तहत मंदिर परिसर को कई खंडों और उपखंडों में विभाजित किया गया है, जहां विशेष तौर पर चुने गए फूलों से सजावट की जाएगी। पूर्व आईजी आशु शुक्ला को सजावट, साफ-सफाई और मंदिर को व्यवस्थित रूप से रोशन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस भव्य सजावट का नजारा श्रद्धालुओं के लिए अविस्मरणीय होगा।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश
दीपोत्सव के दौरान, अयोध्या नगरी में जहां धर्म और आस्था का संगम होगा, वहीं पर्यावरण संरक्षण पर भी जोर दिया गया है। मंदिर के ढांचे को धुएं और कालिख से सुरक्षित रखने के लिए खास मोम के दीपक लगाए जाएंगे, ताकि पर्यावरण को हानि न पहुंचे। यह दीपोत्सव अयोध्या को स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जागरूकता का केंद्र बनाएगा।
श्रद्धालुओं के लिए भव्य दर्शन
दीपोत्सव को श्रद्धालुओं के लिए और भी खास बनाने के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने 29 अक्टूबर से 1 नवंबर तक मंदिर को रात 12 बजे तक खुला रखने का निर्णय लिया है। श्रद्धालु गेट संख्या चार बी से प्रवेश कर आधी रात तक मंदिर की भव्य सजावट का आनंद ले सकेंगे। यह दीपावली न केवल धार्मिक महत्व रखेगी, बल्कि पर्यावरण और सौंदर्य का भी संदेश देगी।